अगर आप अंधेरे में स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं, तो अलर्ट हो जाएं! हैदराबाद की एक महिला को रात में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने की ऐसी लत लगी कि उसने अपनी आंखों का ख्याल नहीं रखा, नतीजा; उसकी आंखों की रोशनी जाते-जाते बची।
हैदराबाद. अगर आप अंधेरे में स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं, तो अलर्ट हो जाएं! हैदराबाद की एक महिला को रात में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने की ऐसी लत लगी कि उसने अपनी आंखों का ख्याल नहीं रखा, नतीजा; उसकी आंखों की रोशनी जाते-जाते बची (woman loses eyesight after using her smartphone in dark)। हैदराबाद के जाने-माने न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. सुधीर कुमार(Neurologist Dr. Sudhir) ने अपने twitter थ्रेड(Twitter thread) में यह खुलासा किया है। पढ़िए अलर्ट करती न्यूज...
1. डॉ. सुधीर ने अपने ट्वीटर थ्रेड पर खुलासा किया कि कैसे एक 30 वर्षीय महिला ने रात में अंधेरे कमरे में अपने स्मार्टफोन के इस्तेमाल की लत के कारण अपनी आंखों की रोशनी को नुकसान पहुंचाया है।
2.अपने ट्विटर थ्रेड में, डॉ. सुधीर ने खुलासा किया कि मंजू नाम की एक मरीज उनके पास फ्लोटर्स दिखने(आंखों के अंदर जेली यानी कांच जैसे कण, जो सिकुड़ते रहते हैं), प्रकाश की तीव्र चमक, डार्क ज़िगज़ैग पैटर्न और कभी-कभी वस्तुओं पर दृष्टि या एकाग्रता की कमी के लक्षणों की समस्या लेकर आई थी।
3.डॉक्टर के अनुसार, जब वह मेडिकल एग्जामिनेशन से गुजरी, तो पता चला कि वह स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम (SVS) से पीड़ित है, जिससे अंधेपन सहित आंखों से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं।
4.डॉक्टर के अनुसार, उसकी आंखों की रोशनी कम होने का कारण उसकी अंधेरे में अपने फोन पर बहुत समय बिताने की आदत थी। लगभग डेढ़ साल से उसे यह लत लगी हुई थी।
5. डॉक्टर ने लिखा-"मैंने उसकी हिस्ट्री का रिव्यू किया। महिला अपने स्पेशली एबल्ड चाइल्स बच्चे की देखभाल के लिए ब्यूटीशियन की नौकरी छोड़ चुकी थी। तब से उसमें ये लक्षण शुरू हो गए थे।
6. डॉक्टर ने कहा-उसने अपने स्मार्टफोन के माध्यम से रोजाना कई घंटों तक ब्राउज़ करने की एक नई आदत अपनाई, जिसमें रात में लाइट आफ होने के बाद करीब 2 घंटे भी शामिल हैं।"
7. डॉक्टर ने कहा कि हालांकि, उसकी दिनचर्या पर ध्यान देने के बाद उसे दवा लेने की सलाह दी और उसे अपना स्क्रीन टाइम कम करने के लिए कहा गया। रेग्युलर दवा लेने और स्मार्टफोन से दूरी बनाए रखने के बाद उसके विजन में सुधार हो रहा था।
8. डॉक्टर ने लिखा कि एक महीने के रिव्यू में मंजू बिल्कुल ठीक थी। उसकी 18 महीने का जो विजन लॉस हुआ था, वो रिवकर हो गया। अब, उसका विजन सामान्य है। उसने कोई फ्लोटर्स या प्रकाश की चमक नहीं देखी। इसके अलावा रात में उसके विजन की क्षणिक हानि भी बंद हो गई।
9. डॉक्टर ने कहा कि इससे उनका संदेश साबित हुआ। मंजू का सही समय पर इलाज किया गया था, लेकिन यह चिंताजनक है कि बहुत से लोग स्मार्टफोन विजन सिंड्रोम (एसवीएस) या कंप्यूटर विजन सिंड्रोम (सीवीएस) या डिजिटल विजन सिंड्रोम से पीड़ित हैं।
10. डॉ. सुधीर ने अलर्ट किया कि आगे जो चीज गंभीर बनाती है, वह यह है कि यह सिंड्रोम आंशिक या पूर्ण दृष्टि के नुकसान का कारण भी बन सकता है। हालांकि दवा और जीवनशैली में बदलाव से कोई भी ठीक हो सकता है, फिर भी जिम्मेदारी के साथ स्मार्टफोन का उपयोग करने की जरूरत है।
11.मोबाइल एनालिटिक्स फर्म, data.ai (formerly App Annie) के अनुसार, भारत में स्मार्टफोन की औसत खपत अवधि 2021 में बढ़कर 4.7 घंटे प्रतिदिन हो गई थी, जो 2020 में 4.5 घंटे और 2019 में 3.7 घंटे थी। डिजिटल उपकरणों से नीली रोशनी का असर अंधेरे कमरे में कम रोशनी में स्मार्टफोन इस्तेमाल करने वालों के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं। ये फिजिकल और मेंटल दोनों की हेल्थ के लिए ठीक नहीं है।
12. डॉक्टर कहते हैं कि मौजूदा लाइफस्टाइल और वर्किंग में स्मार्टफोन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, लेकिन स्क्रीन टाइम को नियंत्रित करने और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने की अत्यधिक सलाह दी जाती है।
13. डॉक्टर उदाहरण देते हैं-ज़ेन मोड चालू करने से आपको अपने स्मार्टफोन से दूर रहने में मदद मिलेगी। ब्लू लाइट फिल्टर चालू करने से आपको अपनी आंखों पर तनाव कम करने में मदद मिलेगी। टाइमर सेट करें और हर 20 से 30 मिनट में स्क्रीन से ब्रेक लें। व्यायाम करना शुरू करें और उस स्मार्टवॉच को उपयोग में लाएं।
14.डॉ. सुधीर के अनुसार "डिजिटल डिवाइसेज की स्क्रीन को लंबे समय तक देखने से बचें, क्योंकि इससे गंभीर और अक्षम दृष्टि संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। 20 सेकंड का ब्रेक लें। हर 20 मिनट में, 20 फीट दूर किसी चीज को देखने के लिए उपयोग करें।
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