चीन-पाकिस्तान की सैन्य सांठगांठ मोदी 3.0 की बड़ी चुनौती, करना होगा सेना को भविष्य के लिए तैयार

रक्षा क्षेत्र में मोदी सरकार के लिए चीन और पाकिस्तान की बढ़ती सैन्य सांठगांठ बड़ी चुनौती है। भारत को अपनी सेनाओं को भविष्य के लिए तैयार करना होगा।

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 में जीत के बाद नरेंद्र मोदी तीसरी बार पीएम बन गए हैं। मंत्रिमंडल का गठन हो गया है। राजनाथ सिंह रक्षा मंत्री बने हुए हैं। रक्षा क्षेत्र में मोदी सरकार के लिए चीन और पाकिस्तान की बढ़ती सैन्य सांठगांठ बड़ी चुनौती है। चीन जमीनी सीमा के साथ समुद्री क्षेत्र में भी पाकिस्तान के साथ सैन्य गठजोड़ बढ़ा रहा है। यह निकट भविष्य में भारत की रक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बना रहेगा।

TOI की रिपोर्ट के अनुसार विशेषज्ञों ने बताया है कि नई सरकार को कई मोर्चों पर प्रयास करने होंगे। सुनिश्चित करना होगा कि भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता के साथ-साथ पारंपरिक युद्ध-लड़ने वाली मशीनरी भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहे। भारत को अपनी सेनाओं को भविष्य के लिए तैयार करना होगा।

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तीनों सेनाओं के लिए थिएटर कमांडों की स्थापना जरूरी

तीनों सेनाओं (थल सेना, वायुसेना और नौसेना) के लिए थिएटर कमांडों की स्थापना जैसे जरूरी सुधार लंबे समय से लंबित हैं। इन्हें समयबद्ध तरीके से लागू करना होगा। एक सख्त राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति तैयार करनी होगी। रक्षा क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास में अधिक निवेश करना होगा। DRDO और रक्षा क्षेत्र की अन्य सरकारी कंपनियों में सुधार करना होगा। निजी क्षेत्र के अधिक सहयोग लेना होगा और अधिक मजबूत रक्षा-औद्योगिक आधार का निर्माण करना होगा।

मजबूत करनी होगी परमाणु हथियार दागने की क्षमता

भारत को अधिक मजबूत परमाणु त्रिकोण (जमीन, हवा और समुद्र से परमाणु हथियार दागने की क्षमता) की आवश्यकता है। 5 हजार किलोमीटर से अधिक रेंज वाली अग्नि-5 सहित बैलिस्टिक मिसाइलों को अधिक संख्या में शामिल किए जाने की जरूरत है। भारत को अपनी पनडुब्बी झमता बढ़ानी होगी। परमाणु हमला करने वाले बैलिस्टिक मिसाइल ले जाने वाले बड़े सबमरीन की संख्या बढ़ानी होगी।

वर्तमान में भारत के पास 6 हजार टन की एक मात्र परमाणु पनडुब्बी आईएनएस अरिहंत है। इसे 750 किलोमीटर तक मार करने वाले K-15 मिसाइल से लैस किया गया है। सरकार को परमाणु ऊर्जा से चलने वाली 6 अटैक सबमरीन और एक तीसरा विमानवाहक पोत बनाने की लंबे समय से लंबित परियोजनाओं को भी शुरू करना चाहिए। इन्हें बनाने में एक दशक से अधिक समय लगेगा।

तीन थिएटर कमांड करना चाहिए लागू

सरकार को तीन प्रस्तावित थिएटर कमांड को लागू करना चाहिए। दो चीन और पाकिस्तान के साथ जमीन से लगी सीमाओं के लिए और एक हिंद महासागर क्षेत्र के लिए समुद्री कमान होगी। सेना, नौसेना और वायुसेना के बीच टुकड़ों में कदम उठाने के बजाय वास्तविक एकीकरण जरूरी हो गया है। अंतरिक्ष, साइबरस्पेस, विनाश करने वाली टेक्नोलॉजी और ऐसे अन्य क्षेत्रों में सैन्य क्षमताओं के निर्माण में अधिक जोर देने की आवश्यकता है।

पिछले दशक में एनडीए सरकार ने 'मेक इन इंडिया' नीति को सही तरीके से आगे बढ़ाया है। भारत अभी भी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान, एडवांस पनडुब्बियों, जेट इंजन और इस तरह की अन्य चीजों के निर्माण से बहुत दूर है। सेनाओं को लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों से लेकर एयर डिफेंस वाले हथियारों, एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलों और रात में लड़ने की क्षमताओं जैसे कई कमियों से जूझना पड़ रहा है।

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