प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए राजमाता विजया राजे सिंधिया की 100वीं जयंती पर 100 रुपए का सिक्का जारी किया। उन्होंने कहा, राजमाता जी कहती भी थीं, मैं एक पुत्र की नहीं, मैं तो सहस्त्रों पुत्रों की मां हूं। हम सब उनके पुत्र-पुत्रियां ही हैं, उनका परिवार ही हैं। ये मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है कि मुझे राजमाता जी की स्मृति में 100 रुपए के विशेष स्मारक सिक्के का विमोचन करने का मौका मिला।
नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए राजमाता विजया राजे सिंधिया की 100वीं जयंती पर 100 रुपए का सिक्का जारी किया। उन्होंने कहा, राजमाता जी कहती भी थीं, मैं एक पुत्र की नहीं, मैं तो सहस्त्रों पुत्रों की मां हूं। हम सब उनके पुत्र-पुत्रियां ही हैं, उनका परिवार ही हैं। ये मेरा बहुत बड़ा सौभाग्य है कि मुझे राजमाता जी की स्मृति में 100 रुपए के विशेष स्मारक सिक्के का विमोचन करने का मौका मिला।
पीएम मोदी ने कहा, राजमाता विजयाराजे सिंधिया एक निर्णायक नेता और कुशल प्रशासक भी थीं। राष्ट्र के भविष्य के लिए राजमाता ने अपना वर्तमान समर्पित कर दिया था। देश की भावी पीढ़ी के लिए उन्होंने अपना हर सुख त्याग दिया था। राजमाता ने पद और प्रतिष्ठा के लिए न जीवन जीया, न राजनीति की।
"राजमाता के आशीर्वाद से देश आज विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है"
पीएम ने कहा, राजमाता के आशीर्वाद से देश आज विकास के पथ पर आगे बढ़ रहा है। गांव, गरीब, दलित-पीड़ित-शोषित-वंचित, महिलाएं आज देश की पहली प्राथमिकता में हैं। पीएम ने कहा, आर्टिकल 370 खत्म करके देश ने उनका बहुत बड़ा सपना पूरा किया है और ये भी कितना अद्भुत संयोग है कि रामजन्मभूमि मंदिर निर्माण के लिए उन्होंने जो संघर्ष किया था, उनकी जन्मशताब्दी के साल में ही उनका ये सपना भी पूरा हुआ है।
"सशक्त, सुरक्षित, समृद्ध भारत राजमाता जी का सपना था"
पीएम मोदी ने कहा कि उनके इन सपनों को हम आत्मनिर्भर भारत की सफलता से पूरा करेंगे। राजमाता की प्रेरणा हमारे साथ है, उनका आशीर्वाद हमारे साथ है।
"जो हाथ पालने को झुला सकते हैं वो विश्व पर राज भी कर सकते हैं"
पीएम ने कहा, नारी शक्ति के बारे में वो विशेष तौर पर कहती थीं कि जो हाथ पालने को झुला सकते हैं, तो वो विश्व पर राज भी कर सकते हैं। आज भारत की नारी शक्ति हर क्षेत्र में आगे बढ़ रहीं हैं, देश को आगे बढ़ा रही हैं।
उन्होंने कहा, गांव, गरीब, दलित-पीड़ित-शोषित-वंचित, महिलाएं आज देश की पहली प्राथमिकता में हैं। राजमाता एक आध्यात्मिक व्यक्तित्व थीं। साधना, उपासना, भक्ति उनके अन्तर्मन में रची-बसी थी। लेकिन जब वो भगवान की उपासना करती थीं, तो उनके मंदिर में एक चित्र भारत माता का भी होता था।
पीएम ने कहा, भारत माता की भी उपासना उनके लिए वैसी ही आस्था का विषय था। हम राजमाता के जीवन के हर पहलू से हर पल बहुत कुछ सीख सकते हैं। वो छोटे-छोटे से साथियों को उनके नाम से जानती थीं। सामाजिक जीवन में अगर आप हैं, तो सामान्य से सामान्य कार्यकर्ता के प्रति ये भाव हम सभी के अंदर होना चाहिए।
"राजमाता को कई बड़े पद मिले, लेकिन उन्होंने विनम्रता से ठुकरा दिया"
पीएम ने कहा, ऐसे कई मौके आए जब पद उनके पास तक चलकर आए। लेकिन उन्होंने उसे विनम्रता के साथ ठुकरा दिया। एक बार खुद अटल जी और आडवाणी जी ने उनसे आग्रह किया था कि वो जनसंघ की अध्यक्ष बन जाएं। लेकिन उन्होंने एक कार्यकर्ता के रूप में ही जनसंघ की सेवा करना स्वीकार किया।
"आपातकाल के दौरान तीहाड़ जेल से राजमाता ने अपनी बेटियों को चिट्ठी लिखी"
मोदी ने कहा, आपातकाल के दौरान तीहाड़ जेल से राजमाता ने अपनी बेटियों को चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने चिट्ठी में जो लिखा था उसमें बहुत बड़ी सीख थी। उन्होंने लिखा था, अपनी भावी पीढ़ियों को सीना तान कर जीने की प्रेरणा मिले इस उद्देश्स से हमें आज की विपदा को धैर्य के साथ झेलना चाहिए।