निर्भया की वकील ने बताया, आखिर क्यों किसी भी हालत में नहीं टलेगी फांसी, 20 मार्च को ही दी जाएगी मौत

निर्भया के 3 दोषी अक्षय, पवन और विनय ने फांसी से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में अपील की है। उन्होंने फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग की है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे दी जाने वाली फांसी टल जाएगी।

Vikas Kumar | Published : Mar 16, 2020 3:12 PM IST / Updated: Apr 08 2020, 11:53 PM IST

नई दिल्ली. निर्भया के 3 दोषी अक्षय, पवन और विनय ने फांसी से बचने के लिए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में अपील की है। उन्होंने फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग की है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे दी जाने वाली फांसी टल जाएगी। इस सवाल पर Asianet News ने निर्भया की वकील सीमा कुशवाहा से बात की। उन्होंने बताया, नहीं। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय से दोषियों की फांसी पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। चारों को 20 मार्च की सुबह 5.30 बजे ही फांसी होगी।   

सवाल- आखिर क्यों अंतरराष्ट्रीय न्यायालय की वजह से निर्भया के दोषियों की फांसी नहीं रुकेगी?
जवाब- "एनआरआई के जरिए निर्भया के दोषियों ने अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में याचिका लगाई गई है। 20 तारीख की फांसी पर इसका कोई असर नहीं पड़ेगा। अगर कानूनी रूप से देखा जाए तो भारत अपने आंतरिक निर्णय खुद लेता है, जिसमें किसी का हस्तक्षेप नही होता है। चाहे वह कोई अंतरराष्ट्रीय संस्था हो। या कोई देश हो। कोई भी कंट्री या इंटरनेशनल आर्गेनाइजेशन हस्तक्षेप नहीं कर सकता है। 

Latest Videos

सवाल- निर्भया के दोषियों की याचिका पर अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में सुनवाई होगी या नहीं?
जवाब- निर्भया के दोषी अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में गए तो हैं, लेकिन मुझे लगता है कि उनकी सुनवाई ही नहीं होगी। अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में किसी दो कंट्री के विवाद की सुनवाई होती है। जो पार्टी बनकर जाती हैं। अंतरराष्ट्रीय कोर्ट के जो जजमेंट होते हैं उन्हें इनफोर्स कराने के लिए कोई संस्था नहीं है। उन्हें जबरदस्ती लागू नहीं किया जा सकता है। कहीं से भी, किसी भी तरीके से 20 मार्च की फांसी पर असर नहीं पड़ेगा।

सवाल- दोषियों की अभी और भी कोई याचिका बची है, जिसकी वजह से फांसी की तारीख टल सकती है?
जवाब- कोई भी अपील नहीं बची है। ट्रायल कोर्ट से सुना गया। हाईकोर्ट से सुना गया। सुप्रीम कोर्ट से सुना गया। मर्सी रिजेक्ट हो चुकी है। इसके बाद भी इनरिलेवेंट पिटीशन मूव कर रहे हैं। इसके कोई मायने नहीं है। इसलिए हाईकोर्ट में जो पिटीशन मूव की है उसकी अभी तक लिस्टिंग भी नहीं हुई है। आज सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन लगी थी उसपर सुनवाई हुई। तो सुप्रीम कोर्ट ने यह कहकर एमएल शर्मा को बोला कि आप इसको विदड्रॉ कर रहे हैं पिटीशन। या हम रिजेक्ट करें। अब कोई उसमें ग्राउंड नहीं था। इसलिए किसी भी तरीके से 20 मार्च की फांसी पर रोक नहीं लगेगी। उसपर कोई भी इम्पेक्ट नहीं पड़ेगा।
 
सवाल- निर्भया की मां ने इच्छा जाहिर की थी कि चारों दोषियों को फांसी पर चढ़ते हुए देखना चाहती हैं। क्या उनकी बात मान ली गई? 
जवाब- नहीं। उसमें ऐसा कोई प्रोविजन नहीं है। तिहाड़ जेल का मैन्यूअल है। उसमें जो अथॉरिटी होती है। सिर्फ वो ही रहते हैं। जैसे की सुप्रिटेंडेंट ऑफ पुलिस, डॉक्टर, जल्लाद ये सब लोग रहते हैं। उनकी (दोषियो) फैमिली वहां नहीं रह सकती है। उन्होंने जरूर इच्छा जाहिर की थी। लेकिन तिहाड़ जेल के डीजी ने मना कर दिया। इसलिए संभव नहीं है।

दोषी नंबर 1- पहले दोषी का नाम अक्षय ठाकुर है। यह बिहार का रहने वाला है। इसने अपनी पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी और दिल्ली चला आया। शादी के बाद ही 2011 में दिल्ली आया था। यहां वह राम सिंह से मिला। घर पर इस पत्नी और एक बच्चा है।

दोषी नंबर 2- दूसरे दोषी को नाम मुकेश सिंह है। यह बस क्लीनर का काम करता था। जिस रात गैंगरेप की यह घटना हुई थी उस वक्त मुकेश सिंह बस में ही सवार था। गैंगरेप के बाद मुकेश ने निर्भया और उसके दोस्त को बुरी तरह पीटा था।

दोषी नंबर 3- तीसरा दोषी पवन गुप्ता है। पवन दिल्ली में फल बेंचने का काम करता था। वारदात वाली रात वह बस में मौजूद था। पवन जेल में रहकर ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहा है।

दोषी नंबर 4- चौथा दोषी विनय शर्मा है। विनय जिम ट्रेनर का काम करता था। वारदात वाली रात विनय बस चला रहा था। इसने पिछले साल जेल के अंदर आत्‍महत्‍या की कोशिश की थी लेकिन बच गया।

क्या है निर्भया गैंगरेप और हत्याकांड?
दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया। लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया गया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।

Share this article
click me!

Latest Videos

UP के जैसे दिल्ली में भी... आतिशी ने BJP पर किया सबसे बड़ा वार
घूंघट में महिला सरपंच ने अंग्रेजी में दिया जोरदार भाषण, IAS Tina Dabi ने बजाई तालियां
कोलकाता केसः डॉक्टरों के आंदोलन पर ये क्या बोल गए ममता बनर्जी के मंत्री
कौन हैं मुकेश अहलावत? आतिशी की टीम सबसे ज्यादा इनकी चर्चा क्यों
झारखंड में सिर्फ भाजपा ही कर सकती है ये काम #shorts