कृषि कानून ही नहीं, मोदी सरकार की इन 5 योजनाओं की भी हुई थी आलोचना, जो करोड़ों लोगों को पहुंचा रहीं मदद

मोदी सरकार द्वारा कृषि में सुधार को लेकर लाए गए 3 कानूनों पर घमासान रुकने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ इन कानूनों के विरोध में राजधानी और उसके आसपास के इलाकों में पंजाब और हरियाणा के किसान डेरा डाले हुए हैं, वहीं, इस मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियां भी सरकार पर निशाना साध रही हैं। यह पहला मौका नहीं है जब केंद्र की मोदी सरकार की किसी योजना या कानून का इस तरह विरोध हुआ है। 

नई दिल्ली. मोदी सरकार द्वारा कृषि में सुधार को लेकर लाए गए 3 कानूनों पर घमासान रुकने का नाम नहीं ले रहा है। एक तरफ इन कानूनों के विरोध में राजधानी और उसके आसपास के इलाकों में पंजाब और हरियाणा के किसान डेरा डाले हुए हैं, वहीं, इस मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियां भी सरकार पर निशाना साध रही हैं। यह पहला मौका नहीं है जब केंद्र की मोदी सरकार की किसी योजना या कानून का इस तरह विरोध हुआ है। हाल ही में पीएम मोदी ने वाराणसी में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा था कि अब सरकार के फैसले का तथ्य आधारित नहीं बल्कि आशंका आधारित विरोध किए जाने का चलन देखने को मिल रहा है।
 
इससे पहले फरवरी में नागरिकता कानून के विरोध में भी इस तरह के विरोध प्रदर्शन हुए थे। विपक्ष केंद्र की जनधन योजना, आयुष्मान भारत योजना और डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं को लेकर भी सरकार पर निशाना साधता रहा है। आइए जानते हैं मोदी सरकार की ऐसी ही कुछ योजनाएं, जिनका विपक्ष ने तो जमकर विरोध किया, लेकिन उससे जनता को भी काफी लाभ हुआ।

1- जन धन योजना
मोदी सरकार ने 2014 में जनधन योजना की शुरुआत की थी। जन धन योजना के तहत मजदूरों, किसानों और गरीब महिलाओं के खाते फ्री में खुलाए गए। इस योजना के तहत अब तक 41.38 करोड़ खाते खुल चुके हैं। वहीं, इन खातों में 130,932.33 करोड़ रुपए जमा है।

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विपक्ष ने किया था विरोध
जनधन योजना को पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने जुमला बताया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि इन खातों का इस्तेमाल नोटबंदी में काले धन को सफेद करने में किया गया। वहीं, राहुल गांधी ने 2016 में मुजफ्फरनगर में एक रोड शो के दौरान कहा था कि मोदी सरकार का करीब ढाई साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है। इसके बावजूद जनधन योजना का पैसा अभी तक लोगों के खाते मे नहीं पहुंच पाया है।

लॉकडाउन में लाइफ लाइन बनी जनधन योजना
मोदी सरकार ने जब इस योजना की शुरुआत की थी, तब विपक्ष ने इसे लेकर जमकर निशाना साधा था। लेकिन शायद विपक्ष तो यह अंदाजा भी नहीं था कि यह योजना कोरोना वायरस को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के वक्त लाइफ लाइन बनकर उभरेगी। दरअसल, मोदी सरकार ने महिलाओं को तीन किस्तों में 500-500 रुपए की आर्थिक मदद का ऐलान किया था। इस पैसे को सीधे महिलाओं के जनधन खाते में भेजा गया। तीन किस्तों में महिला जनधन खाताधारकों के खातों में 30,952 करोड़ रुपये डाले गए हैं। इस योजना के तहत सीधे तौर पर 20.6 करोड़ महिलाओं को लाभ मिला है।


2- प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (आयुष्मान भारत)

