करीब 900 किलोमीटर लंबी चारधाम सड़क परियोजना (Chardham Road Project) सामरिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है, जिसकी लागत करीब 12 हजार करोड़ रुपए आने का अनुमान है। इस परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड (Uttrakhand) के चार पवित्र शहरों - यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को हर मौसम में कनेक्टिविटी देना है।
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मंगलवार को उत्तराखंड (Uttrakhand) में सामरिक रूप से अहम चारधाम राजमार्ग परियोजना (Chardham) के तहत बन रही सड़कों को दो लेन तक चौड़ी करने की मंजूरी दे दी। सरकार ने कोर्ट में कहा कि यह सड़कें सामरिक रूप से महत्वपूर्ण हैं, जिस पर जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विक्रम सेठ की पीठ ने कहा कि हम सशस्त्र बलों की जरूरतों का अनुमान नहीं लगा सकते, लेकिन सीमा सुरक्षा चिंताओं पर ध्यान देने जरूरत है। हाल के दिनों में राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गंभीर चुनौतियां देखी गई हैं। ऐसे में सैनिकों और हथियारों की आवाजाही आसान होनी चाहिए। कोर्ट ने सड़क निर्माण को मंजूरी देते हुए पीठ ने इसकी निगरानी के लिए जस्टिस (रिटायर्ड) एके सीकरी की अध्यक्षता में समिति गठित कर दी। यह समिति परियोजना की पूरी रिपोर्ट सीधे कोर्ट को देगी। करीब 900 किलोमीटर लंबी चारधाम सड़क परियोजना सामरिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है, जिसकी लागत करीब 12 हजार करोड़ रुपए आने का अनुमान है। इस परियोजना का उद्देश्य उत्तराखंड के चार पवित्र शहरों - यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को हर मौसम में कनेक्टिविटी देना है।
सुप्रीम कोर्ट क्यों पहुंचा मामला
बताया जा रहा है कि इस प्रोजेक्ट के तहत 25 हजार पेड़ों की कटाई हो चुकी है। पर्यावरणविदों ने इस पर चिंता जताई है। सिटिजन फॉर ग्रीन दून नीम के NGO ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के 26 सितंबर 2018 के आदेश के बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। उसने दावा किया था कि इस परियोजना से पहाड़ी क्षेत्र में होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं की जा सकेगी। इस बीच, कई पर्यावरणविदों ने उत्तराखंड में आई आपदाओं का कारण यहां प्रकृति से हो रही छेड़छाड़ और निर्माण कार्यों को बताया था।
पहले 5.5 मीटर चौड़ाई रखने के दिए थे आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने 8 सितंबर, 2020 के एक आदेश दिया था, जिसके बाद सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय को चारधाम राजमार्ग प्रोजेक्ट की चौड़ाई 2018 में निर्धारित की गई 5.5 मीटर ही रखने को कहा गया था। इस आदेश में संशोधन का अनुरोध करने के लिए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस पर मंगलवार को सुनवाई हुई। यह सड़क चीन (तिब्बत) की सीमा तक जाती है।
सरकार ने कहा - भूस्खलन और अन्य आपदाओं पर कदम उठा रहे
सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से बताया गया कि प्रोजेक्ट के कारण हिमालयी क्षेत्रों में भूस्खलन की चिंताओं को दूर करने के जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं। आपदाओं को रोकने की कोशिशों के लिए काम जारी है। सरकार ने कहा कि भूस्खलन के लिए सिर्फ सड़क निर्माण जिम्मेदार नहीं है।
चीन का हवाला देकर कहा- हमारे सैनिकों के लिए निर्माण जरूरी
कोर्ट में यह मुद्दा काफी समय से चल रहा है। आज की सुनवाई से पहले केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में चीन की तरफ से किए गए निर्माण की तस्वीरें दी थीं। उसने बताया था कि चीन की तरफ से हवाई पट्टी, हेलीपैड, टैंकों, सैनिकों के लिए बिल्डिंग्स और रेलवे लाइनों का निर्माण किया जा रहा है। टैंक, रॉकेट लांचर और तोप ले जाने वाले ट्रकों को इन सड़कों से गुजरना पड़ सकता है, इसलिए सड़क की चौड़ाई 10 मीटर की जानी चाहिए। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा था कि अदालत यह जानती है कि 1962 में क्या हुआ था। हमें सशस्त्र बलों को स्थिति पर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए। हमारे सैनिकों को सीमा तक पैदल चलना पड़ा था।
क्या है चारधाम प्रोजेक्ट
चारधाम प्रोजेक्ट का उद्देश्य सभी मौसम में पहाड़ी राज्य के चार पवित्र स्थलों यमुनोत्री, गंगोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ को जोड़ना है। इस प्रोजेक्ट के पूरा हो जाने के बाद हर मौसम में चारधाम की यात्रा की जा सकेगी। इस प्रोजेक्ट के तहत 900 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण हो रहा है। अभी तक 400 किमी सड़क का चौड़ीकरण किया जा चुका है। प्रोजेक्ट पर 12 हजार करोड़ की लागत आने का अनुमान है।
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