केंद्र सरकार नगालैंड से आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) (Armed Forces Special Powers Act ) हटाने को लेकर एक समिति का गठन करेगी। यह समित 45 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।
नई दिल्ली : केंद्र सरकार नगालैंड से आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट (AFSPA) हटाने को लेकर एक समिति का गठन करेगी। यह समित 45 दिनों में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। इस समित में पांच सदस्य होंगे।
इस संबंध में ने एक बयान जारी कर कहा कि गृह मंत्री अमित शाह ( Union Home Minister Amit Shah ) के साथ 23 दिसंबर को एक मीटिंग की गई थी। जिसके बाद अफस्पा (AFSPA) को वापस लेने पर विचार करने वाली एक कमेटी गठित करने का फैसला लिया गया। इस बैठक में गृह मंत्री अमित शाह के नगालैंड के सीएम नेफियू रियो, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा, नगालैंड के उप मुख्यमंत्री वाई पैटन और एनपीएफएलपी नेता टीआर जेलियांग ने हिस्सा लिया था। ,
गौरतलब है कि नागालैंड (Nagaland) के मोन जिले में चार दिसंबर और उसके अगले दिन उग्रवाद विरोधी अभियान और जवाबी हिंसा में कम से कम 14 नागरिक मारे गए और एक सैनिक भी मारा गया था। सुरक्षा बलों के एनकाउंटर में आम नागरिकों के मारे जाने के बाद पूरे देश में सवाल उठने लगे थे। संसद में गृह मंत्री को इस नरसंहार पर जवाब देना पड़ा था। इस मामले में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (court of inquiry) बैठा दी गई है। इस इंक्वायरी का इंचार्ज मेजर जनरल रैंक (Major General rank) के अधिकारी को बनाया गया है। जांच अधिकारी, नॉर्थईस्ट सेक्टर में तैनात हैं।
क्या है AFSPA
आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट यानी AFSPA नागालैंड में कई दशकों से लागू है। 1958 में संसद ने यह एक्ट लागू किया था। इसके तहत सैन्य बलों को विशेष अधिकार हासिल होता है। इस कानून के तहत सेना के जवान कानून तोड़ने वाले व्यक्ति पर गोली भी चला सकते हैं। यह कानून असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड सहित पूरे पूर्वोत्तर भारत में लागू किया गया था। समय- समय पर इसे लेकर विरोध होते रहे हैं।
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