2018 में मोदी सरकार ने इस योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत गरीब लोगों को सालाना 5 लाख रुपए का स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध करवाया जाता है। आयुष्मान योजना से जुड़े लाभार्थी प्राइवेट अस्पतालों में भी 5 लाख तक का मुफ्त इलाज करवा सकते हैं। इस योजना के लिए किसी को एक भी पैसा नहीं देना होता। आयुष्मान भारत दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य आश्वासन योजना है। इसका उद्देश्य 50 करोड़ लाभार्थियों को स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना है, जो भारतीय आबादी का 40% हैं।

गैर भाजपाई और कांग्रेस शासित राज्यों ने लागू तक नहीं की
कांग्रेस आयुष्मान योजना का विरोध करती रही है। यहां तक की कांग्रेस शासित राज्यों ने इस योजना को लागू तक नहीं किया। वहीं, दिल्ली में आम आदमी पार्टी, प बंगाल में ममता बनर्जी और तेलंगाना की राव सरकार भी इस योजना के खिलाफ नजर आई। वहीं, छत्तीसगढ़ में भूपेश वघेल सरकार ने इस योजना को बंद ही कर दिया। कांग्रेस सरकार का कहना है कि इस योजना का लाभ गरीबों को नहीं मिल रहा है।
 
गरीबों के लिए वरदान साबित हुई योजना
अब तक इस योजना के तहत 15 अप्रैल 2020 तक 12.45 करोड़ ई कार्ड जारी किए गए हैं। इस योजना के तहत अप्रैल तक 96.6 लाख लोगों का अस्पताल में इलाज हुआ है। अब तक इस योजना के तहत 20916 अस्पतालों को जोड़ा गया है। वहीं, खास बात ये है कि कोरोना का इलाज भी इस योजना के तहत मुफ्त में किया गया है।

3- डिजिटल इंडिया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2016 में नोटबंदी के बाद डिजिटल इंडिया पर जोर दिया था। भारत सरकार ने डिजिटल इंडिया कार्यक्रम को भारत को डिजिटल रूप से सशक्त समाज और ज्ञान अर्थव्यवस्था में बदलने के लिए लॉन्च किया है।

विपक्ष ने किया था विरोध
राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की डिजिटल इंडिया पर निशाना साधते हुए कहा था कि मोदी सरकार ने सभी को इंटरनेट सुविधा मुहैया करवाने की बात कही है, लेकिन अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि इसके लिए किसे कितना भुगतान करना होगा। पीएम मोदी ने हाल ही में एक कार्यक्रम में भी इसका जिक्र किया था। उन्होंने कहा था कि जब हम डिजिटल इंडिया की बात कर रहे थे, तब ये विरोध कर रहे थे।

लॉकडाउन में लोगों का सहारा बनीं डिजिटल सेवाएं
लॉकडाउन के वक्त जब ज्यादातर ऑफलाइन सेवाएं बंद थीं, तब डिजिटल इंडिया से लोगों की राह काफी आसान हुई। सब्जी, दूध से घर मकान की ईएमआई तक भरने में लोगों ने डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किया। इस मुश्किल वक्त में डिजिटल इंडिया से बैंकों का भी काम आसान हुआ। वहीं, इसके चलते कोरोना काल में लोगों का एक दूसरे के संपर्क में आने का खतरा भी कम हुआ।

वर्ल्डलाइन इंडिया डिजिटल पेमेंट रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल की दूसरी तिमाही में UPI पेमेंट्स के भुगतान  में 82 फीसदी का इजाफा देखने को मिला। वहीं, इसकी वैल्यू यानी भुगतान की राशि में 99 फीसदी का इजाफा हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर 2020 में  यूपीआई के जरिए 180 करोड़ से अधिक ट्रांजेक्शन हुए हैं। इन ट्रांजेक्शन में 2 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के भुगतान हुए।
 
 4- मेक इन इंडिया
भारत सरकार ने 2014 में मेक इन इंडिया की शुरुआत की थी। मेक इन इंडिया निर्माण क्षेत्र पर केंद्रित है लेकिन इसका उद्देश्य देश में उद्यमशीलता को बढ़ावा देना भी है। इसका दृष्टिकोण निवेश के लिए अनुकूल माहौल बनाना, आधुनिक और कुशल बुनियादी संरचना, विदेशी निवेश के लिए नये क्षेत्रों को खोलना और सरकार एवं उद्योग के बीच एक साझेदारी का निर्माण करना है।

