
Mansoon 2025: भारत में दक्षिण-पश्चिम मानसून (Southwest Monsoon) ने इस साल 25 मई को केरल में दस्तक दे दी है। यह 2009 के बाद सबसे जल्दी आगमन है, जब मानसून 23 मई को केरल पहुंचा था। आमतौर पर मानसून 1 जून के आसपास आता है लेकिन इस बार इसकी समयपूर्व शुरुआत ने सभी की निगाहें खींच ली हैं। समय से पहले मानसून के दस्तक ने किसानों के चेहरों पर सुकून लाया है तो देश के अर्थशास्त्रियों के लिए मजबूत अर्थव्यवस्था की आस जतायी है।
IMD (India Meteorological Department) के आंकड़ों के अनुसार, पिछले कुछ सालों में सबसे पहले इस साल ही मानसून ने दस्तक दी है। आइए जानते हैं कब-कब मानसून ने दी थी दस्तक:
जबकि 1990 में मानसून सबसे जल्दी 19 मई को केरल पहुंचा था।
IMD के विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून के जल्दी या देर से आने और देश भर में कुल वर्षा के बीच कोई सीधा संबंध नहीं होता। मानसून की प्रगति कई वैश्विक और स्थानीय कारकों पर निर्भर करती है और इसके फैलाव और तीव्रता में व्यापक विविधताएं देखी जाती हैं।
अप्रैल में जारी पूर्वानुमान में IMD ने 2025 में सामान्य से अधिक बारिश (Above-Normal Rainfall) की संभावना जताई है। साथ ही, अल नीनो (El Nino) जैसे स्थितियों की संभावना को नकार दिया गया है, जो भारत में अक्सर कमजोर मानसून से जुड़ी होती हैं।
भारत में ‘सामान्य’ बारिश को 87 सेमी (50 वर्षों के औसत) के 96% से 104% के बीच माना जाता है। लंबी अवधि के औसत के 90 प्रतिशत से कम वर्षा को 'कम' माना जाता है; 90 प्रतिशत और 95 प्रतिशत के बीच 'सामान्य से कम' और 110 प्रतिशत से अधिक को 'अतिरिक्त' वर्षा माना जाता है।
IMD के अनुसार, भारत में पिछले वर्षों में हुई वर्षा का विवरण:
भारत की 42% आबादी की आजीविका कृषि पर निर्भर करती है, जो GDP का लगभग 18.2% योगदान करती है। मानसून की अच्छी वर्षा न केवल कृषि उत्पादन बढ़ाती है बल्कि देश के जलाशयों को भी भरती है जो पीने के पानी और बिजली उत्पादन के लिए बेहद जरूरी हैं।