ब्लैक फंगस पर 360 डिग्री वाला नॉलेज, खतरनाक है यह बीमारी, इसमें मृत्यु दर 54% तक

यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक, ब्लैग फंगस एक दुर्लभ फंगल संक्रमण है। यह म्यूकॉरमाइटिसीस नाम के फंगाइल से होता है। यह आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है। स्किन के कट जाने, जलने या फिर स्किन की चोट के बाद भी फंगल संक्रमण हो सकता है।

Asianet News Hindi | Published : May 20, 2021 11:18 AM IST / Updated: May 26 2021, 11:59 AM IST

नई दिल्ली. कोरोना की दूसरी लहर के बीच ब्लैक फंगस (म्यूकॉरमाइटिसीस इंफेक्शन) बीमारी नई चुनौती बनकर सामने आई है। देश के कई राज्यों में ब्लैक फंगस के केस तेजी से बढ़ रहे हैं। अकेले राजस्थान मे इसके 700 से ज्यादा केस सामने आए हैं। राज्य सरकार ने ब्लैक फंगस को महामारी घोषित किया है। वहीं, दिल्ली में भी 200 से ज्यादा मरीजों का इलाज चल रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को चिट्ठी लिख ब्लैक फंगस को महामारी के अंतर्गत शामिल करने की अपील की है। इसके अलावा ICMR और स्वास्थ्य मंत्रालय ने इसे लेकर गाइडलाइन जारी की है। आईए जानते हैं आखिर ब्लैक फंगस क्या है, इसके क्या लक्षण हैं और इससे बचने के लिए क्या कदम उठाने चाहिए.... 

क्या है ब्लैक फंगस? 
यूएस सेंटर फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के मुताबिक, ब्लैग फंगस एक दुर्लभ फंगल संक्रमण है। यह म्यूकॉरमाइटिसीस नाम के फंगाइल से होता है। यह आमतौर पर फेफड़ों को प्रभावित करता है। स्किन के कट जाने, जलने या फिर स्किन की चोट के बाद भी फंगल संक्रमण हो सकता है। ज्यादातर ब्लैक फंगस कोरोना से संक्रमित हुए मरीजों में सामने आ रहे है। यह आम तौर पर उन लोगों में होता है, जो पहले से बीमार हों, या कोई ऐसी दवा ले रहे हों, जो इम्युनिटी को कम करती हों। 

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ब्लैक फंगस से क्या होता है? 
सूरत के किरण अस्पताल के ईएनटी विशेषज्ञ डॉ संकेत शाह ने बताया, एक व्यक्ति को कोविड -19 संक्रमण से उबरने के दो-तीन दिन बाद ब्लैक फंगस के लक्षण दिखाई देते हैं। यह फंगल संक्रमण सबसे पहले साइनस में तब होता है जब कोविड -19 से मरीज ठीक हो जाता है। दो-चार दिनों में यह आंखों पर हमला करता है। डॉक्टर संकेत शाह ने कहा कि फंगल संक्रमण कमजोर इम्युनिटी वाले लोगों पर हमला करता है। शुगर के मरीजों को ये सबसे ज्यादा प्रभावित करता है।

कितना खतरनाक है ब्लैक फंगस?
ब्लैक फंगस एक मरीज से दूसरे मरीज में नहीं फैलता। लेकिन यह काफी खतरनाक है। अमेरिकी एजेंसी सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन की रिपोर्ट के मुताबिक, इसमें मृत्युदर 54% तक है। वहीं, शरीर में इंफेक्शन के मामलों में यह घट या बढ़ भी सकता है। फेफड़ों में इंफेक्शन होने पर यह बढ़कर 76% तक हो जाता है। फंगस इंफेक्शन जिस हिस्से में होता है, वह उसे खत्म कर देता है। यहां तक की कई केसों में मरीजों की जान बचाने के लिए आंख तक निकालनी पड़ी है। 

दुनिया में कहां कहां मिला ब्लैक फंगस?
अमेरिका समेत दुनिया के अन्य देशों में भी ब्लैक फंगस के केस सामने आते रहे हैं। पहली लहर के बाद भी भारत में कुछ केस मिले थे। लेकिन ये काफी कम थे। सीडीएस के मुताबिक, ये दुनिया में होने वाले हर तरह के इंफेक्शन में म्यूकॉरमाइटिसीस इंफेक्शन के मामले सिर्फ 2% ही होते हैं।

स्वास्थ्य मंत्रालय का राज्य सरकारों को निर्देशः ब्लैक फंगस को घोषित करें महामारी


ब्लैक फंगस के क्या हैं लक्षण
 



- बुखार, सिर दर्द के साथ आंखों और नाक के आसपास दर्द या लालिमा, खांसी और हांफना, आंखों के चारों ओर सूजन, आंखों का लाल होना, आंख बंद करने में दिक्कत होना, आंख खोलने में परेशानी होना। खून की उल्टी, तालू या नाक पर काले धब्बे, दांत ढीले होना, जबड़े में दिक्कत, साफ ना दिखना, चीजें दो दो नजर आना, त्वजा पर चकत्ते।

इन लोगों में ब्लैक फंगस की संभावना ज्यादा

- कोरोना के मरीज, डायबिटीज के मरीज, एड्स-कैंसर या अन्य कुपोषण जैसी बीमारियों से ग्रसित लोग, स्टेरॉयड दवा लेने वाले, लंबे वक्त से ICU में रहने पर, किडनी या लिवर ट्रांसप्लांट हुआ हो।

ब्लैक फंगस से बचने के लिए क्या करें?



- शुगर नियंत्रित करें, अगर आप कोरोना से ठीक होकर लौटे हैं तो ब्लड सुगर पर नजर रखें, स्टेरॉयड का इस्तेमाल डॉक्टर की सलाह पर लें। 

ब्लैक फंगस से बचने के आम उपाय



- धूल वाली जगह जैसे बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन साइट पर मास्क लगा कर जाएं, बगीचे में काम करते समय या मिट्टी और खाद छूते वक्त जूते दस्ताने और पूरी हाथ ढककर रखें। 
- फंगस के कण शरीर पर ना रहें, इसके लिए अच्छी तरह से नहाएं।

लक्षण दिखने पर क्या करें? 

एम्स ने ब्लैक फंगस के लक्षण दिखने पर दिशा-निर्देश जारी किए। 
1. तुरन्त किसी ईएनटी डॉक्टर, आंखों के डॉक्टर से परामर्श लें। 
2. नियमित उपचार करें। डायबिटीज के रोगियों को सुगर कंट्रोल रखने की कोशिश करना चाहिए। 
3. नियमित दवाएं करना और दूसरे बीमारियों का इलाज लगातार करना चाहिए। 
4. स्टेरॉयड या एंटीबायोटिक्स या एंटिफंगल दवाओं के साथ कोई दवा नहीं लेना चाहिए। 
5. एमआरआई या सीटी स्कैन कंट्रास्ट के साथ कराएं। अगर जरूरी हो तो डॉक्टर की सलाह लेना चाहिए।

किन राज्यों ने ब्लैक फंगस को लेकर क्या कदम उठाए

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