नियामक औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश के प्रावधानों को लागू करता है। इसे नियंत्रित दवाओं के लिए निर्माताओं द्वारा अधिक रेट वसूलने का काम भी सौंपा गया है। कीमतें तय होने से फार्मा कंपनियों की मनमानी रूकेगी और इससे आम लोगों को राहत रहेगी।
नई दिल्ली। डायबिटीज, सिरदर्द और हाई ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए यूज होने वाली दवाओं के दामों को सरकार ने नियंत्रित कर दिया है। दवा मूल्य निर्धारण नियामक एनपीपीए ने डायबिटीज, सिरदर्द और हाई ब्लड प्रेशर के इलाज के लिए इस्तेमाल होने वाली दवाओं सहित करीब 84 दवाओं के खुदरा कीमतों को तय कर दिया है। अब तय कीमतों से अधिक कीमत पर या मनमानी दाम पर इन दवाइयों को बेचा नहीं जा सकेगा। कीमतें तय होने से फार्मा कंपनियों की मनमानी रूकेगी और इससे आम लोगों को राहत रहेगी।
कोलेस्ट्रॉल व ट्राइग्लिसराइड्स की दवाओं के कीमत भी तय
नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को कम करने के लिए संकेतित फॉर्मूलेशन की कीमतें भी तय की हैं। नियामक ने एक अधिसूचना में कहा कि ड्रग्स (मूल्य नियंत्रण) आदेश, 2013 द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए, एनपीपीए ने दवाओं की खुदरा कीमतें तय की हैं।
इन दवाओं की यह है कीमत
आदेश के अनुसार, वोग्लिबोस और (एसआर) मेटफॉर्मिन हाइड्रोक्लोराइड की एक टैबलेट की कीमत जीएसटी को छोड़कर 10.47 रुपये होगी। इसी तरह पैरासिटामोल और कैफीन की कीमत 2.88 रुपये प्रति टैबलेट तय की गई है। इसके अलावा एक रोसुवास्टेटिन एस्पिरिन और क्लोपिडोग्रेल कैप्सूल की कीमत 13.91 रुपये तय की गई है।
लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन की कीमत संशोधित
एक अलग अधिसूचना में, एनपीपीए ने कहा कि उसने इस साल 30 सितंबर तक तरल चिकित्सा ऑक्सीजन और ऑक्सीजन इनहेलेशन (औषधीय गैस) की संशोधित एमआरपी बढ़ा दी है। एनपीपीए को नियंत्रित थोक दवाओं और फॉर्मूलेशन की कीमतों को तय / संशोधित करने और देश में दवाओं की कीमतों और उपलब्धता को लागू करने के लिए अनिवार्य है। यह दवाओं की कीमतों की निगरानी भी करता है ताकि उनकी कीमतों को नियंत्रित रखा जा सके और वह अधिक रेट पर बिक न सके। नियामक औषधि (मूल्य नियंत्रण) आदेश के प्रावधानों को लागू करता है। इसे नियंत्रित दवाओं के लिए निर्माताओं द्वारा अधिक रेट वसूलने का काम भी सौंपा गया है।
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