मैसूर दशहरा के स्टार भीमा: एक अनाथ हाथी की फिल्म जैसी है कहानी

मैसूर दशहरा में भीमा हाथी छा गया! लेकिन क्या आप जानते हैं इस स्टार के पीछे की दर्दनाक कहानी? कैसे एक अनाथ हाथी बना सबका चहेता?

मैसूर: विश्वविख्यात मैसूर दशहरा में इस बार अंबारी ढोने वाले अभिमन्यु हाथी से भी ज़्यादा प्रसिद्धि भीमा हाथी को मिली। दशहरा महोत्सव में जब भी लोग ज़ोर से 'भीमा' पुकारते थे, तो वह रुककर अपनी सूँड उठाकर प्रतिक्रिया देता था। भीमा के इस अंदाज़ ने दर्शकों का दिल जीत लिया। लेकिन, इस भीमा हाथी के पीछे एक रोमांचक कहानी छिपी है। भीमा का ज़िंदा बच जाना किसी चमत्कार से कम नहीं है।

जी हाँ, 'भीमा' पुकारने पर पलटकर देखने वाले इस हाथी की कहानी किसी फ़िल्मी कहानी से कम नहीं है। मैसूर दशहरा में नज़र आने वाले भीमा को महावत और वन अधिकारी 'टुंटा' और 'टिंडीपोत' कहकर बुलाते हैं। समय पर खाना मिलने पर वह सबकुछ चट कर जाता है। पेट भर जाने के बाद वह अपने साथी हाथियों और महावतों के साथ शरारतें करने लगता है। भीमा का स्वभाव बहुत ही शांत है और कोई भी उसे नाम लेकर पुकारे तो वह प्रतिक्रिया ज़रूर देता है। इसीलिए सभी कवाडीगर भीमा को बहुत पसंद करते हैं।

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भीमा हाथी की रोमांचक कहानी:
साल 2001 में भीमा अपनी माँ को खोकर जंगल में भटक रहा था। इस नन्हें हाथी को हर कदम पर खतरा था। अपने पूरे झुंड से बिछड़कर अकेले घूमते हुए, नागरहोल - मत्तीगोडु वन क्षेत्र के भीमनकट्टे में वन विभाग के हाथों पकड़ा गया। उसी साल भीमनकट्टे में भीमा समेत कुल 5 हाथी के बच्चे मिले थे। लेकिन, इनमें से चार बच्चों की माँ नहीं होने के कारण दूध न मिलने से मौत हो गई। लेकिन, वन विभाग को मिले हाथी के बच्चों में सिर्फ़ भीमा ही ज़िंदा बच पाया।

अब भीमा 24 साल का हो गया है। 2.87 मीटर ऊँचा यह भीमा 5,000 किलो वज़नी है। अगर भीमा इसी तरह ताकतवर होता रहा, तो आने वाले दिनों में वह मैसूर दशहरा में अंबारी ढोने लायक बन जाएगा। अगर वह सभी हाथियों, कवाडीगरों और महावतों के साथ अच्छा व्यवहार करता रहा, तो उसमें अंबारी ढोने की पूरी क्षमता आ जाएगी। भीमा ने मैसूर के लोगों का दिल जीत लिया है और उसके प्रशंसकों की एक बड़ी संख्या है। सभी की यही कामना है कि भीमा जल्द ही दशहरा में अंबारी ढोता नज़र आए।

भीमा का जिगरी दोस्त कंजन: मैसूर दशहरा समेत कई जगहों पर भीमा के साथ रहने वाला हाथी कंजन है। कंजन भी ताकतवर और शांत स्वभाव का है। अपने में मस्त रहने वाला कंजन, भीमा के साथ होने पर थोड़ा शरारती भी हो जाता है। वह भीमा की हरकतों की नक़ल करता है। मैसूर दशहरा में जब लोग भीमा को पुकारते थे और वह सूँड उठाकर प्रतिक्रिया देता था, तो कंजन भी अपनी सूँड उठाकर लोगों को दिखाता था। दशहरा से पहले हुए वज़न परीक्षण में भीमा का वज़न 4,945 किलो था, जबकि उसके दोस्त कंजन का वज़न 4,515 किलो था। दशहरा में राजमहल के खाने का लुत्फ़ उठाने के बाद भीमा का वज़न 5,000 किलो से ज़्यादा हो गया है।

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