कमेटी का चेयरमैन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बनाया गया था। कमेटी के अन्य सदस्यों के नामों का भी ऐलान किया गया है। अध्यक्ष के अलावा सात सदस्यीय कमेटी में सरकार और विपक्ष के नेताओं के साथ संविधान विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है।
One Nation One Election: भारत में वन नेशन वन इलेक्शन की संभावनाओं को लेकर एक कमेटी का गठन किया था। कमेटी का चेयरमैन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को बनाया गया था। कमेटी के अन्य सदस्यों के नामों का भी ऐलान किया गया है। अध्यक्ष के अलावा सात सदस्यीय कमेटी में सरकार और विपक्ष के नेताओं के साथ संविधान विशेषज्ञों को भी शामिल किया गया है। जबकि केंद्रीय कानून मंत्री को विशेष आमंत्रित सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। हालांकि, कमेटी गठन के बाद ही कांग्रेस सांसद व लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया है। चौधरी ने कहा कि राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को कमेटी का सदस्य न बनाकर सरकार ने संसदीय सिस्टम का मजाक बना दिया है। खड़गे की जगह पर गुलाम नबी आजाद को मेंबर बनाया गया है।
कौन-कौन है कमेटी में?
लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के लिए भारत सरकार ने एक हाईलेवल कमेटी का गठन किया है। कमेटी के चेयरमैन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद होंगे। देश के गृहमंत्री अमित शाह बतौर सदस्य इसमें शामिल हैं। कांग्रेस नेता व लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष अधीर रंजन चौधरी को भी सदस्य के रूप में शामिल किया गया है। कमेटी में जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम गुलाम नबी आजाद, 15वां वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, लोकसभा के पूर्व महासचिव डॉ.सुभाष सी कश्यप, सीनियर एडवोकेट हरीश साल्वे, पूर्व चीफ विजिलेंस कमिश्नर संजय कोडारी को सदस्य बनाया गया है। विधि एवं न्याय राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभारी अर्जुन राम मेघवाल, भारत सरकार के सचिव नितेन चंद को कमेटी का सचिव बनाया गया है।
हर बार खर्च बढ़ रहा तीन से चार गुना
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, 2009 में हुए लोकसभा चुनाव के खर्च के तीन गुना खर्च 2014 के लोकसभा चुनाव में हुए थे। हर बार खर्च तीन से चार गुना बढ़ रहा है। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में 3870 करोड़ रुपये खर्च हुए थे। जबकि बिहार चुनाव में 300 करोड़ तो गुजरात चुनाव में 240 करोड़। अगर इसी तरह विधानसभा चुनावों के खर्च और लोकसभा चुनाव के खर्च जोड़ें तो कई हजार करोड़ खर्च होंगे। जबकि इलेक्शन कमीशन के एक अनुमान के अनुसार 4500 करोड़ रुपये के आसपास एक साथ लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने में खर्च होंगे। पढ़िए पूरी खबर…