मुंगेर में हुई हिंसा को लेकर शिवसेना ने सामना के संपादकीय में कहा है कि यह हिंदुत्व पर हमला है। बता दें कि सोमवार रात दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन के दौरान उपद्रव हुआ था। पुलिस ने भक्तों पर जमकर लाठीचार्ज किया था। गुरुवार को फिर हिंसा भड़क गई। एसपी ऑफिस में पथराव कर दिया और एक चौकी फूंक दी। इसी घटना पर सामना के संपादकीय में लेख छपा है।
नई दिल्ली. मुंगेर में हुई हिंसा को लेकर शिवसेना ने सामना के संपादकीय में कहा है कि यह हिंदुत्व पर हमला है। बता दें कि सोमवार रात दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन के दौरान उपद्रव हुआ था। पुलिस ने भक्तों पर जमकर लाठीचार्ज किया था। गुरुवार को फिर हिंसा भड़क गई। एसपी ऑफिस में पथराव कर दिया और एक चौकी फूंक दी। इसी घटना पर सामना के संपादकीय में लेख छपा है।
"जो हमारा है वह अच्छा है, जो दूसरों का है वह खराब है"
सामना में लिखा है, जो हमारा है वह अच्छा है, जो दूसरों का है वह खराब है, फिलहाल भारतीय जनता पार्टी की ओर से इसी प्रकार का व्यवहार शुरू है। बिहार, उत्तर प्रदेश और हरियाणा राज्यों में जो कुछ हो रहा है, उसे देखते हुए वहां कानून का राज बचा है क्या? ऐसा सवाल किया जा सकता है। लेकिन ये राज्य भाजपा शासित होने के कारण वहां पर सब कुछ ठीक-ठाक है। गड़बड़ सिर्फ महाराष्ट्र, पंजाब, पश्चिम बंगाल और राजस्थान में ही है।
बिहार में विधानसभा चुनाव का पहला चरण समाप्त हो चुका है। प्रधानमंत्री मोदी सहित कई नेताओं ने बिहार की प्रचार सभाओं में लोगों से पूछा, ‘तुम्हें जंगलराज फिर से चाहिए क्या? नहीं चाहिए तो भाजपा और जदयू के पक्ष में मतदान करो!’ गत 15 सालों से बिहार में नीतीश कुमार का ही शासन है। लगता है वे लोग इस बात को भूल गए हैं।
"मूर्ति का जबरन विसर्जन करवा दिया गया"
मुंगेर जिले में दुर्गा विसर्जन के दौरान पुलिस ने गोलीबारी की। मूर्ति का जबरन विसर्जन करवा दिया गया। गोलीबारी में एक व्यक्ति की मौत हो गई और 15 लोग घायल हो गए। पुलिसवालों का यह कृत्य जनरल डायर को भी लजाने वाला था, इस प्रकार का आक्रोश शुरू है। दुर्गा पूजा की विसर्जन यात्रा में यह उत्पात मचा और पुलिसवालों ने सीधे गोलियां चला दीं। इस गोलीबारी में अनुराग पोद्दार नामक युवक की मौत हो गई।
दुर्गा पूजा के विसर्जन के दौरान यह उत्पात, हिंसाचार और पुलिस की गोलीबारी की घटना पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में हुई होती तो ‘घंटा बजाओ’ छाप खोखले हिंदुत्ववादियों ने अबतक नंगा नाच शुरू कर दिया होता। दुर्गा पूजा में गोलीबारी को एक प्रकार से हिंदुत्व पर हमला बताकर बवाल मचाया गया होता। पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र में कानून व्यवस्था समाप्त होने का आरोप लगाकर वहां तत्काल प्रभाव से राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की जाती।
