मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसे तेंदुए पहाड़ों पर पाए जाते हैं। बादलों की तरह दिखते हैं। इसलिए आसानी से जंगलों में छिप जाते हैं।
नई दिल्ली. शरीर पर चकत्ते। बादलों जैसा लुक। नागालैंड में कुछ ऐसा ही तेंदुया दिखाई दिया है। रिसर्चर्स ने पहली बार नागालैंड के सामुदायिक जंगल में इस तेंदुए को देखा। इस जानवर को भारत-म्यांमार सीमा पर 3700 मीटर की ऊंचाई पर देखा गया था। रिसर्चर्स ने कई जगहों पर हिडन कैमरा रखा था, जिसमें इसकी तस्वीर कैद हुई।
छोटे लेकिन बहुत ही मजबूत पैर होते हैं
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ऐसे तेंदुए पहाड़ों पर पाए जाते हैं। बादलों की तरह दिखते हैं। इसलिए आसानी से जंगलों में छिप जाते हैं। इनके छोटे लेकिन बहुत ही मजबूत पैर होते हैं। ऐसे पैर उन्हें न केवल तेजी से पहाड़ों पर चढ़ने में सक्षम बनाते हैं बल्कि अपने बड़े और तेज पंजे के इस्तमाल से उल्टा लटकने में भी सक्षम बनाते हैं। नेशनल ज्योग्राफिक के मुताबिक, वैज्ञानिकों का मानना है कि वे अपना अधिकांश शिकार जमीन पर करते हैं। हिरणों, सूअरों और बंदरों को अपना खाना बनाते हैं।
यह प्रजाति एशिया में इंडोनेशिया के वर्षा वनों से लेकर हिमालय की तलहटी तक पाई जाती है। उन्हें एक कमजोर प्रजाति माना जाता है क्योंकि उनकी जनसंख्या के आकार के बारे में बहुत कम जानकारी है। स्थानीय चिर बोली में इन्हें खेफक के नाम से जाना जाता है। बाघों और आम तेंदुएं क्षेत्रीय रूप से विलुप्त हैं। ऐसे में बादल वाले तेंदुए क्षेत्र में सबसे बड़ी जंगली बिल्ली है। रिसर्चर्स ने कहा कि बादल वाले तेंदुओं को दूसरे की रहने वाली जगहों पर कब्जा करने वाले जानवर के रूप में जाना जाता है। रिसर्चर्स ने कम से कम दो वयस्कों और दो शावकों को देखा। कैमरे में कैद अन्य जानवरों में एशियाई काला भालू, पीले गले वाला मार्टन और स्टंप-टेल्ड मैकाक, असमिया मकाक अन्य शामिल हैं।
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