कौन है विक्रम लैंडर का पता लगाने वाला भारतीय इंजीनियर? नासा ने नाम लिया, सोशल मीडिया पर तारीफ

भारतीय इंजीनियर ने बताया कि, उन्होंने अपने रिस्क पर अलग से एक रिसर्च शुरू की थी क्योंकि उस समय भी नासा को खुद इसकी कोई जानकारी नहीं थी।

Asianet News Hindi | Published : Dec 3, 2019 6:01 AM IST / Updated: Dec 03 2019, 04:27 PM IST

मुंबई. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर को ढूंढ़ निकाला है। इसको तलाशने में एक भारतीय इंजीनियर और ब्लॉगर को नासा ने क्रडिट देकर तारीफ की है। चेन्ने के इंजीनियर शानमुगा सुब्रमण्यन ने इन तस्वीरों पर जमकर मेहनत की और दुर्घटनाग्रस्त हुए चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर के मलबे का पता लगा लिया। हालांकि शान बताते हैं कि उन्होंने अपने रिस्क पर अलग से एक रिसर्च शुरू की थी क्योंकि उस समय भी नासा को खुद इसकी कोई जानकारी नहीं थी।

शान ने नासा को इसके लिए सूचित किया और कुछ समय में नासा ने इसकी पुष्टि कर दी। नासा ने शानमुगा के इस सहयोग के लिए उन्हें शुक्रिया कहते हुए उनकी तारीफ की है। इसके लिए बकायदा शान को लेटर भेजकर क्रेडिट दिया गया है और देरी के लिए माफी भी मांगी गई है।

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कौन है ये इंजीनियर- 

शान मकैनिकल इंजीनियर और कंप्यूटर प्रोग्रामर हैं। फिलहाल वह चेन्नै में ही लेनॉक्स इंडिया टेक्नोलॉजी सेंटर में टेक्निकल ऑर्किटेक्ट के तौर पर काम कर रहे हैं। 7 सितंबर 2019 को हुई विक्रर लैंडर की चांद पर हुई हार्ड लैंडिंग के इस पहलू की खोज करके शान ने बड़ा योगदान दिया है।

खुद से शुरू की रिसर्च-

शान मदुरै के रहने वाले हैं और इससे पहले कॉन्निजेंट जैसी कंपनियों में भी काम कर चुके हैं। विक्रम लैंडर के मलबे के बारे में पता लगाने के लिए शान ने नासा के लूनर रेकॉन्सेन्स ऑर्बिटर (एलआरओ) द्वारा ली गई तस्वीरों पर काम किया। ये तस्वीरें 17 सितंबर, 14, 15 अक्टूबर और 11 नवंबर को ली गई थीं। उन्होंने अपने रिस्क पर अलग से एक रिसर्च शुरू की थी। जबकि उस समय नासा को भी लैंडर की कोई जानकारी नहीं थी।

नासा ने क्रेडिट भी दिया

शान ने अपनी इस खोज के बाद इस बारे में नासा को भी बताया। नासा ने कुछ समय में शान की खोज की पुष्टि भी कर दी। उनकी खोज की पुष्टि करते हुए नासा के डेप्युटी प्रॉजेक्ट साइंटिस्ट (एलआरओ मिशन) जॉन केलर ने शान को लिखा, 'विक्रम लैंडर के मलबे की खोज के संबंध में आपके ईमेल के लिए शुक्रिया। एलआओसी टीम ने कंफर्म किया है कि बताई गई लोकेशन पर लैंडिंग से पहले और बाद में बदलाव दिख रहा है। इसी जानकारी का इस्तेमाल करते हुए एलआरओसी टीम ने उसी इलाके में और खोजबीन तो प्राइमरी इंपैक्ट वाली जगल के साथ मलबा भी मिला। नासा और एएसयू ने इस बारे में घोषणा के साथ-साथ आपको क्रेडिट भी दिया है।'

देरी के लिए मांगी माफी- 

शान को उनकी मेहनत के लिए बधाई देते हुए जॉन केलर ने आगे लिखा है, 'आपने इतनी मेहनत और समय लगाकर जो काम किया, उसके लिए बधाई। हम ज्यादा समय लेने के लिए माफी चाहते हैं क्योंकि हमें इसका ऐलान करने के लिए पूरी तरह से संतुष्ट होना था और यह भी सुनिश्चित करना था कि सभी भागीदार इसपर अपनी टिप्पणी दें।' 

नासा के दावे के मुताबिक चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर का मलबा उसके क्रैश साइट से 750 मीटर दूर मिला है। मलबे के तीन सबसे बड़े टुकड़े 2x2 पिक्सेल के हैं। NASA ने रात करीब 1:30 बजे विक्रम लैंडर के इम्पैक्ट साइट की तस्वीर जारी करते हुए बताया कि उसके ऑर्बिटर को विक्रम लैंडर के तीन टुकड़े मिले हैं। चंद्रयान लॉन्चिंग के समय लैंडर से संपर्क टूट गया था। 

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