राज्यसभा में विपक्ष के आचरण को देख जगदीप धनखड़ ने कहा- दुखी हूं! नेता विपक्ष सदन नहीं, मर्यादा छोड़कर गए हैं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी राज्यसभा में भाषण दे रहे थे तभी विपक्षी दलों के सदस्यों ने वाकआउट कर दिया। इसपर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा कि नेता विपक्ष सदन छोड़कर नहीं, मर्यादा छोड़कर गए हैं।

 

Vivek Kumar | Published : Jul 3, 2024 8:50 AM IST / Updated: Jul 03 2024, 06:10 PM IST

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को राज्यसभा (Nrendra Modi speech in Rajya Sabha) में भाषण दिया। वह राष्ट्रपति के अभिभाषण पर लाए गए धन्यवाद प्रस्ताव पर बोले रहे थे। उन्होंने केंद्र सरकार के काम गिनाए और कांग्रेस व विपक्षी दलों पर हमला किया। पीएम के भाषण के दौरान विपक्षी दलों के सदस्यों ने नारेबाजी और हंगामा किया। विपक्षी दलों द्वारा वॉकआउट किए जाने पर सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankhar) ने कहा कि नेता विपक्ष सदन छोड़कर नहीं, मर्यादा छोड़कर गए हैं। उन्होंने अपने शपथ का अनादर किया है।

उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ विपक्षी दलों के सदस्यों को शांत रखने की कोशिश करते रहे, लेकिन कोई उनकी बात सुनने के लिए तैयार नहीं था। नरेंद्र मोदी भाषण दे रहे थे और विपक्षी दलों के सांसद नारेबाजी कर रहे थे। नारेबाजी और शोर के बीच पीएम ने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाई। इस बीच विपक्षी दलों ने वॉकआउट कर दिया।

नरेंद्र मोदी बोले- विपक्ष के नसीब में लिखा है मैदान छोड़कर भाग जाना

इसपर नरेंद्र मोदी ने कहा, "देश देख रहा है, झूठ फैलाने वालों की सत्य सुनने की ताकत भी नहीं होती। सत्य का मुकाबला करने के लिए जिनके हौसले नहीं हैं उनमें बैठकर इतनी चर्चा के बाद अपने उठाए गए सवालों के जवाब सुनने की भी हिम्मत भी नहीं है। इन्होंने राज्यसभा को अपमानित किया है। देश की जनता ने हर प्रकार से उनको इतना पराजित कर दिया है कि अब उनके पास गली-मोहल्ले में चीखने के सिवा कुछ बचा नहीं है। नारेबाजी, हो-हल्ला और मैदान छोड़कर भाग जाना, यही उनके नसीब में लिखा हुआ है।"

 

 

जगदीप धनखड़ बोले- सभापति की कुर्सी पर बैठकर दुखी हूं

विपक्ष के सदन छोड़कर जाने पर राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने कहा, "अत्यंत दर्दनाक, पीड़ादायक, अमर्यादित आचरण देशकर दुखी हूं। मैंने चर्चा की, मैंने अनुरोध किया कि विपक्ष के नेता को बेरोकटोक बोलने का अवसर मिला। आज वो सदन छोड़कर नहीं गए हैं। मर्यादा छोड़कर गए हैं। आज उन्होंने मुझे पीठ नहीं दिखाई है, भारत के संविधान को पीठ दिखाई है। आज उन्होंने मेरा अनादर और आपका अनादर नहीं किया है उस शपथ का अनादर किया है, जो संविधान के तहत ली है। भारत के संविधान का इससे बड़ा अपमान नहीं हो सकता। ऐसा कैसे हो सकता है। राज्य सभा को देश का मार्ग दर्शन करना है। मैं उनके आचरण की भर्त्सना करता हूं। उन्होंने भारत के संविधान को चुनौती दी है।"

सभापति ने कहा, “मैं इस कुर्सी पर बैठकर इतना दुखी हूं कि भारत के संविधान का इतना बड़ा अपमान। इतना बड़ा मजाक। भारत का संविधान हाथ में रखने की किताब नहीं है, जीने की किताब है। मैं आशा करता हूं कि वो आत्मचिंतन करेंगे, मंथन करेंगे, अपने दिल को टटोलेंगे और कर्तव्य पर आएंगे।”

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