हर साल 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस मनाया जाता है। यह दिवस 4 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है, इसके पीछे की कहानी 48 साल पुरानी है। यानी 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना के जवानों ने पाकिस्तान की जल सीमा में घुसकर कराची बंदरगाह को तबाह कर दिया था।
नई दिल्ली. हर साल 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस मनाया जाता है। यह दिवस 4 दिसंबर को क्यों मनाया जाता है, इसके पीछे की कहानी 48 साल पुरानी है। यानी 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना के जवानों ने पाकिस्तान की जल सीमा में घुसकर कराची बंदरगाह को तबाह कर दिया था।
दरअसल, 1971 में जब पाकिस्तान ने भारत की सीमा में हमला किया था। इसके जवाब में भारतीय नौसेना ने पाकिस्तान पर मुंहतोड़ कार्रवाई की थी। भारतीय नौसेना ने इस ऑपरेशन को ऑपरेशन ट्राइडेंट का नाम दिया था।
भारतीय नौसेना ने 1971 में 4 दिसंबर की रात को इस ऑपरेशन को अंजाम दिया था। भारत की जवाबी कार्रवाई में कराची में स्थित पाकिस्तान नौसेना मुख्यालय पूरी तरह से नष्ट हो गया था। इस ऑपरेशन में पहली बार एंटी-शिप मिसाइल का इस्तेमाल किया गया था। इस उपलब्धी को याद रखने के लिए ही हर साल 4 दिसंबर को नौसेना दिवस मनाया जाता है।
नौसेना ने इंदिरा से मांगी थी हमले की इजाजत
भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 की जंग शुरू होने से पहले अक्टूबर में नेवी के एडमिरल एसएम नंदा ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने नौसेना की तैयारियों बारे में इंदिरा को जानकारी दी। साथ ही उन्होंने कराची नौसेना अड्डे पर हमले की भी इजाजत मांगी। उन्होंने पूछा कि अगर हम हमला करते हैं तो क्या इससे सरकार को कोई राजनीतिक आपत्ति तो नहीं होगी।
'इफ देयर इज अ वार, देअर इज अ वार'
शुरुआत में तो इंदिरा गांधी ने एडमिरल की अनुमति पर आपत्ति जताई। उन्होंने पूछा कि ऐसा क्यों कर रहे हैं। नंदा ने कहा कि 1965 में नौसेना को कहा गया था कि भारतीय समुद्री सीमा के बाहर कार्रवाई ना करें। इंदिरा थोड़ी देर के लिए रुकती हैं और कहती हैं, वेल एडमिरल, इफ देयर इज अ वार, देअर इज अ वार।
पाकिस्तान को पहुंचा था बड़ा नुकसान
भारत द्वारा हुए इस हमले से पाकिस्तान को काफी नुकसान पहुंचा। 4 दिसंबर के हमले में भारत ने पाक के चार जंगी जहाजों को डुबो दिया। साथ में कराची बंदरगाह में ईंधन भंडार को भी काफी नुकसान पहुंचा था। इस दौरान पाकिस्तानी नौसेना के 500 से ज्यादा जवानों की मौत हो गई थी।