इस गोलीबारी की सीबीआई जांच करवाने की मांग करवाने के लिए भाजपा का प्रतिनिधिमंडल राजभवन में चाय-पान के लिए गया होता। लेकिन ओ घंटाबाज हिंदुत्ववादियों! मुंगेर में दुर्गा पूजा यात्रा पर हुई गोलीबारी पर तुम्हारा मुंह बंद क्यों है? मुंगेर के बीच रास्ते में यात्रा के दौरान पुलिसकर्मियों ने दुर्गा प्रतिमा की खींचतान की। उस दौरान बनावटी हिंदुत्ववादियों के पीतांबर अब तक वैसे नहीं छूटे? या मुंगेर में दुर्गा पूजा में गोलीबारी हुई इसलिए महाराष्ट्र व पश्चिम बंगाल की सरकार को बर्खास्त करो, वे ऐसा कहना चाहते हैं? महाराष्ट्र के पालघर में ‘लॉकडाउन’ के दौरान दो साधुओं की हत्या हुई। हत्या भीड़ ने की। उस दौरान पुलिसवाले भी घायल हुए। लेकिन उस हत्या से महाराष्ट्र से साधुवाद और हिंदुत्व आदि सब समाप्त हो गया, महाराष्ट्र की ठाकरे सरकार का हिंदुत्व से कोई लेना-देना नहीं रहा और शिवसेना अब ‘सेक्युलर’ हो गई है, जैसी बातें कहीं गई।
"साधुओं को ढाल बनाकर शिवसेना के हिंदुत्व पर सवाल खड़ा किया"
कुछ भौंकनेवाले चैनलों ने तो उन साधुओं को ढाल बनाकर शिवसेना के हिंदुत्व पर सवाल खड़ा किया। आज मुंगेर की दुर्गा पूजा में पुलिसिया गोलीबारी के बावजूद ये भौंकने और चिल्लाने वाले ठंडे पड़े हैं। नीतीश कुमार की सरकार बर्खास्त करके वहां राष्ट्रपति शासन लगाओ, ऐसा शोर बिहार के भाजपा वालों ने क्यों नहीं मचाया? मुंगेर की दुर्गा प्रतिमा का अपमान और गोलीबारी ‘जंगलराज’ है, उन ढोंगी काले कौवे को ऐसा न लगना आश्चर्यजनक है। एक तो बिहार में भाजपा ने आंखों पर ‘सेक्युलर’ चश्मा चढ़ाया है, जिससे उन्हें मुंगेर का आक्रोश करनेवाली दुर्गा माता नहीं दिख रही।
महाराष्ट्र में मंदिरों को खोलो कहते हुए ‘घंटानाद’ किया जा रहा है। मंदिरों के ताले तोड़ कर भीतर घुसने की धमकियां दी जा रही हैं। इन लोगों का मुंगेर की हिंसाचार और हिंदुत्व के अपमान से कोई लेना-देना नहीं दिख रहा। सुविधानुसार हिंदुत्व ऐसा ही होता है। मुंगेर का हिंदुत्व रक्तरंजित हो गया। पूरे बिहार में इस खून के छींटे उड़े लेकिन हिंदुत्व के सारे राजनीतिक ठेकेदार मुंह की पट्टी से आंख ढंक कर चुप बैठे रहे। महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में दुर्भाग्य से या अपघात से ऐसा हुआ होता तो इनका हिंदुत्व दक्ष और सावधान हो जाता। उत्तर प्रदेश में अबलाओं का बलात्कार और खून हुआ। साधुओं और पुजारियों की मंदिरों में ही नृशंस हत्या कर दी गई। हरियाणा में एक लड़की को बीच रास्ते में मार दिया गया। वे इस मामले पर ‘लव जिहाद’ का लेबल लगाकर मुक्त हो गए। भाजपा शासित राज्यों में घटने वाली ऐसी घटनाओं की तरफ बनावटी हिंदुत्ववादी काफी संयम और तटस्थ होकर देखते हैं। ऐसी घटनाओं की जांच पुलिस निष्पक्षता पूर्वक करने की बात कहते हैं। ‘मुंगेर’ जैसे हिंदुत्व और दुर्गा पूजा पर हमले के मामलों को दबाया जाता है। लेकिन पालघर में साधुओं का खून उबलते हुए पूछ रहा है कि मुंगेर में जो हिंदुओं का खून बहा, उसके विरोध में घंटा कब जाओगे? कम से कम थाली ही बजा दो! देखो, बिहार में हिंदुत्व पर पुलिसवाले गोलियां चलाते हैं!