पश्चिम बंगाल की राजनीति में तूफान लाने वाले नारद स्टिंग घोटाले में गिरफ्तार ममता सरकार के 2 मंत्रियों सहित 4 नेताओं को आखिरकार शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी। इन्हें 12 दिन पहले यानी 17 मई को CBI ने गिरफ्तार किया था। पढ़िए पूरा घटनाक्रम...
कोलकाता, पश्चिम बंगाल. नारद स्टिंग मामले में गिरफ्तार ममता सरकार के 2 मंत्रियों, TMC के एक मौजूदा MLA और एक एक्स MLA को शुक्रवार को कलकत्ता हाईकोर्ट ने अंतरिम जमानत दे दी। ये चारों अभी हाउस अरेस्ट(नजरबंद) हैं। हाईकोर्ट की पांच सदस्यीय खंडपीठ ने इन नेताओं को 2-2 लाख रुपए का निजी बांड भरने का निर्देश दिया है।
बेल पर जब बंट गए थे जज
इससे पहले 21 मई को सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी इनकी जमानत पर एकमत नहीं हो सके थे। अरिजीत बनर्जी जमानत के पक्ष में थे, लेकिन राजेश बिंदल इसके खिलाफ। ऐसे में सभी को हाउस अरेस्ट(नजर बंद) किया गया था। बता दें कि इनकी जमानत के अलावा केस दूसरी जगह स्थानांतरित करने के मामले में कलकत्ता हाईकोर्ट में लगातार दो दिन से सुनवाई टल रही थी। पहले 19 मई और फिर 20 मई को सुनवाई नहीं हो सकी थी। इसके बाद मंत्री फिरहाद हाकिम और सुब्रत मुखर्जी के अलावा TMC विधायक मदन मित्रा और पूर्व TMC सोवन चटर्जी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। CBI ने इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को भी पक्ष बनाया है। उन पर धमकी देने का आरोप है। इसके अलावा कानून मंत्री मलय घटक और सांसद व वकील कल्याण बनर्जी को भी पक्ष बनाया है। उधर, TMC ने गिरफ्तारियों को गैर कानूनी बताते हुए CBI के खिलाफ FIR दर्ज करा रखी है।
17 मई को हुए थे गिरफ्तार
CBI ने 17 मई को इन चारों को गिरफ्तार किया था। निचली अदालत ने इन्हें जमानत दे दी थी, लेकिन CBI ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की, तो जमानत पर रोक लगा दी गई थी। इस पर आरोपियों ने पुनर्विचार की मांग की थी। इससे पहले CBI की ओर से भारत के सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल और न्यायमूर्ति अरिजीत बनर्जी की खंडपीठ से कहा था कि ममता बनर्जी के जांच एजेंसी के दफ्तर के बाहर धरना देने से परेशानी खड़ी हो गई थी। बता दें कि तृणमूल के समर्थकों ने CBI दफ्तर के बाहर पथराव भी किया था। जमानत निरस्त होने के बाद मंत्री सुब्रत मुखर्जी सहित मदन मित्रा और सोवन चटर्जी की कथिततौर पर तबीयत बिगड़ गई थी। उन्हें 18 मई की अलसुबह करीब 3 बजे एसएसकेएम अस्पताल के बुडबर्न ब्लॉक में भर्ती कराना पड़ा था।
CBI दफ्तर पर हंगामे के बाद ममता पर भी FIR
अपने नेताओं की गिरफ्तारी के बाद ममता बनर्जी सीबीआई दफ्तर जा पहुंची थीं। पीछे-पीछे बड़ी संख्या में तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता भी आ गए। इसके बाद कार्यकर्ताओं ने पथराव शुरू कर दिया। पुलिस ने लाठी चार्ज करके उन्हें वहां से खदेड़ा। इस हिंसा के बाद प्रदेश भाजपा अध्यक्ष ने ममता बनर्जी के खिलाफ FIR दर्ज करा दी। इस मामले में राज्यपाल ने भी ममता सरकार को कठघरे में खड़ा करते हुए पुलिस को नकारा साबित कर दिया।
मंत्रिमंडल के शपथ के साथ ही विवाद
ममता के मंत्रिमंडल के शपथ ग्रहण से पहले ही राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने नारद घोटाले में 4 नेताओं पर केस चलाने की अनुमति दे दी थी। इस मामले की जांच CBI कर रही है। बता दें कि ये नेता हैं फिरहाद हकीम, सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा और सोवन चटर्जी। इस मामले में भाजपा में शामिल होकर ममता बनर्जी को हरा चुके सुवेंदु अधिकारी का नाम भी शामिल था, लेकिन लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं दी थी।
यह है नारद घोटाला
2016 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले नारद न्यूज के सीईओ मैथ्यु सैमुअल ने एक स्टिंग वीडियो जारी किया था। इसमें वे एक कंपनी के प्रतिनिधि के तौर पर तृणमूल कांग्रेस के तत्कालीन 7 सांसदों, तीन मंत्रियों और कोलकाता नगर निगम के मेयर शोभन चटर्जी को काम कराने के एवज में रिश्वत देते नजर आ रहे थे। इस मामले ने राजनीति भूचाल ला दिया था। सीबीआई बंगाल में हुए शारदा, रोजवैली सहित कई चिटफंड घोटालों की जांच कर रही है, नारद उनमें एक है।