जम्मू-कश्मीर: क्या फिर मिलेगा पूर्ण राज्य का दर्जा? उमर कैबिनेट का बड़ा फैसला

Published : Oct 18, 2024, 10:52 AM ISTUpdated : Oct 18, 2024, 11:00 AM IST
Omar Abdullah

सार

उमर अब्दुल्ला सरकार ने जम्मू-कश्मीर को फिर से पूर्ण राज्य का दर्जा दिलाने के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव पास किया है। जल्द ही इस प्रस्ताव का ड्राफ्ट पीएम मोदी को सौंपा जाएगा।

श्रीनगर/नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के लिए राज्य का दर्जा बहाल कराने को लेकर उमर अब्दुल्ला सरकार ने गुरुवार को कैबिनेट में एक प्रस्ताव पास किया। इसके बाद उमर अब्दुल्ला जल्द ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात कर उन्हें इस प्रस्ताव का ड्राफ्ट सौंपेंगे। बता दें कि 16 अक्टूबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के अगले दिन ही इस प्रस्ताव को उनकी कैबिनेट ने मंजूर किया।

शपथ ग्रहण के अगले दिन ही कैबिनेट की बैठक में प्रस्ताव को मंजूरी
शपथ ग्रहण के एक दिन बाद गुरुवार को श्रीनगर के सिविल सेक्रेटरिएट में कैबिनेट की पहली बैठक हुई। बैठक के दौरान नेशनल कॉन्फ्रेंस के अब्दुल रहीम राथर को विधानसभा का प्रोटेम स्पीकर चुना गया। इस बैठक में वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्रिमंडल के सदस्यों ने भाग लिया। कैबिनेट की मीटिंग में डिप्टी CM सुरेंद्र चौधरी, मंत्री सकीना मसूद इटू, जाविद अहमद डार, जावेद अहमद राणा और सतीश शर्मा भी मौजूद थे। अब इस प्रस्ताव को उपराज्यपाल के माध्यम से केंद्र सरकार को भेजा जाएगा। पूर्ण राज्य के दर्जे के लिए केंद्र सरकार को ही जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम में बदलाव का अधिकार है।

अगस्त, 2019 में दो केंद्र शासित प्रदेशों में बंटा जम्मू-कश्मीर

बता दें कि केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के साथ ही उसका पूर्ण राज्य का दर्जा खत्म कर दिया था। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू-कश्मीर और लद्दाख) में बांट दिया था।

पूर्ण राज्य बनते ही जम्मू-कश्मीर सरकार को मिल जाएंगे ये अधिकार

पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल होते ही जम्मू-कश्मीर सरकार को कई अधिकार मिल जाएंगे। जैसे राज्य विधानसभा के पास सार्वजनिक व्यवस्था और समवर्ती सूची के मामलों में कानून बनाने का अधिकार होगा। इसके अलावा अगर राज्य सरकार कोई फाइनेंशियल बिल लाती है तो इसके लिए उसे उपराज्यपाल की मंजूरी नहीं लेनी होगी। राज्य में किसी भी अधिकारी की नियुक्ति या फिर उसके ट्रांसफर से जुड़े फैसले लेने का अधिकार भी मिल जाएगा। इसमें उपराज्यपाल के हस्तक्षेप की जरूरत नहीं पड़ेगी। 

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