सोते वक्त भी जलती है सेल की लाइट, नहीं होता अंधेरा...मौत से पहले ऐसे कट रहे निर्भया के दोषियों के दिन

निर्भया के चारों दोषियों को 1 फरवरी को फांसी होनी है, उससे पहले तिहाड़ जेल में उनपर (दोषियों) कड़ी नजर रखी जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोषियों को जेल नंबर 3 के अलग-अलग सेल्स में रखा गया है।  

Asianet News Hindi | Published : Jan 27, 2020 12:20 PM IST / Updated: Jan 28 2020, 10:48 AM IST

नई दिल्ली. निर्भया के चारों दोषियों को 1 फरवरी को फांसी होनी है, उससे पहले तिहाड़ जेल में उनपर (दोषियों) कड़ी नजर रखी जा रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोषियों को जेल नंबर 3 के अलग-अलग सेल्स में रखा गया है। खास बात यह है कि चारों दोषियों को एक सेल में दो दिन से ज्यादा नहीं रखा जाता है। इनके सेल बदल दिए जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि प्रशासन को डर है कि कहीं यह भी मुख्य दोषी राम सिंह की तरह सुसाइड न कर लें।

टॉयलेट करने अकेले नहीं जाने देते

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक चारों दोषियों पर इतनी कड़ी नजर रखी जा रही है कि इन्हें अकेले टॉयलेट के लिए भी नहीं जाने दिया जाता है। इसके अलावा जब भी नए सेल में इन्हें शिफ्ट किया जाता है, उससे पहले उस सेल की पूरी छानबीन की जाती है। जेल नंबर 3 के बाहर 40 से ज्यादा पुलिस के जवानों को तैनात किया गया है। वहीं जहां यह बंद हैं वहां भी पुलिस की कड़ी तैनाती हैं।

रात में नहीं करते हैं अंधेरा
जेल प्रशासन ने सख्त हिदायत दी है कि जहां पर दोषियों को रखा गया है वहां रात के वक्त भी अंधेरा न रखा जाए। वहां चौबीसों घंटे लाइट रहती है, जिससे से वहां तैनात पुलिसकर्मी दोषियों पर नजर रख सके। 
 
दोषी विनय पूरी रात अपनी मां को याद करता है
निर्भया का दोषी विनय पेंटिंग बनाकर अपने दिन काट रहा है। वह पूरी रात सोता नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक विनय अपनी मां से बहुत प्यार करता है। उसने मां के लिए बनाई पेंटिंग में लिखा है कि आपको बहुत याद करता हूं। वह पूरी रात बस अपनी मां की हो याद करता है।

निर्भया के साथ क्या हुआ था?
दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। 

13 दिन बाद निर्भया ने दम तोड़ दिया था
पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।

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