चीन की आंखों में कांटे की तरह चुभेगा भारत का यह एयरफील्ड, जानें कैसे बन सकता है गेम चेंजर

Published : Jul 24, 2025, 11:27 AM ISTUpdated : Jul 24, 2025, 11:41 AM IST
Nyoma Airfield

सार

पूर्वी लद्दाख में चीन से लगी सीमा से सिर्फ 35km दूर भारत का न्योमा एयरफील्ड बनकर तैयार है। यह अक्टूबर से काम करने लगेगा। यहां से बड़े माल वाहक विमान और लड़ाकू विमान उड़ान भर सकेंगे।

Nyoma Airfield: भारत चीन से लगी सीमा LAC (Line of Actual Control) के पास इंफ्रास्ट्रक्चर मजबूत करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। इसका सुखद परिणाम है कि पूर्वी लद्दाख में न्योमा एयरफील्ड बनकर तैयार है। यह अक्टूबर 2025 से काम करने लगेगा।

दुनिया के सबसे ऊंचे एयरफील्ड में से एक है न्योमा

न्योमा एयरफील्ड दुनिया के सबसे ऊंचे हवाई अड्डों में से एक है। यह 13,710 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। BRO (Border Roads Organisation) ने इस हवाई अड्डे को 230 करोड़ रुपए के खर्च से अपग्रेड किया है। हवाई पट्टी का विस्तार कर मजबूत किया गया है। न्योमा एयरफील्ड के रनवे की लंबाई 2.7 किमी है। अब यहां भारी वजन उठाने वाले ट्रांसपोर्ट प्लेन से लेकर लड़ाकू विमान तक उतर सकते हैं और उड़ान भर सकते हैं। TOI की रिपोर्ट के अनुसार न्योमा एयरफील्ड का 46 मीटर चौड़ा रनवे पूरी तरह से तैयार है। यहां एटीसी कॉम्प्लेक्स, हैंगर, क्रैश बे, वॉच टावर, रहने के लिए जगह और अन्य संबंधित बुनियादी ढांचे बनाए गए हैं।

क्यों चीन की आंखों में चुभेगा न्योमा एयरफील्ड?

न्योमा एयरफील्ड LAC से सिर्फ 35km दूर है। यहां से भारी ट्रासपोर्ट विमान और लड़ाकू विमान टेकऑफ और लैंडिंग कर सकेंगे। इससे भारत के लिए बेहद कम समय में LAC पर सैनिकों और टैंक, तोप जैसे हथियारों को पहुंचाना संभव हो जाएगा। न्योमा एयरफील्ड से सुखोई 30एमकेआई, राफेल, मिग 29 और तेजस जैसे लड़ाकू विमान उड़ान भर पाएंगे। इससे जंग की स्थिति में चीन को संभलने का मौका नहीं मिलेगा। उड़ान भरते ही ये विमान चीन के सैन्य ठिकानों पर अटैक के लिए तैयार होंगे। इसके चलते यह एयरफील्ड चीन की आंखों में कांटे की तरह चुभेगा। इसके साथ ही यह जंग की स्थिति में गेम चेंजर भी साबित हो सकेगा।

चीन ने LAC के पास बनाए हैं एयरबेस और सैन्य अड्डे

बता दें कि चीन ने LAC के पास कई एयरबेस और सैन्य अड्डे बनाए हैं। पिछले 5 वर्षों में उसने भारत के सामने स्थित अपने एयरबेस पर अपग्रेड किया है। नए रनवे बनाए हैं। पहले से मौजूद रनवे का विस्तार किया है। लड़ाकू विमानों को छिपाकर रखने के लिए मजबूत शेल्टर तैयार किए हैं। इसके साथ ही ईंधन और गोला-बारूद के भंडार बनाए हैं। चीन ने LAC के पास मौजूद होटन, काश्गर, गरगुंसा, शिगात्से, बांगडा, निंगची और होपिंग जैसे एयरबेस पर एडवांस J-20 स्टील्थ फाइटर प्लेन के साथ-साथ बमवर्षक, टोही विमान और ड्रोन तैनात किए हैं। LAC पूर्वी लद्दाख से अरुणाचल प्रदेश तक 3,488km लंबी है। इस क्षेत्र में चीन ने कई नए हेलीपोर्ट भी बनाए हैं।

LAC पर कैसी है भारत की तैयारी?

चीन की चुनौती को देखते हुए भारत ने भी LAC पर बुनियादी ढांचे के विकास पर ध्यान दिया है। LAC से लगभग 35km दूर स्थित न्योमा, लद्दाख में इंडियन एयरफोर्स का एक और ऑपरेशनल बेस होगा। लेह, कारगिल और थोईस में एयरपोर्ट और दौलत बेग ओल्डी एएलजी (एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड) पहले से हैं। भारत ने लद्दाख में फुक्चे और डीबीओ जैसे एएलजी के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश में पासीघाट, मेचुका, वालोंग, टूटिंग, अलोंग और जीरो में बुनियादी ढांचे को अपग्रेड किया है।

 

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