संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर ओवैसी का पलटवार, कहा- हम बच्चे नहीं जो गुमराह हों, जारी रखेंगे विरोध

Published : Oct 25, 2020, 10:36 PM ISTUpdated : Oct 25, 2020, 10:37 PM IST
संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर ओवैसी का पलटवार, कहा- हम बच्चे नहीं जो गुमराह हों, जारी रखेंगे विरोध

सार

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत की ओर से रविवार को सीसीए को लेकर दिए गए बयान पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार किया है।

नई दिल्ली. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत की ओर से रविवार को सीसीए को लेकर दिए गए बयान पर ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने पलटवार किया है। ओवैसी ने कहा है कि हम बच्चे नहीं हैं, जिन्हें नागरिकता संशोधन कानून को लेकर गुमराह किया जाए। जब तक देश में ऐसा एक भी कानून है जो हमसे हमारी भारतीयता साबित करने के लिए कहेगा हम उसका विरोध करते रहेंगे।

ओवैसी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है। ओवैसी ने ट्विटर पर लिखा, 'बीजेपी ने इस बारे में कुछ नहीं कहा है कि सीएए+एनआरसी का करना क्या था। अगर यह मुस्लिमों के बारे में नहीं है, तो इसमें धर्म संबंधी हर चीज को हटा दें। यह याद रखें कि हम तक तक विरोध करते रहेंगे जब तक ऐसा एक भी कानून रहेगा, जो हमें हमारी भारतीयता साबित करने को कहेगा।'

कांग्रेस और अन्य राजनीतिक दलों पर भी बोला हमला 
ओवैसी ने आगे लिखा है कि 'मैं कांग्रेस, आरजेडी और उनके हमशक्लों से भी यह कहना चाहता हू कि आंदोलन के दौरान आपकी चुप्पी भूले नहीं है। जब बीजेपी नेता लोगों को सीमांचल घुसपैठिए कह रहे थे तो आरजेडी और कांग्रेस ने एक बार भी अपनी चुप्पी नहीं तोड़ी।'

संघ प्रमुख के इस बयान पर हमलावर हो रहा विपक्ष 
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की सालाना दशहरा रैली में पहुंचे मोहन भागवत ने रविवार को कहा कि भारत के इस नागरिकता अधिनियम संशोधन कानून में किसी संप्रदाय विशेष का विरोध नहीं है। उन्होंने कहा है कि देश की संसद में नागरिकता अधिनियम संशोधन कानून (CAA) पूरी प्रक्रिया को लागू करते हुए पारित किया गया। उन्होंने आगे कहा कि कुछ पड़ोसी देशों से सांप्रदायिक कारणों से प्रताड़ित होकर विस्थापित किए जाने वाले बन्धु, जो भारत में आएंगे, उनको मानवता के हित में शीघ्र नागरिकता प्रदान करने का यह प्रावधान था। उन देशों में साम्प्रदायिक प्रताड़ना का इतिहास है। भागवत ने कहा, यह संशोधन किसी विशेष धार्मिक समुदाय का विरोध नहीं करता। लेकिन, कानून का विरोध करने वालों ने ऐसा वातावरण बनाया कि इस देश में मुसलमानों की संख्या ना बढे इसलिए ये कानून बनाया गया है।
 

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