महाराष्ट्र के सतारा में स्थित महान मराठा रानियों ताराबाई व यशोबाई की विरासत खंडहर में तब्दील हो गई है। एनएमए अध्यक्ष तरूण विजय ने इन स्थानों का दौरा किया है।
सतारा. एनएमए के अध्यक्ष डा. तरुण विजय ने माहुली में महान मराठा साम्राज्ञी रानी ताराबाई और रानी यशोबाई की समाधि स्थल का औचक निरीक्षण किया। उनके साथ वरिष्ठ एएसआई अधिकारी और इतिहासकार भी मौजूद रहे। इस दौरान उन्होंने कहा कि महारानी ताराबाई का भारत की स्वतंत्रता में बड़ा योगदान है।
डा. तरूण विजय ने कहा कि उन्होंने मुगलों को रोकने के साहस का परिचय दिया था। उनकी हिम्मत के लिए और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करने के लिए उनकी स्मृति को संरक्षित किया जाना चाहिए। यह बड़े पैमाने पर राज्य सरकार और केंद्र सरकार के संयुक्त अभियान से ही किया जा सकता है। वर्तमान में उत्साही लोगों द्वारा किए गए कार्य की वजह से बेतरतीब ढंग से डेवलपमेंट हुआ है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय को भी इसकी रिपोर्ट सौंपी जाएगी। इस स्थान को दक्षिण के काशी के नाम से भी जाना जाता है। यहां पर 11वीं व 12वीं शताब्दी की हेमाडपंथी शैली की वास्तुकला से संबंधित पांच भव्य मंदिर बने हुए हैं।
ये सभी मंदिर कृष्णा और वेन नदियों के संगम के तट पर बने हैं, जो पूरे क्षेत्र को शानदार मनोरम स्वरूप प्रदान करते हैं। एनएमए अध्यक्ष डा. तरूण विजय के साथ वरिष्ठ एएसआई अधिकारी गजानन मंडावरे और प्रसिद्ध मराठा इतिहासकार मोहन शेटे भी मौजूद रहे। उन्होंने रामटेक मंदिर समूह, अंबाला गेट, सिंदूरी बावली, मानसर बौद्ध स्तूप का दौरा किया। उन्होंने कहा कि वे संस्कृति मंत्री किशन रेड्डी को विस्तृत रिपोर्ट सौंपेंगे। कृष्णा नदी के तट पर स्थित रामटेक और माहुली मंदिरों को केंद्रीय संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल करने और महारानी ताराबाई और यशोबाई की समाधियों को उचित तरीके से विकसित करने में मदद करने की भी सिफारिश करेंगे।
कई मंदिरों का दौरा
इससे पहले भी राष्ट्रीय स्मारक प्राधिकरण के अध्यक्ष तरुण विजय व एनएमए की आधिकारिक टीम ने गुजरात के सिद्धपुर स्थित रुद्र महालय मंदिर का दौरा किया। सुरक्षा व्यवस्था के साथ जिलाधिकारी सुप्रीत सिंह गुलाटी और पुलिस अधीक्षक विजय पटेल ने उनका स्वागत किया। तरुण विजय ने एनएमए सदस्य हेमराज कामदार और एएसआई अधिकारी एसए सुब्रमण्यम के साथ रुद्र महालय की स्थिति का जायजा लिया।
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