निर्भया गैंगरेप केस में दोषी मुकेश सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। दोषी के वकील ने कहा कि जल्दबाजी में दया याचिका खारिज की गई। सुनवाई के बाद मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। बुधवार को फैसला सुनाया जाएगा।
नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप केस में दोषी मुकेश सिंह की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मुकेश के वकील अंजना प्रकाश ने कहा कि 14 जनवरी को दया याचिका लगाई गई और 17 जनवरी को खारिज कर दी गई। मुकेश के खिलाफ रेप और हत्या के सबूत नहीं थे। राष्ट्रपति ने इस पर गौर किए बिना दया याचिका खारिज कर दी। तब कोर्ट ने कहा कि इन बातों को पहले ही तीन कोर्ट सुन चुके हैं। राष्ट्रपति ने उनका फैसला पढा होगा। मुकेश सिंह ने दया याचिका खारिज होने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी और डेथ वॉरंट को निरस्त करने की मांग की थी। फिलहाल सुनवाई के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया है, बुधवार को फैसला सुनाया जाएगा।
"मुकेश को अक्षय के साथ संबंध बनाने को मजबूर किया गया"
कोर्ट में दोषी के वकील ने कहा, मुकेश को निर्भया केस के एक अन्य दोषी अक्षय के साथ जेल में संबंध बनाने को मजबूर किया गया।
"माफी का अधिकार किसी की व्यक्तिगत कृपा नहीं"
सुनवाई के दौरान दोषी मुकेश के वकील अंजना प्रकाश ने कहा, माफी का अधिकारी किसी की व्यक्तिगत कृपा नहीं है। यह संविधान के तहत दोषी को मिला अधिकार है। राष्ट्रपति को मिले माफी के अधिकार को बहुत जिम्मेदारी से पालन करना जरूरी है।
"आप किसी के जीवन के साथ खेल रहे हैं"
वकील ने कोर्ट में कहा, आपको हर कदम पर अपना दिमाग लगाना होगा। आप किसी के जीवन के साथ खेल रहे हैं (दया याचिका के संबंध में राष्ट्रपति द्वारा प्रदत्त शक्तियों पर)। जेल आने के बाद मुकेश को बेरहमी से पीटा गया।
तीन दोषियों के पास दया याचिका का विकल्प
मुकेश के अलावा तीन दोषियों पवन, अक्षय और विनय के पास दया याचिका का विकल्प बचा है। 1 फरवरी को फांसी दी जानी है, उससे पहले 31 जनवरी की दोपहर 12 बजे तक तीनों दोषी दया याचिका भेज सकते हैं। मुकेश की दया याचिका को राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को खारिज कर दिया था। अगर राष्ट्रपति दया याचिका खारिज भी कर देते हैं तो दोषियों को 14 दिन का वक्त देना होगा। ऐसे में कम ही संभावना है कि दोषियों को एक फरवरी को फांसी हो।
गैंगरेप के 13 दिन बाद निर्भया ने दम तोड़ दिया था
दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया।
- पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।