Sanskrit को बचाने में जुटा है गुजरात का यह मुस्लिम कारोबारी, 11 साल से निकाल रहा अपनी तरह का इकलौता अखबार

Published : Feb 21, 2022, 10:10 PM ISTUpdated : Feb 21, 2022, 10:15 PM IST
Sanskrit को बचाने में जुटा है गुजरात का यह मुस्लिम कारोबारी, 11 साल से निकाल रहा अपनी तरह का इकलौता अखबार

सार

गुजरात के मुस्लिम कारोबारी मुर्तुजा खंभातवाला ने संस्कृत भाषा को बचाने में अपना जीवन लगा दिया है। उनके जीवन का लक्ष्य संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार है। वह 11 साल से संस्कृत को बचाने के अभियान में जुटे हैं।

सूरत। संस्कृत (Sanskrit) दुनिया की प्राचीन भाषाओं में से एक है। वैदिक धर्म से संबंधित लगभग सभी धर्मग्रंथ संस्कृत में लिखे गए हैं। एक समय था जब भारत में बड़ी संख्या में लोग इस भाषा का इस्तेमाल करते थे, लेकिन आज यह गुरुकुलों तक सिमटकर रह गई है। ऐसे में गुजरात के एक मुस्लिम कारोबारी ने संस्कृत भाषा को बचाने में अपना जीवन लगा दिया है। उनके जीवन का लक्ष्य संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार है। वह 11 साल से संस्कृत को बचाने के अभियान में जुटे हैं। 

गुजरात के सूरत में रहने वाले मुर्तुजा खंभातवाला (Murtuza Khambhatwala) देश का इकलौता संस्कृत अखबार निकालते हैं। दाऊदी बोहरा समाज से जुड़े मुर्तुजा अपना पब्लिशिंग हाउस चलाते हैं। नई पीढ़ी को भी अपने अभियान से जोड़ने के लिए वे संस्कृत भाषा की वेबसाइट चलाते हैं। अखबार और वेबसाइट चलाने के लिए उन्हें अपनी जमापूंजी खर्च करनी पड़ती है। कुछ पैसे वे चंदे से भी इकट्ठा कर लेते हैं। 

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अपने इस अभियान के बारे में मुर्तुजा का कहना है कि संस्कृत भाषा को बचाना जरूरी है। लोग संस्कृत पढ़ने की ओर आकर्षित हों इसके लिए मैंने अखबार निकालने का फैसला किया था। शुरुआत से ही यह चुनौतीपूर्ण रहा। शुरुआत में तो कुछ सरकारी विज्ञापन मिलता था, जिससे काम चल जाता था। अब यह मेरे लिए जुनून है। इसके लिए मैं हर महीने अपनी जेब से पैसे खर्च करता हूं। 

सभी को करनी चाहिए संस्कृत भाषा बचाने की कोशिश
मुर्तुजा कहते हैं कि मेरा अखबार देश में संस्कृत में छपने वाला इकलौता अखबार है। नए जमाने के बच्चे मोबाइल और कम्प्यूटर पर संस्कृत में खबरें पढ़ सकें इसके लिए वेबसाइट भी शुरू किया है। संस्कृत भाषा हिंदी, गुजराती, मराठी, बांग्ला, मलयालम समेत कई भाषाओं की जननी रही है। इसे बचाने के लिए सभी को अपने-अपने स्तर पर कोशिश करनी ही चाहिए। अभी तो मुझे गुजरात सरकार से कोई मदद नहीं मिल रही है, लेकिन उम्मीद है कि एक दिन सरकार मेरे प्रयासों का समर्थन करेगी।

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