यूगोस्लाविया में जन्मीं एग्नेस का नाम मदर टेरेसा कैसे पड़ा, क्यों सेवा के लिए उन्होंने भारत को चुना

मदर टेरेसा कौन थी? ये कौन नहीं जानता। उन्होंने जीवन भारत मे ही रहकर दीन दुखियों की सेवा की। लेकिन क्या वे जन्म से ही भारत की नागरिक थीं। उनका नाम मदर टेरेसा कैसे पड़ा? ऐसे कई सवाल आज तक हमारे मन में बने रहते हैं। आज 26 अगस्त को उनकी जयंती है। 

नई दिल्ली. मदर टेरेसा कौन थी? ये कौन नहीं जानता। उन्होंने जीवन भारत मे ही रहकर दीन दुखियों की सेवा की। लेकिन क्या वे जन्म से ही भारत की नागरिक थीं। उनका नाम मदर टेरेसा कैसे पड़ा? ऐसे कई सवाल आज तक हमारे मन में बने रहते हैं। आज 26 अगस्त को उनकी जयंती है। 

मदर टेरेसा का जन्म 26 अगस्त 1910 को यूगोस्लाविया के स्कॉप्जे (वर्तमान में मकदूनिया) के एक अल्बेनियाई परिवार में हुआ था। उनका बचपन का नाम एग्नेस गोंझा बोयाजिजू था। मदर टेरेसा 12-13 साल की उम्र में ही मानवता सेवा की ओर आकर्षित हो गईं थीं। सरकारी स्कूल में पढ़ते समय वह सोडालिटी की बाल सदस्या बन गई। सोडालिटी मानव सेवा को समर्पित ईसाई संस्था का एक अंग थी। जिसका प्रमुख कार्य लोगों, विशेषकर छात्रों को स्वंयसेवी कार्यकर्ताओं के रूप मे तैयार करना था।

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स्पेन की महान संत टेरसा से प्रेरित थीं मदर टेरेसा
मदर स्पेन की महान संत टेरेसा से काफी प्रभावित थीं, जिन्होंने स्पेन के लोगों को नए जीवन का अमर संदेश दिया था। यह संयोग था संत टेरेसा भी 18 साल की उम्र में सन्यासी बन गए थे। मदर टेरेसा ने भी 29 नवंबर 1928 को अपने जीवन के 18वे साल में ही सन्यासी जीवन को अपनाया। अपने आदर्श और महान संत टेरेसा से प्रेरित होकर उन्होंने अपना नया नाम टेरसा रख लिया।

1929 में पहली बार भारत आईं थीं टेरेसा
मदर को पहले आयरलैंड के लोरेटो मुख्यालय और फिर डब्लिन भेजा गया। यहां उनको मिशनरी के कार्यों की ट्रेनिंग मिली। अगस्त1929 में मदर टेरेसा को पहली बार भारत भेजा गया। भारत पहुंचते ही सबसे पहले उनको दार्जिलिंग में नोविसिएट का कार्य सौंपा गया। यहां से कोलकाता के इंटाली के सेंट मैरी स्कूल में भूगोल की टीचर बनकर उन्होंने बच्चों को पढ़ाया। इस स्कूल में वे 1929 से 1948 तक रहीं। इस दौरान कुछ समय वे इस स्कूल की अध्यक्षा भी रहीं। मदर ने  7 अक्टूबर 1950 को कोलकाता में  मानवता सेवी गतिविधियों के लिए आचार्य बसु रोड पर मिशनरीज ऑफ चैरिटीज की स्थापना की। इसकी स्थापना के 12 साल बाद उन्हें भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया। इसके बाद 1979 में मदर को विश्व शांति और सदभावना के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

इन पुरस्कारों से भी हुईं सम्मानित

1962— भारत सरकार द्वारा 'पद्मश्री' से सम्मानित किया गया
1962– फिलिपींस के दिवंगत राष्ट्रपति के नाम पर 'रेमन मैगसेसे' पुरस्कार दिया गया।
1972— दिल्ली में 'जवाहर लाल नेहरू अवार्ड फॉर इंटरनेशनल अंडरस्टेंडिंग' पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
1973— लंदन में 'फाउंडेशन प्राइज फॉर प्रॉग्रेस इन रिलीजन' सम्मान दिया गया।
1979— मदर को विश्व शांति और सदभावना के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
1980– भारत सरकार द्वारा उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
1983— 25 नवंबर को महारानी एलिजाबेथ द्वारा ब्रिटेन के सर्वोच्च सम्मान 'ऑर्डर ऑफ मैरिट' से सम्मानित किया गया।
1993— राजीवगांधी सद्भावना पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

 

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