निर्भया के चार दोषियों में से एक मुकेश ने दया याचिका खारिज करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी, जिसपर कोर्ट ने कहा कि जल्द ही इसपर सुनवाई की जाए। ऐसे मामलों को रोका नहीं जा सकता है।
नई दिल्ली. निर्भया के चार दोषियों में से एक मुकेश ने दया याचिका खारिज करने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी, जिसपर कोर्ट ने कहा कि अगर किसी को फांसी दी जाने वाली है तो इससे (सुनवाई) अधिक जरूरी कुछ नहीं हो सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश के वकील से इसके लिए तुरंत रजिस्ट्री से संपर्क करने के लिए कहा। निर्भया केस में कुल 6 दोषी थे, जिसमें से एक (मुख्य दोषी राम सिंह) ने जेल के अंदर ही आत्महत्या कर ली। एक को नाबालिग होने की वजह से 3 साल की सजा के बाद रिहा कर दिया गया। अभी चार दोषी मुकेश, पवन, विनय और अक्षय को फांसी दी जानी है।
17 जनवरी को खारिज हुई थी दया याचिका
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को दोषी मुकेश सिंह की दया याचिका ठुकरा दी थी। इसके बाद ही निर्भया के 4 दोषियों में से एक मुकेश ने दया याचिका खारिज होने की न्यायिक समीक्षा की मांग की है।
1 फरवरी को दी जानी है फांसी
दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के चार दोषियों का डेथ वॉरंट निकाला है। एक फरवरी की सुबह 6 बजे चारों को मौत दी जाएगी। इससे पहले 22 जनवरी को मौत की तारीख तय की गई थी, लेकिन एक दोषी की याचिका की वजह से तारीख टालनी पड़ी।
16-17 दिसंबर की रात निर्भया के साथ क्या हुआ था?
दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।