National Helpline 14566: Sc/St के खिलाफ अत्याचार रोकने सरकार ने लॉन्च की हेल्पलाइन

अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति(scheduled caste and tribe) पर अत्याचार के खिलाफ राष्ट्रीय हेल्पलाइन-14566(National Helpline) की शुरूआत की है। इस हेल्पलाइन तक पूरे देश में किसी भी दूरसंचार ऑपरेटर के मोबाइल या लैंड लाइन नंबर के माध्यम से वॉयस कॉल/वीओआइपी द्वारा पहुंचा जा सकता है।

Asianet News Hindi | Published : Dec 14, 2021 10:01 AM IST / Updated: Dec 14 2021, 03:37 PM IST

नई दिल्ली. सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय ने अत्याचार के खिलाफ एक राष्ट्रीय हेल्पलाइन (NHAA) की शुरुआत की है। यह हेल्पलाइन हिंदी, अंग्रेजी और राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की क्षेत्रीय भाषाओं में पूरे देश में टोल-फ्री नंबर "14566" पर 24 घंटे उपलब्ध है।

पहुंचने का तरीका
इस हेल्पलाइन तक पूरे देश में किसी भी दूरसंचार ऑपरेटर के मोबाइल या लैंड लाइन नंबर के माध्यम से वॉयस कॉल/ वीओआइपी द्वारा पहुंचा जा सकता है। यह वेब आधारित सेल्फ सर्विस पोर्टल के रूप में भी उपलब्ध है।

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मुख्य उद्देश्य
यह अत्याचार निवारण अधिनियम, 1989 और नागरिक अधिकार संरक्षण (पीसीआर) अधिनियम, 1955 के विभिन्न प्रावधानों के बारे में सूचित करता है, जागरूकता उत्पन्न करना है,जिनका उद्देश्य भेदभाव को समाप्त करना और सभी लोगों को सुरक्षा प्रदान करना है। हेल्पलाइन यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक शिकायत को प्रॉयोरिटी के रूप में रजिस्टर्ड किया जाए और पीड़ितों को राहत प्रदान की जाए, सभी पंजीकृत शिकायतों की जांच की जाए और दायर किए गए सभी आरोपपत्रों पर न्यायालयों द्वारा निर्णय लेने के लिए मुकदमा चलाया जाए। यह सब अधिनियम में दी गई समय सीमा की भीतर होगा।

शिकायत निवारण और ट्रैकिंग प्रणाली      
पीओए अधिनियम, 1989 और पीसीआर अधिनियम, 1955 का अनुपालन न करने के संबंध में पीड़ित/शिकायतकर्ता/गैर सरकारी संगठनों से प्राप्त प्रत्येक शिकायत के लिए एक कार्य-सूची नंबर प्रदान किया जाता है। शिकायतकर्ता/एनजीओ अपनी शिकायत की स्थिति को ऑनलाइन भी देख सकते हैं।

जागरुकता निर्माण
किसी भी पूछताछ का जवाब आईवीआर या ऑपरेटरों द्वारा हिंदी, अंग्रेजी और क्षेत्रीय भाषाओं में दिया जाता है।

ऑटोमेटिक रिस्पांस और फीडबैक प्रणाली
पीड़ित से संबंधित पीओए अधिनियम, 1989 और पीसीआर अधिनियम, 1955 के प्रत्येक प्रावधान की निगरानी की जाती है और संदेश/ई-मेल के रूप में राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के कार्यान्वयन प्राधिकारियों के साथ संचार/स्मरणपत्र देकर अनुपालन सुनिश्चित किया जाता है। इस हेल्पलाइन में एकल संपर्क बिंदु की अवधारणा को अपनाया गया है और इसमें एक कुशल फीडबैक प्रणाली भी है।

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