
India UK FTA: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी यूनाइटेड किंगडम की दो दिवसीय यात्रा पर निकल गए हैं। यह यात्रा भारत-ब्रिटेन संबंधों में एक मील का पत्थर साबित होगी। इस दौरान 24 जुलाई को दोनों देश मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर साइन करेंगे।
मुक्त व्यापार समझौता भारत और यूके के बीच होने जा रहा द्विपक्षीय समझौता है। इसके अनुसार दोनों देश एक दूसरे के यहां से होने वाले आयात पर शून्य या कम से कम शुल्क लगाएंगे। इससे द्विपक्षीय व्यापार बढ़ेगा। वस्तुओं और सेवाओं पर लगाने वाला टैरिफ घटेगा। दोनों देशों के बीच निवेश और सहयोग आसान होगा। इस समझौते पर तीन साल से काम चल रहा है। बातचीत 2022 में शुरू हुई थी और 6 मई 2025 को समाप्त हुई।
ब्रिटेन फरवरी 2020 में यूरोपीय संघ से बाहर हुआ था। ब्रिटेन के अनुसार, यह समझौता उसके यूरोपीय संघ से निकलने के बाद उसका "सबसे बड़ा और आर्थिक रूप से सबसे महत्वपूर्ण" द्विपक्षीय समझौता है। भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2024 में 42.6 अरब पाउंड (4.97 लाख करोड़ रुपए से अधिक) का था। FTA पर साइन होने से 2040 तक इसमें सालाना 25.5 अरब पाउंड (2.9 लाख करोड़ रुपए) की वृद्धि होने की उम्मीद है।
यूके भारत से आयात होने वाले इन सामानों पर जीरो टैरिफ लगाएगा। कपड़ा पर लगने वाला शुल्क हटाने से भारत के विशाल वस्त्र उद्योग को लाभ होगा, इसमें लाखों लोग काम करते हैं। एफटीए से भारत को यूके के बाजार में अपने सामान बेचने में आसानी होगी। वहीं, यूके को भी भारत जैसे बड़े बाजार में अपने प्रोडक्ट कम शुल्क के साथ बेचने का मौका मिलेगा। भारत में रोल्स रॉयस और बेंटले जैसी ब्रिटिश ब्रांड की कारें सस्ती होंगी। ब्रिटिश शराब की कीमत भी घटेगी।
यूके के साथ FTA करने से भारतीय निर्यातकों को ब्रिटिश बाजार में अपने 99% उत्पादों के लिए शून्य-शुल्क पहुंच प्राप्त होगी। यह इंजीनियरिंग सामान, ऑटो कंपोनेंट, इलेक्ट्रिक वाहन और खेल के सामान जैसे क्षेत्रों के लिए महत्वपूर्ण है। भारतीय पेशेवरों और कंपनियों को 3 साल के लिए ब्रिटिश सामाजिक सुरक्षा योगदान से छूट मिलेगी। भारत में निवेश करने वाली ब्रिटिश कंपनियों को 'मेक इन इंडिया' नीति के तहत अधिक सुविधा मिल सकती है।
भारत ने स्थानीय किसानों और उत्पादकों की सुरक्षा के लिए कुछ कृषि उत्पादों को इस समझौते से बाहर रखा है। इसमें सेब, डेयरी और पनीर जैसे उत्पाद शामिल हैं। इसमें चरणबद्ध समय-सीमा भी शामिल है। व्हिस्की पर शुल्क चरणों में कम किया जाएगा। ऑटोमोटिव शुल्क में कटौती धीरे-धीरे होगी।