सार

संयुक्त राष्ट्र ने आरोप लगाया कि राणा अय्यूब का न्यायिक उत्पीड़न किया जा रहा है। भारत ने पलटवार करते हुए यूएन से साफ शब्दों में कहा कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। 

नई दिल्ली। मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने वाशिंगटन पोस्ट की स्तंभकार (Columnist) राणा अय्यूब (Rana Ayyub) के 1.77 करोड़ रुपए कुर्क कर लिए थे। ईडी इस मामले की जांच कर रही है। इस बीच संयुक्त राष्ट्र (United Nations) द्वारा इस मुद्दे को उठाया गया है। यूएन ने आरोप लगाया कि राणा अय्यूब का न्यायिक उत्पीड़न किया जा रहा है। यूएन जेनेवा के ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया गया कि पत्रकार राणा अय्यूब के खिलाफ न्यायिक उत्पीड़न को तुरंत समाप्त किया जाना चाहिए।

 

भारत में चल रही आंतरिक जांच में संयुक्त राष्ट्र के 'हस्तक्षेप' ने नाराजगी पैदा कर दी है। इस मामले में भारत की ओर से तीखी प्रतिक्रिया दी गई है। भारत ने पलटवार करते हुए संयुक्त राष्ट्र से साफ शब्दों में कहा कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है। भारत ने कहा कि एक भ्रामक कहानी को आगे बढ़ाना केवल संयुक्त राष्ट्र की प्रतिष्ठा को धूमिल करता है। जिनेवा में भारतीय मिशन ने ट्विटर पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि "तथाकथित न्यायिक उत्पीड़न के आरोप निराधार और अनुचित हैं। भारत कानून के शासन को कायम रखता है, लेकिन समान रूप से स्पष्ट है कि कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।" बता दें कि वैश्विक संस्था द्वारा किसी ऐसे व्यक्ति का समर्थन करने की आवश्यकता पर सवाल उठाया जा रहा है जिसपर धन के दुरुपयोग का आरोप है। 

मानवाधिकार विशेषज्ञों ने लगाया था कानूनी उत्पीड़न का आरोप
दरअसल, पैनल में शामिल मानवाधिकार विशेषज्ञों का हवाला देते हुए जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने दावा किया कि पत्रकार को "कई वर्षों तक उसकी रिपोर्टिंग के संबंध में भारतीय अधिकारियों द्वारा कानूनी उत्पीड़न" का शिकार होना पड़ा। मानवाधिकार विशेषज्ञों ने कहा कि 11 फरवरी को छह महीने में दूसरी बार अय्यूब के बैंक खाते और अन्य संपत्तियों को मनी लॉन्ड्रिंग और टैक्स धोखाधड़ी के निराधार आरोपों के जवाब में फ्रीज कर दिया गया था। जो महामारी से प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने के लिए उनके क्राउड-फंडिंग अभियानों से संबंधित थे। अय्यूब के खिलाफ उनकी रिपोर्टिंग के चलते कई झूठे और मानहानिकारक आरोप लगाए गए। इन झूठे आरोपों का पता सोशल मीडिया समूह पर लगाया जा सकता है। 

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विचाराधीन घटना तीन अभियानों के लिए एकत्र किए गए धन के कथित दुरुपयोग को लेकर अय्यूब के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय की जांच से संबंधित है। मनी लॉन्ड्रिंग मामले की जांच करते हुए ईडी के अधिकारियों ने दावा किया कि चैरिटी के नाम पर पूरी तरह से पूर्व नियोजित और व्यवस्थित तरीके से फंड जुटाया गया। एजेंसी ने आरोप लगाया कि मुंबई के पत्रकार द्वारा जुटाए गए धन का उपयोग पूरी तरह से उस उद्देश्य के लिए नहीं किया गया, जिसके लिए उनका इरादा था।

क्या है मामला?
विकास सांकृत्यायन नाम के एक व्यक्ति ने राणा अय्यूब के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस को शिकायत दी थी। उसने आरोप लगाया था कि राणा अय्यूब ने कोरोना के मरीजों और कुछ पूर्वी राज्यों में बाढ़ पीड़ितों की मदद के नाम पर चंदा जुटाया था। राणा अय्यूब ने केटो पर 2,69,44,680 की राशि जुटाई। इसमें से पैसे उसकी बहन, पिता के बैंक खातों के जरिए निकाले गए। गाजियाबाद के इंदिरापुरम पुलिस स्टेशन ने राणा अय्यूब के खिलाफ केस दर्ज किया था। 

सितंबर 2021 से ईडी इस मामले की जांच कर रही है। ईडी के अनुसार धन पूरी तरह से पूर्व नियोजित और व्यवस्थित तरीके से चैरिटी के नाम पर उठाया गया था। जिस उद्देश्य से पैसे जुटाए गए उसका सही इस्तेमाल नहीं किया गया। राहत कार्य के लिए पैसे का उपयोग करने के बजाय राणा अय्यूब ने एक अलग करंट बैंक अकाउंट खोलकर इस राशि को उसमें डाल दिया। अय्यूब ने पीएम केयर्स फंड और सीएम रिलीफ फंड में कुल 74.50 लाख रुपए जमा किए।

तहलका में किया था काम
राणा अय्यूब तहलका पत्रिका में पत्रकार थीं। तहलता के संपादक तरुण तेजपाल पर यौन शोषण के आरोप लगने के बाद अय्यूब ने वहां से इस्तीफा दे दिया। इसके बाद से वह स्वतंत्र पत्रकारिता के जरिए तमाम अखबारों और मैग्जीनों में लेख लिख रहीं हैं।

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