राहुल ने मेक इन इंडिया का बनाया था मजाक
कांग्रेस और राहुल गांधी लगातार मेक इन इंडिया का मजाक उड़ाते रहे हैं। यहां तक की उन्होंने अपनी रैलियों में भी इसे लेकर तंज कसते रहे हैं। राहुल ने तमिलनाडु में एक रैली में कहा था कि उन्होंने आपको सिर्फ मेक इन इंडिया का नारा दिया लेकिन हम जहां भी देखते हैं वहां हमें चीन में बने उत्पाद दिखते हैं। उन्होंने कहा कि चाहे फोन हो, जूते हों या कमीज आप मेड इन चाइना दिखेंगे। इतना ही नहीं राहुल गांधी नेदुष्कर्म की घटनाओं को लेकर भाजपा पर हमला करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मेक इन इंडिया' कहा था अब 'रेप इन इंडिया' में तब्दिल हो गया है।

कोरोना के खिलाफ जंग में मेक इन इंडिया ने निभाया अहम रोल
भारत कोरोना महामारी के खिलाफ निर्णायक जंग लड़ रहा है। इस जंग में मेक इन इंडिया भी काफी अहम रोल निभाया। भारत में पीपीई किट, वेंटिलेटर से लेकर एन 95 मास्क तक मेक इन इंडिया के तहत बनाए गए, जब पूरी दुनिया में इनकी कमी थी। इतना ही नहीं भारत ने ना सिर्फ अपनी जरूरत को पूरा किया, बल्कि तमाम देशों में इन सामानों को पहुंचाकर उनकी भी मदद की।

रक्षा सेक्टर में परवान चढ़ा मेक इन इंडिया
रक्षा सेक्टर में विनिर्माण मामले में पीएम मोदी की महत्वाकांक्षी योजना मेक इन इंडिया परवान चढ़ा है। आज चीन और पाकिस्तान से विवाद के वक्त मेक इन इंडिया के तहत भारत की तीनों सेनाओं की जरूरतें पूरी हो रही हैं। एक ओर भारत में तेजस विमान बनाया गया तो दिन प्रतिदिन नई मिलाइलों का टेस्ट किया जा रहा है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने तमाम ड्रोन और मिसाइलों को भी इसके तहत तैयार किया है।  मेक इन इंडिया के तहत पनडुब्बी आईएनएस कलवरी और करंज को तैयार किया गया है। इसके अलावा धनुष तोप को भी भारत में ही तैयार किया गया है। रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया का योगदान किसी से छिपा नहीं है।

 
5 प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि
मोदी सरकार ने 2019 में प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शरुआत की। इस योजना के तहत छोटे और सीमांत किसान परिवारों को 6000 रुपए प्रतिवर्ष दिया जा रहा है। यह आर्थिक सहायता 2 हेक्टेयर तक की खेती वाले छोटे और सीमांत किसान परिवारों को दी जा रही है।  

विपक्ष ने साधा निशाना
पीएम ने कृषि कानूनों के विरोध को लेकर विपक्ष को जिम्मेदार ठहराते हुए यह बात याद दिलाई कि कैसे किसान सम्मान निधि के तहत किसानों के सालाना 6 हजार रुपये दिए जाने की योजना पर तरह-तरह के भ्रम फैलाए गए थे। उन्होंने कहा, 'आपको याद रखना है, यही लोग हैं जो पीएम किसान सम्मान निधि को लेकर ये लोग सवाल उठाते थे। ये लोग अफवाह फैलाते थे कि चुनाव को देखते हुए ये पैसा दिया जा रहा है और चुनाव के बाद यही पैसा ब्याज सहित वापस देना पड़ेगा।'

कोरोना के वक्त अहम साबित हुई योजना
यह योजना कोरोना से जंग में अहम साबित हुई। मोदी सरकार ने आर्थिक पैकेज के तहत 8.99 करोड़ किसानों को 2000-2000 रुपए दिए। लॉकडाउन के दौरान इस योजना के तहत इस किसानों के खाते में सीधे पैसे भेजे गए हैं। 

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