आपको लगता है दोषी पवन याचिका नहीं दाखिल करेगा...यह कहते हुए जज ने डेथ वारंट जारी करने से किया इंकार
तिहाड़ जेल प्रशासन ने एक बार फिर पटियाला हाउस कोर्ट का रूख किया और डेथ वारंट जारी करने की मांग की। जिस पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने नया डेथ वारंट जारी करने से इनकार कर दिया।
नई दिल्ली. निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाने का इंतजार लंबा होता जा रहा है। इस इंतजार को खत्म करन के लिए तिहाड़ जेल प्रशासन ने एक बार फिर पटियाला हाउस कोर्ट का रूख किया और डेथ वारंट जारी करने की मांग की। जिस पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने नया डेथ वारंट जारी करने से इनकार कर दिया। इससे पहले गुरुवार को कोर्ट ने सभी दोषियों से शुक्रवार तक जवाब दायर के निर्देश दिए थे, ताकि अदालत इस मामले में कार्यवाही को आगे बढ़ा सके।
कोर्ट रूम किसने क्या दलील दी
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इस केस की सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष इस बात पर अड़ा हुआ है कि जब दिल्ली हाईकोर्ट ने दोषियों को सात दिन का समय दिया है तो डेथ वारंट के लिए इतनी जल्दी क्या है और सुप्रीम कोर्ट जाने की क्या जरूरत पड़ गई। इस पर अदालत ने सभी पक्षों को सुनने के बाद नया डेथ वारंट जारी करने से इनकार कर दिया।
सुनवाई शुरू हुई तो तिहाड़ जेल की ओर से पेश सरकारी वकील इरफान अहमद ने नए डेथ वारंट के लिए अपना आवेदन अदालत में पेश किया। इसके साथ ही इरफान ने पटियाला हाउस कोर्ट द्वारा इसी केस में पास पिछले चार आदेशों का अवलोकन करने का भी अनुरोध किया। इसके बाद इरफान अहमद ने फांसी की प्रक्रिया के इतिहास को कोर्ट के सामने पढ़ा। इरफान अहमद ने ये दलील भी दी कि कोर्ट इस मामले में नया डेथ वारंट जारी कर सकती है क्योंकि किसी भी दोषी की कोई याचिका पेंडिंग नहीं है।
वकील इरफान ने कहा कि अदालत हाईकोर्ट द्वारा दी गई सात दिन की अवधि को ध्यान में रखते हुए डेथ वारंट जारी करे।
इस पर जज ने सरकारी वकील से पूछा कि आखिर किस दिन से 14 दिन मानकर हम नया डेथ वारंट जारी करें। तब वकील ने कहा पांच फरवरी।
इस पर जज ने सरकारी वकील से पूछा कि आपको क्यों लगता है कि पवन अपनी क्यूरेटिव याचिका और दया याचिका दाखिल नहीं करेगा। तब वकील ने कहा कि अगर वो चाहता तो इस अदालत के पिछले आदेश के बाद ही याचिकाएं दायर कर देता।
इसके बाद पीड़ित पक्ष के वकील जीतेंद्र झा ने अदालत में हाईकोर्ट का आदेश पढ़कर सुनाया जिसमें दोषी सजा में देरी करने की आदत अपनाते रहे हैं। हाईकोर्ट का आदेश भी पांच फरवरी से अमल में आता है। झा ने आगे कहा कि यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी सात दिन के समय को माना है, इसलिए उन्होंने 11 फरवरी को सुनवाई की तारीख रखी है।
इस पर बचाव पक्ष की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि सॉलिसिटर जनरल के बहुत कहने पर भी सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को कोई नोटिस जारी नहीं किया है। इस पर जज ने पूछा कि क्या मैं कुछ समय के लिए ये मान लूं कि हम हाईकोर्ट का आदेश मानने के लिए बाध्यकारी हैं।
इसके बाद वृंदा ग्रोवर ने हाईकोर्ट के आदेश का पैरा नंबर 68 पढ़कर सुनाया कि अदालत ने दोषियों को अपने सभी विकल्प आजमाने के लिए सात दिन का समय दिया है। वो यह भी बोलीं कि यह आवेदन समय से पहले किया गया है।
वृंदा ग्रोवर ने ये भी कहा कि यह आवेदन सात दिन से पहले डाला गया है जो सही नहीं है। हाईकोर्ट इस पर फैसला लेने के लिए ठीक था फिर भी ये लोग सुप्रीम कोर्ट गए। वृंदा ग्रोवर ने बताया कि इस केस में सुप्रीम कोर्ट के पास दो केस पेंडिंग हैं। साथ ही ग्रोवर ने तिहाड़ को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने के लिए भी कहा।
बहस शुरू होने के तीस मिनट बाद दोषियों के वकील एपी सिंह कोर्टरूम में पहुंचे। उन्होंने कहा कि मुझे एक फोन कॉल पर इस केस के बारे में पता चला, जो बहुत ही विचित्र है। एपी सिंह ने कहा कि वो इसलिए देरी से पहुंचे क्योंकि वह आज की सुनवाई से अनजान थे। जज ने उन्हें प्वाइंट पर बात करने को कहा।
सभी पक्षों को सुनने के बाद एसजे धर्मेंद्र राणा ने तिहाड़ की याचिका खारिज करते हुए नया डेथ वारंट जारी करने से इनकार कर दिया। अदालत ने ये भी कहा कि यह दलील गुण से परे है, अनुमानों के आधार पर डेथ वारंट जारी नहीं किया जा सकता। अदालत ने आवेदन प्रीमैच्योर होने के कारण खारिज कर दी।
31 जनवरी को लगाई थी रोक
इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने 31 जनवरी को दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी, क्योंकि बचाव पक्ष ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि दोषी विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है, लिहाजा दोषियों को एक फरवरी को फांसी नहीं दी जा सकती।
हालांकि उसी दिन राष्ट्रपति ने दोषी विनय की याचिका खारिज कर दी थी। चूंकि दया याचिका खारिज होने के बाद भी दोषी को फांसी से पहले 14 दिनों का समय दिया जाता है, इसलिए कोर्ट ने फांसी को अगले आदेश तक टाल दिया था।
दो डेथ वारंट पर टल चुकी है फांसी
पटियाला हाउस कोर्ट ने 7 जनवरी को चारों दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे तिहाड़ जेल में फांसी देने के लिए पहला डेथ वारंट जारी किया था। हालांकि, एक दोषी की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित रहने की वजह से उन्हें फांसी नहीं दी जा सकी, जिसके बाद में ट्रायल कोर्ट ने 17 जनवरी को दोषियों के खिलाफ दूसरा डेथ वारंट जारी करते हुए फांसी की तारीख एक फरवरी तय की, लेकिन 31 जनवरी को फिर से पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषी विनय की दया याचिका लंबित होने के कारण फांसी को अगले आदेश तक टाल दिया था।
सिर्फ पवन के पास मौजूद है विकल्प
दोषी मुकेश, विनय और अक्षय के क्यूरेटिव व दया याचिका को सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति द्वारा खरिज कर दिया गया है। अब दोषी पवन के पास क्यूरेटिव और दया याचिका दायर करने के कानूनी उपायों का विकल्प बाकी है। इसके साथ ही केन्द्र द्वारा हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती की याचिका भी अभी लंबित है।