एक बच्चे के दिल में क्या चल रहा है, मां सब समझ जाती है। जिस दर्द से वो गुजरी वैसे दर्द को अपने बच्चे तक पहुंचने नहीं देती। पीएम मोदी ने ऐसे ही एहसास का जिक्र 27 पेज के एक पत्र में किया है। उन्होंने इस पत्र में अपनी मां के बारे में सब लिख डाला है, जो किसी को भी भावुक कर सकता है।
गुजरातः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन का आज 100वां जन्मदिन (Prime Minister Narendra Modi) है। अपनी मां के 100वें जन्मदिन के खास अवसर पर पीएम मोदी गुजरात के दौरे पर हैं। पीएम मोदी ने गांधीनगर पहुंचकर अपनी मां हीराबेन का आशीर्वाद लिया और उनकी पूजा-अर्चना भी की। इस मौके पर उन्होंने अपनी मां के लिए 27 पेज का एक भावुक पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने अपनी मां की तकलीफों के बारे में बताया है। कैसे उनका बचपन बीता। आइए हम आपको बताते हैं कि देश के प्रधानमंत्री ने किन शब्दों में अपनी मां के प्यार और उनकी ममता का बखान किया है।
मां को मिल ना सका ममता का आंचल
पीएम मोदी ने लिखा, कभी मां को ममता का आंचल नहीं मिला। जब मां छोटी थी तो मेरी नानी एक वैश्विक महामारी के कारण चल बसीं। इस कारण वे कभी मां से जिद ना कर सकीं। ना ही आंचल में सिर छिपा पाईं। ना स्कूल जा सकीं और ना ही अक्षर का ज्ञान हुआ। हर तरफ गरीबी और अभाव था। उन्हें अपनी मां का चेहरा तक ना देख पाने का दर्द आज भी है। पीएम ने आगे लिखा, हमारा घर बहुत छोटा था। ना बाथरूम था, ना ही खिड़की थी। मिट्टी का दीवार और खपरैल की छत थी। छोटे से जगह में ही मां-पिताजी, हम सब भाई-बहन रहा करते थे।
सफाई पसंद हैं मां
पत्र में उन्होंने लिखा, जो भी सफाई पसंद हो, मां उनको खूब मान देती हैं। पहले से लेकर अब तक के सफाई से जुड़े इतने किस्से हैं कि लिखते-लिखते काफी वक्त गुजर जाए। वडनगर में हमारे घर के पास से एक नाला गुजरता था। कोई सफाई करने आता था तो मां उन्हें बिना चाय पिलाए, जाने नहीं देती थीं। आज भी मां जोर देती हैं कि उनका बिस्तर सिकुड़ा हुआ ना हो। मां जीव पर बहुत दया करती हैं। गर्मी में पक्षियों के लिए मिट्टी के बर्तनों में दाना और पानी रखा करती थीं। स्ट्रीट डॉग्स को भी खाना देती थीं। पिताजी की चाय की दुकान से जो मलाई आता, मां उसे घी बनाती थीं। उस घी में मोहल्ले की गायों का भी हक होता था। मां याद से गौमाता को रोटी खिलाती थीं। लेकिन सूखी रोटी नहीं, हमेशा उस पर घी लगा के ही देती थीं।
माता से बड़ा कोई गुरु नहीं
उन्होंने लिखा कि मां दो ही बार मेरे साथ कार्यक्रम में आईं। पहली बार जब एकता यात्रा के बाद श्रीनगर के लाल चौक पर तिरंगा फहरा कर लौटा था। दूसरी बार तब कार्यक्रम में आईं, जब मैं पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले रहा था। सीएम बनने के बाद मेरे मन में इच्छा जागी कि मैं सभी शिक्षकों को सार्वजनिक रूप से सम्मान करूं। मेरे मन में उस वक्त आया कि मां से बड़ा गुरु कोई नहीं होता। नास्ति मातृ समो गुरुः। मैंने मां से भी कहा कि आप भी मंच पर आइएगा। उन्होंने कहा कि 'देख भाई, मैं तो निमित्त मात्र हूं। तुम्हारा मेरी कोख से जन्म लेना लिखा हुआ था। तुम्हें मैंने नहीं भगवान ने गढ़ा है। ये कहकर मां उस कार्यक्रम में नहीं आईं। लेकिन मां ने मेरे बचपन के शिक्षक जेठाभाई जोशी के परिवार स े किसी को बुलाने के बारे में जरूर कह दिया था।
मां हीराबेन के 100वें जन्मदिन के मौके पर पीएम मोदी ने 27 पेज का एक ब्लॉग लिखा है। यह शायद पहली बार है, जब पीएम ने अपनी मां के संघर्ष और मां के साथ जिंदगी की कुछ यादगार बातें इतनी डिटेल में शेयर की हैं। शब्दशः पढ़ें 27 पेज का ब्लॉग...