PM मोदी ने मां के 100वें बर्थ-डे पर किया भाई समान अब्बास का खुलासा, जो उनके घर में पला-बढ़ा, सब ईद मनाते थे

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) 2 दिन के गुजरात के दौरे पर हैं।  इस बीच वे 18 जून की सुबह अपनी मां हीराबेन से मिलने घर पहुंचे। PM मोदी की मां अपने जीवन के 100वें वर्ष में प्रवेश कर गई हैं। माोदी ने एक ब्लॉग लिखा है, जिसमें उन्होंने मां से मिलीं नसीहतों का खुलासा किया।

Amitabh Budholiya | Published : Jun 18, 2022 6:31 AM IST / Updated: Jun 18 2022, 12:32 PM IST

अहमदाबाद. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra Modi) ने शनिवार को जीवन के 100वें वर्ष में प्रवेश करने वालीं अपनी मां को समर्पित करते हुए एक ब्लॉग(blog) लिखा। इसमें उनके बलिदानों और उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला, जिन्होंने मोदी के दिमाग, व्यक्तित्व और खुद पे भरोसा बढ़ाया। मोदी(Prime Minister Narendra Modi) 2 दिन के गुजरात के दौरे पर हैं।  इस बीच वे 18 जून की सुबह अपनी मां हीराबेन से मिलने घर पहुंचे। PM मोदी की मां अपने जीवन के 100वें वर्ष में प्रवेश कर गई हैं। माोदी ने एक ब्लॉग लिखा है, जिसमें उन्होंने मां से मिलीं नसीहतों का खुलासा किया।

मां, यह केवल शब्द नहीं है
पीएम मोदी ने tweet के जरिये कहा-"मां... यह केवल एक शब्द नहीं है, बल्कि यह भावनाओं की एक लंबी सीरिज है। आज 18 जून, वह दिन है जब मेरी मां हीराबेन अपने 100 वें वर्ष में प्रवेश करती हैं। इस विशेष दिन पर मैंने खुशी व्यक्त करते हुए कुछ विचार लिखे हैं। मोदी का यह ब्लॉग हिंदी और अंग्रेजी के अलावा कई क्षेत्रीय भाषाओं में उपलब्ध  है। पढ़िए कुछ खास बातें...

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"मेरी मां जितनी सरल हैं, उतनी ही असाधारण भी हैं। सभी माताओं की तरह।" मां ने उन्हें हमेशा एक मजबूत संकल्प और गरीब कल्याण (garib kalyan) पर ध्यान केंद्रित करने के लिए प्रेरित किया, जो उनकी सरकार की कई कल्याणकारी योजनाओं का एक विषय है। 2001 में जब बीजेपी ने उन्हें गुजरात का मुख्यमंत्री चुना, तो मोदी की मां ने खुश होकर कहा था-"मैं सरकार में आपके काम को नहीं समझती हूं, लेकिन मैं चाहती हूं कि आप कभी रिश्वत न लें।"

प्रधान मंत्री ने कहा कि केवल दो उदाहरण रहे हैं, जब उनकी मां सार्वजनिक रूप से उनके साथ थीं। एक बार, अहमदाबाद में एक सार्वजनिक समारोह में, जब उन्होंने श्रीनगर से लौटने के बाद उनके माथे पर तिलक लगाया था। मोदी तब एकता यात्रा पूरी करने के बाद लाल चौक पर राष्ट्रीय ध्वज फहराकर लौटे थे। दूसरा उदाहरण तब था, जब उन्होंने पहली बार 2001 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी।

मोदी ने ब्लॉग में लिखा कि मां ने उन्हें जीवन का एक सबक सिखाया कि औपचारिक शिक्षा के बगैर भी सीखा जा सकता है। एक बार मोदी अपनी सबसे बड़ी टीचर यानी मां सहित बाकी टीचर्स को सार्वजनिक रूप से सम्मानित करना चाहते थे। हालांकि, मां ने यह कहते हुए मना कर दिया कि वे एक सामान्य महिला हैं। मोदी ने उन्हें याद करते हुए कहा, "मैंने भले ही आपको जन्म दिया हो, लेकिन आपको सर्वशक्तिमान ने सिखाया और पाला है।" मोदी ने लिखा कि उनकी मां इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुईं, लेकिन उन्होंने यह सुनिश्चित किया कि वह उनके स्थानीय शिक्षक जेठाभाई जोशी के परिवार से किसी को आमंत्रित करें, जिन्होंने उन्हें वर्णमाला सिखाई थी। मोदी लिखते हैं कि मां के विचार और दूरदर्शी सोच ने उन्हें हमेशा आश्चर्यचकित किया है। प्रधान मंत्री ने याद किया कि उनका परिवार वडनगर में एक छोटे से मिट्टी के घर में रहता था। लेकिन रोजमर्रा की परेशानियों का भी उनकी मां ने सामना किया और सफलतापूर्वक विजय प्राप्त की।

