गिलगित-बाल्टिस्तान पर उलटा पड़ा पाक का दांव, पाकिस्तान को कठपुतली की तरह नचा रहा चीन

चीन के इशारे पर गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान के पांचवें प्रांत के तौर पर बदलने के इमरान खान की तरफ से लिए गए फैसले के बाद देश के अंदर ही इसका भारी विरोध किया जा रहा है।

Asianet News Hindi | Published : Sep 30, 2020 4:25 PM IST / Updated: Sep 30 2020, 09:58 PM IST

नई दिल्ली. चीन के इशारे पर गिलगित-बाल्टिस्तान को पाकिस्तान के पांचवें प्रांत के तौर पर बदलने के इमरान खान की तरफ से लिए गए फैसले के बाद देश के अंदर ही इसका भारी विरोध किया जा रहा है। इमरान खान के धुर-विरोधी मौलाना फजलुर रहमान ने उन विपक्षी नेताओं के साथ आ गए हैं, जिन्होंने इसे बीजिंग का एजेंडा बताते हुए उसे लागू न करने की बात कही है।

जमियत उलेमा-ए-इस्लाम (एफ) के अध्यक्ष ने इस बात पर जोर देकर कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान इलाके को पूर्ण दर्जा देने से भारत के पिछले साल 5 अगस्त को जम्मू कश्मीर को केन्द्र शासित प्रदेश बनाना स्वीकार करना मान लिया जाएगा। मौलाना फजलुर रहमान ने अथमुकम में मंगलवार को संवाददाताओं से बात करते हुए कहा, “कश्मीरियों के खून के ऊपर सौदा किया गया। कश्मीर कूटनीति के नाम पर व्यावसाय किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि कश्मीर का विभाजन न होने दें।”

पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी ने भी किया विरोध 
पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी अध्यक्ष लतीफ अकबर ने मुजफराबाद में संवाददाताओं को बताया कि संघीय सरकार का गिलगित-बाल्टिस्तान को प्रांत मानने का फैसला उन्हें स्वीकार नहीं था। पाकिस्तान ने पारंपरिक तौर पर यह दावा किया है कि कश्मीर का वह हिस्सा जिस पर उसका कब्जा है वह अर्ध-स्वायत्त है और वह औपचारिक रूप से देश की उस स्थिति के अनुरूप नहीं है, जिसमें यह कहा गया है कि पूरे क्षेत्र में एक जनमत संग्रह कराया जाना चाहिए।

मामले में कदम पीछे खींचने का इरादा नहीं: इमरान 
वहीं पाकिस्तान की इमरान खान सरकार ने यह साफ कर दिया है कि गिलगित बाल्टिस्तान पर उनका कदम पीछने खींचने का कोई इरादा नहीं है और 15 नवंबर को गिलगित-बाल्टिस्तान में विधानसभा चुनाव कराए जाने को इस दिशा में पहला कदम बताया। भारत स्थित पाकिस्तान मामलों के जानकारों का यह मानना है कि गिलगित बाल्टिस्तान की स्थिति में बदलाव सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा और इमरान खान ने चीन के दबाव में आकर किया है, क्योंकि बीजिंग चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे को सुरक्षित करना चाहता है।

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