आपको लगता है दोषी पवन याचिका नहीं दाखिल करेगा...यह कहते हुए जज ने डेथ वारंट जारी करने से किया इंकार

तिहाड़ जेल प्रशासन ने एक बार फिर पटियाला हाउस कोर्ट का रूख किया और डेथ वारंट जारी करने की मांग की। जिस पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने नया डेथ वारंट जारी करने से इनकार कर दिया।

Asianet News Hindi | Published : Feb 7, 2020 11:22 AM IST

नई दिल्ली. निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटकाने का इंतजार लंबा होता जा रहा है। इस इंतजार को खत्म करन के लिए तिहाड़ जेल प्रशासन ने एक बार फिर पटियाला हाउस कोर्ट का रूख किया और डेथ वारंट जारी करने की मांग की। जिस पर शुक्रवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने नया डेथ वारंट जारी करने से इनकार कर दिया। इससे पहले गुरुवार को कोर्ट ने सभी दोषियों से शुक्रवार तक जवाब दायर के निर्देश दिए थे, ताकि अदालत इस मामले में कार्यवाही को आगे बढ़ा सके। 

कोर्ट रूम किसने क्या दलील दी 

31 जनवरी को लगाई थी रोक 

इससे पहले पटियाला हाउस कोर्ट ने 31 जनवरी को दोषियों की फांसी पर अगले आदेश तक रोक लगा दी थी, क्योंकि बचाव पक्ष ने कोर्ट को जानकारी दी थी कि दोषी विनय की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है, लिहाजा दोषियों को एक फरवरी को फांसी नहीं दी जा सकती।

हालांकि उसी दिन राष्ट्रपति ने दोषी विनय की याचिका खारिज कर दी थी। चूंकि दया याचिका खारिज होने के बाद भी दोषी को फांसी से पहले 14 दिनों का समय दिया जाता है, इसलिए कोर्ट ने फांसी को अगले आदेश तक टाल दिया था।

दो डेथ वारंट पर टल चुकी है फांसी

पटियाला हाउस कोर्ट ने 7 जनवरी को चारों दोषियों को 22 जनवरी की सुबह 7 बजे तिहाड़ जेल में फांसी देने के लिए पहला डेथ वारंट जारी किया था। हालांकि, एक दोषी की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित रहने की वजह से उन्हें फांसी नहीं दी जा सकी, जिसके बाद में ट्रायल कोर्ट ने 17 जनवरी को दोषियों के खिलाफ दूसरा डेथ वारंट जारी करते हुए फांसी की तारीख एक फरवरी तय की, लेकिन 31 जनवरी को फिर से पटियाला हाउस कोर्ट ने दोषी विनय की दया याचिका लंबित होने के कारण फांसी को अगले आदेश तक टाल दिया था।

सिर्फ पवन के पास मौजूद है विकल्प 

दोषी मुकेश, विनय और अक्षय के क्यूरेटिव व दया याचिका को सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति द्वारा खरिज कर दिया गया है। अब दोषी पवन के पास क्यूरेटिव और दया याचिका दायर करने के कानूनी उपायों का विकल्प बाकी है। इसके साथ ही केन्द्र द्वारा हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में दी गई चुनौती की याचिका भी अभी लंबित है।

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