निर्भया के दोषियों को फांसी की नई तारीख न मिलने पर निर्भया की मां ने नाराजगी जाहिर की है। जिसमें निर्भया की मां ने कहा कि समझ नहीं आ रहा कि न्याय किसके साथ हो रहा है। वहीं, निर्भया के पिता ने कहा कि सरकार जाने महिलाओं की सुरक्षा कैसे होगी।
नई दिल्ली. सात साल पहले निर्भया से हुई दरिंदगी के मामले में दोषियों को अभी तक मौत की सजा नहीं मिल पाई है। निर्भया के माता पिता दोषियों को सजा दिलाने के लिए लगातार कोर्ट के चक्कर काट रहे हैं। दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए गुरुवार को तिहाड़ जेल ने पटियाला हाउस कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जिस पर कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई करते हुए डेथ वारंट जारी करने से इंकार कर दिया है। जिसके बाद निर्भया के माता-पिता का एक बार फिर दर्द छलका है। जिसमें निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि हम इंसाफ के लिए तारीख मांग रहे लेकिन नहीं मिल रहा है।
क्या कहा निर्भया की मां ने?
निर्भया की मां आशा देवी ने कहा, "आज कुछ भी पेंडिंग नहीं था फिर भी मौत की सजा नहीं सुनाई गई। उन्होंने फांसी की तारीख टालने के लिए याचिका डाली, फांसी टल गई। हमने अपने इंसाफ के लिए तारीख मांगी नहीं मिली। 'कहीं न कहीं हमारे साथ नाइंसाफी हो रही है और इंसाफ उनके साथ हो रहा है।'
देर सवेर न्याय जरूर मिलेगाः पिता
अगर फैसला एक दिन भी हमारे पक्ष में हो जाए तो अपराधियों को फांसी हो जाए। सरकार जाने कि अब दिल्ली में महिलाओं की सुरक्षा कैसे होगी। निर्भया को देर सवेर न्याय जरूर मिलेगा। लेकिन दिल्ली की महिलाएं कैसे सुरक्षित होंगी अब हमें समझ नहीं आ रहा।
दो डेथ वारंट पर टल चुकी है फांसी
पटियाला हाउस कोर्ट ने 7 जनवरी को चारों दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे तिहाड़ जेल में फांसी देने के लिए पहला डेथ वारंट जारी किया था। हालांकि, एक दोषी की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित रहने की वजह से उन्हें फांसी नहीं दी जा सकी, जिसके बाद में ट्रायल कोर्ट ने 17 जनवरी को दोषियों के खिलाफ दूसरा डेथ वारंट जारी करते हुए फांसी की तारीख एक फरवरी तय की, लेकिन 31 जनवरी को फिर से पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषी विनय की दया याचिका लंबित होने के कारण फांसी को अगले आदेश तक टाल दिया था।
सिर्फ पवन के पास मौजूद है विकल्प
दोषी मुकेश, विनय और अक्षय के क्यूरेटिव व दया याचिका को सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति द्वारा खरिज कर दिया गया है। अब दोषी पवन के पास क्यूरेटिव और दया याचिका दायर करने के कानूनी उपायों का विकल्प बाकी है। इसके साथ ही केन्द्र द्वारा हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती की याचिका भी अभी लंबित है।