ORF SURVEY : 72 फीसदी युवाओं ने मोदी सरकार की विदेश नीति को बताया बेहतर, चीन पर सख्ती से 86 फीसदी सहमत

मोदी सरकार ने विदेश नीतियों के बारे में जानने के लिए देशभर के युवाओं के बीच फॉरेन पॉलिसी सर्वे किया। इसमें सरकार की 72 फीसदी युवाओं ने सरकार की विदेश नीति को अच्छा बताया है।

नई दिल्ली। भारत की विदेश नीति के लक्ष्यों और वैश्विक मामलों में इसकी भूमिका को लेकर सरकार ने ओआरएफ (ORF) फॉरेन पॉलिसी सर्वे 2021 कराया है। इसमें देश के 14 शहरों के 18 से 35 साल तक के 2,037 युवाओं की राय ली गई। सर्वे में 72 फीसदी युवाओं ने हमारी विदेश नीति को बहुत अच्छी या अच्छी रेटिंग दी है। 74 फीसदी ने विदेश नीति के लिए कोविड-19 (Covid-19) जैसी महामारी को लेकर चिंता जताई है। सर्वे में 53 फीसदी युवाओं ने चीन को लेकर मोदी सरकार की नीतियों से सहमति जताई है, जबकि चीन के ऐप्स पर बैन से 86 फीसदी युवा सहमत हैं। 6 फीसदी युवा ऐसे हैं, जो मोदी सरकार की चीन नीति से असहमत हैं। 74 प्रतिशत युवाओं का मानना है कि संयुक्त राष्ट्र (यूएन) सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट प्राप्त करना था भारत के लिए एक महत्वपूर्ण गोल था। सर्वे में 549 ग्रेजुएट्स और 12वीं तक पढ़े 447 युवाओं ने जवाब दिए। 

71 फीसदी ने आत्मनिर्भर भारत को बेहतर बताया 
अन्य देशों की तुलना में भारत में शिक्षा के अवसर, अर्थव्यवस्था, समाज, संस्कृति, रहन-सहन, परिवहन आदि पर वैश्वीकरण के प्रभाव को लेकर शहरी युवाओं की राय अलग-अलग है। हालांकि, विदेश में पढ़ाई के मौके को हर वर्ग में सकारात्मक रूप से देखा गया। विदेश में काम या रहने के बारे में स्पष्टता कम है। सर्वे में भाग लेने वाले 71 प्रतिशत युवाओं का मानना है कि सरकार का आर्थिक आत्मनिर्भरता मिशन और आत्मनिर्भर भारत (Atmnirbhar Bharat Mission) अभियान देश के लिए बेहतर रहेगा।

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62 फीसदी ने कहा- ग्लोबलाइजेशन का अच्छा प्रभाव
वैश्वीकरण ने भारत को सामान्य तौर पर कितना प्रभावित किया? इस सवाल पर 62 फीसदी युवाओं का मानना है कि इसका अच्छा प्रभाव पड़ा है। 59 प्रतिशत का मानना है कि शिक्षा के अवसरों के लिए यह काफी बेहतर है। 51 फीसदी का कहना है कि अर्थव्यवस्था के लिहाज से यह बेहतर है। 47 प्रतिशत का मानना है कि यह भारत के लोगों को विदेशों में मौके देने के लिहाज से बहुत अच्छा है। 

वैश्विक शक्ति के रूप में चीन की बढ़ती ताकत चिंता 
शहरी युवाओं में वैश्विक शक्ति के रूप में चीन का उदय बड़ी चंता का विषय है। 62 प्रतिशत युवाओं का कहना है कि यूएस-चीन तनाव के मामले में भारत को गुटनिरपेक्षता छोड़ देती चाहिए। इनका मानना है कि चीन न सिर्फ भारत के पड़ोस में दखल दे रहा है, बल्कि अपनी सेना और आर्थिक शक्ति भी बढ़ा रहा है। युवाओं ने युद्ध छिड़ने की आशंका भी व्यक्त की। 77 फीसदी युवाओं का कहना है कि वे अमेरिका पर भरोसा कर सकते हैं। अमेरिका के बाद ऑस्ट्रेलिया, रूस, जापान, फ्रांस, यूके और भी यूरोपीय यूनियन का स्थान है। चीन पर 77 फीसदी युवाओं ने अविश्वास जताया। युवाओं का मानना है कि आने वाले एक दशक में क्वाड, रूस और यूरोप को भारत का प्रमुख भागीदार मानते हैं।

मुद्दे और युवाओं की राय   
अर्थव्यवस्था :
80 फीसदी का मानना है भारतीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देना चाहिए। 
आतंकवाद : 73 फीसदी का कहना है कि आतंकवाद से लड़ाई जरूरी है। 
पड़ोसी देश : 53 फीसदी ने कहा कि चीन-पाकिस्तान से रिश्तों में सुधार करना चाहिए। 
व्यापार : 76 प्रतिशत का मानना है कि बहुपक्षीय संगठनों और वैश्विक सहयोग के जरिये भारत में व्यवसाय होना चाहिए।


80 फीसदी ने कहा- पाक से संबंध बहुत खराब 
80 फीसदी युवाओं का मानना है कि पाकिस्तान के साथ संबंध बहुत खराब हैं। 68 फीसदी मानते हैं कि पड़ोसियों में विशेष तौर पर श्रीलंका के साथ हमारे संबंध लगातार बेहतर हो रहे हैं। इसके अलावा मालदीव, भूटान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के साथ पिछले छह साल में सबंध बेहतर हुए हैं।  पड़ोसी देशों पर भरोसे के मामले में श्रीलंका सबसे आगे है। 68 प्रतिशत युवा श्रीलंका पर सबसे अधिक भरोसा करते हैं, जबकि पाकिस्तान पर सबसे कम (10 फीसदी) भरोसा है। युवा मालदीव्स, भूटान और नेपाल को लेकर पॉजिटिव सोच रखते हैं। 

14 शहरों के युवाओं के बीच सर्वे
ओएफआर सर्वे 3 से 21 दिसंबर 2020 के बीच गया। सर्वे में 14 शहरों, अहमदाबाद, बेंगलुरू, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, दिल्ली, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर,  कोलकाता, लखनऊ, मुंबई और पटना के युवाओं से सवाल किए गए। ओएफआर का उद्देश्य विदेश नीति सर्वे को हर साल करने का है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि भारतीय विदेश नीति के लक्ष्यों और विश्व मामलों में इसकी बढ़ती भूमिका के प्रति इसके दृष्टिकोण को कैसे समझते हैं।

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