Antilia case: NIA ने पुलिस अफसर सचिन वझे को गिरफ्तार किया, कार में विस्फोटक के मामले में हुए अरेस्ट

राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई की। NIA ने Antilia case में मुंबई पुलिस के असिस्टेंट इंस्पेक्टर सचिन वझे को गिरफ्तार कर लिया। जांच एजेंसी का कहना है कि वझे को एंटीलिया के पास कार में मिले विस्फोटकों के मामले में गिरफ्तार किया गया है।

मुंबई. राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई की। NIA ने Antilia case में मुंबई पुलिस के असिस्टेंट इंस्पेक्टर सचिन वझे को गिरफ्तार कर लिया। जांच एजेंसी का कहना है कि वझे को एंटीलिया के पास कार में मिले विस्फोटकों के मामले में गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले सचिन वझे को ठाणे की सेशन कोर्ट से बड़ा झटका लगा। कोर्ट ने वझे की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी। 

कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि शुरुआती जांच में सचिन वझे के खिलाफ कुछ सबूत मिले हैं। दरअसल, एंटीलिया केस और कार मालिक मनसुख हिरेन की मौत के मामले में सचिन वझे पर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही थी, ऐसे में गिरफ्तारी से  बचने के लिए वझे ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। 

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क्या है मामला?
25 फरवरी को मुकेश अंबानी के घर Antilia के पास एक संदिग्ध कार में विस्फोटक सामग्री मिली थी। एंटीलिया से 200 मीटर की दूरी पर SUV कार में जिलेटिन की 20 छडें मिली थीं। वहीं, 6 मार्च को स्कोर्पियो के मालिक और ठाणे के व्यापारी मनसुख हिरेन का शव संदिग्ध अवस्था में मिला था। महाराष्ट्र सरकार ने इस मामले में जांच एटीएस को सौंप दी है। एटीएस ने इस मामले में हत्या और आपराधिक साजिश रचने का केस दर्ज किया है। वहीं, एंटीलिया के पास विस्फोटक मिलने के मामले में एनआईए जांच कर रही है।

मनसुख की पत्नी ने सचिन वझे पर लगाया हत्या का आरोप 
मनसुख हिरेन की पत्नी ने दावा किया है कि मनसुख की हत्या क्राइम इंटेलिजेंस यूनिट के हेड सचिन वझे ने की। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विमला हिरेन का शिकायत पत्र विधानसभा में पढ़ा था। उन्होंने मनसुख की मौत को साजिश करार देते हुए सचिन वझे को गिरफ्तार करने की मांग भी की। वहीं, इस मामले में भाजपा लगातार राज्य सरकार पर निशाना साध रही है। 

दुनिया को अलविदा कहने का समय नजदीक- सचिन वझे
वझे ने अपने व्हाट्सएप स्टेटस पर अपनी जिंदगी खत्म करने का संकेत दिया है। उनके व्हाट्सएप स्टेटस के मुताबिक, 3 मार्च 2004। CID के साथी अधिकारियों ने मुझे झूठे केस में गिरफ्तार किया। यह अब तक अनिर्णायक है। इतिहास को दोहराया जा रहा है। मेरे साथी अधिकारी मुझे गलत तरीके से फंसा रहे हैं। अबकी बार थोड़ा अंतर है। तब शायद मेरे पास 17 साल की आशा, धैर्य, जीवन और सेवा भी थी। अब मेरे पास न तो 17 साल का जीवन है और न ही सेवा और न ही जीने के लिए धैर्य। मुझे लगता है कि दुनिया को अलविदा कहने का समय नजदीक आ रहा है।

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