बरिश में छत टपकती थी, मां सारा काम खुद करती थीं
मोदी ने लिखा-बारिश के दौरान हमारे घर की छत टपकती थी।  घर में बाढ़ आ जाती थी। मां बारिश का पानी इकट्ठा करने के लिए लीक के नीचे बाल्टी और बर्तन रखती थीं। इस प्रतिकूल स्थिति में भी, मां संयमित रहतीं। उनकी मां न केवल घर का सारा काम खुद करती थीं, बल्कि घर की कम कमाई को पूरा करने के लिए भी काम करती थीं।वह कुछ घरों में बर्तन धोती थीं और घर के खर्चों को पूरा करने के लिए 'चरखा' चलाने के लिए समय निकालती थीं। मोदी ने कहा कि उनकी मां के मन में सफाई और सफाई के काम में लगे लोगों के प्रति भी गहरा सम्मान है। उन्होंने कहा कि साफ-सफाई एक ऐसी चीज है जिसके बारे में उनकी मां हमेशा बेहद खास रही हैं। वडनगर में जब भी कोई अपने घर से सटा नाला साफ करने आता तो मां बिना चाय पीए उसे जाने नहीं देती थीं।

अब्बास उनके साथ रहा
मोदी ने कहा कि उनकी मां को दूसरे लोगों की खुशियों में खुशी मिलती है और वह बेहद बड़े दिल की हैं। उन्होंने याद किया कि उनके पिता अपने करीबी दोस्त की असामायिक मौत के बाद उसके बेटे अब्बास को घर लाए थे। वह हमारे साथ रहा और उसने अपनी पढ़ाई पूरी की। मां ने अब्बास के प्रति उतनी ही स्नेही और देखभाल करने वाली रहीं, जितनी वह हम सभी भाई-बहनों के लिए करती थी। हर साल ईद पर, वह अपने पसंदीदा व्यंजन बनाती थीं। त्योहारों पर, पड़ोस के बच्चों के लिए यह आम बात थी। हमारे घर आएं और मां की विशेष तैयारियों का लुत्फ उठाएं।"

भारतीय महिलाओं के लिए कुछ भी असंभव नहीं है
मोदी ने कहा, "अपनी मां के जीवन की कहानी में मुझे भारत की मातृशक्ति की तपस्या, बलिदान और योगदान दिखाई देता है। जब भी मैं मां और उनके जैसी करोड़ों महिलाओं को देखता हूं, तो मुझे लगता है कि भारतीय महिलाओं के लिए कुछ भी असंभव नहीं है।" प्रधानमंत्री ने अपनी मां को एक कर्तव्यपरायण नागरिक बताया, जिन्होंने पंचायत से लेकर संसद तक हर चुनाव में मतदान किया। मोदी ने उल्लेख करते हुए कि वह बेहद सरल जीवन शैली जीती है। आज भी उनके नाम पर कोई संपत्ति नहीं है। मोदी ने लिखा-"मैंने उन्हें कभी भी सोने के गहने पहने हुए नहीं देखा है और न ही उन्हें कोई दिलचस्पी है। पहले की तरह, वह अपने छोटे से कमरे में एक बेहद साधारण जीवन शैली में जीवन जीती हैं।"

मां की मैमोरी शॉर्प है
मोदी ने लिखा कि उनकी मां मौजूदा सभी घटनाक्रमों से अवगत हैं और उनकी याददाश्त तेज है। हाल ही में, मैंने उससे पूछा कि वह हर दिन कितनी देर तक टीवी देखती हैं? उन्होंने जवाब दिया कि टीवी पर ज्यादातर लोग एक-दूसरे से लड़ने में व्यस्त हैं, और वह केवल उन्हें देखती है जो शांति से समाचार पढ़ते हैं और सब कुछ समझाते हैं।  मोदी ने अपनी मां को 'कबीरपंथी' बताते हुए कहा कि उन्हें परमात्मा में अपार आस्था है, लेकिन साथ ही वह अंधविश्वास से दूर रही हैं और अपने परिवार के सदस्यों में भी यही गुण पैदा करती हैं। कम उम्र में घर छोड़ने के अपने फैसले पर प्रधान मंत्री ने कहा कि उनके पिता, जो अब नहीं रहे, बेहद निराश थे, उनकी मां ने उन्हें समझा और आशीर्वाद दिया। मोदी ने कहा कि उनके पिता बाद में उनके फैसले से सहमत हुए और उन्हें आशीर्वाद दिया। उन्होंने कहा कि बचपन से ही उनकी मां को लग रहा था कि उनकी मानसिकता अलग है। उन्होंने कहा, "बचपन से, मैंने देखा है कि मां न केवल दूसरों की पसंद का सम्मान करती हैं, बल्कि अपनी पसंद को थोपने से भी परहेज करती है। मेरे अपने मामले में भी उन्होंने मेरे फैसलों का सम्मान किया, कभी कोई बाधा नहीं डाली और मुझे प्रोत्साहित किया।"

मोदी ने कहा कि जब वह अपने माता-पिता के जीवन को देखते हैं, तो उनकी ईमानदारी और स्वाभिमान उनके सबसे बड़े गुण रहे हैं। गरीबी और साथ की चुनौतियों से जूझने के बावजूद उन्होंने कभी भी ईमानदारी की राह नहीं छोड़ी और न ही अपने स्वाभिमान से समझौता किया। किसी भी चुनौती को पार करने के लिए उनके पास केवल एक ही मंत्र है: कड़ी मेहनत, निरंतर कड़ी मेहनत। मोदी ने लिखा-"अपने जीवन में मेरे पिता कभी किसी पर बोझ नहीं बने। मां भी यही करने की कोशिश करती हैं कि वह जितना संभव हो सके अपने काम खुद करें। 

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