नेहरू-इंदिरा से लेकर राजीव गांधी सरकार में कितनी हुई हिंसा, अमित शाह ने दिया SHOCKING DATA

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में मणिपुर हिंसा को लेकर विपक्ष के सारे सवालों का जवाब दिया। उन्होंने पूर्व की कांग्रेस सरकारों के दौरान हुई हिंसा का भी डाटा सामने रखा।

 

Amit Shah On Manipur Violence. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने विपक्ष पर करारा हमला करते हुए मणिपुर हिंसा मामले में अब तक की सारी बातें सदन में रखी हैं। इसके साथ ही केंद्रीय गृहमंत्री ने पूर्व की सरकारों के कार्यकाल में जो हिंसक वारदातें हुईं उसका भी डाटा देश के सामने रखा है। गृहमंत्री ने यह कहते हुए विपक्ष को घेरा कि वे मणिपुर मामले में सिर्फ राजनीति कर रहे हैं और उनका हिंसा पर चर्चा का कोई मकसद ही नहीं था।

पूर्व की सरकारों के दौर में हिंसा का क्या हाल रहा

Latest Videos

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि 1993 में नरिम्हा राव पीएम थे। उस समय नागा-कुकी हिंसा हुई और 700 लोग मारे गए थे। इसके बाद फिर संघर्ष हुआ जिसमें 100 लोग मारे गए। फिर 1997-98 में इंद्र कुमार गुजरात की सरकार आई। तब भी मैतेई और नस्लीय हिंसा हुई। 1 साल तक हिंसा चली। सरकार से कोई नहीं गया। सदन में चर्चा तक नहीं हुई। सारे सवाल खारिज कर दिए गए और ये कहते हैं कि पीएम क्यों नहीं गए। 2004 में मनमोहन सिंह की सरकार थी, राज्य में इबोबी सिंह की सरकार थी, उस वक्त 1700 एनकाउंटर हुए। सुप्रीम कोर्ट ने भी संज्ञान लिया लेकिन कोई जवाब नहीं दिया गया। न तो गृहमंत्री और न ही प्रधानमंत्री की तरफ से कुछ कहा गया। अमित शाह ने कहा कि यह परिस्थितिजन्य नस्लीय हिंसा है। इसे राजनीति का मुद्दा नहीं बनाना चाहिए।

अमित शाह ने बताया मणिपुर हिंसा का असली कारण

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कहा कि 6 साल से मणिपुर में बीजेपी की सरकार है। सभी में हिंसा नहीं हुई। 2021 में म्यांमार में सरकार बदली। कुकी डेमोक्रेटिक फंड ने आंदोलन स्टार्ट किया। मिलिट्री ने दबिश बनाना शुरू किया। इसके बाद कुकी भाई यहां आना शुरू कर दिए। हजारों की संख्या में आदिवासी भाई यहां आना शुरू किए। इसके बाद मणिपुर में मौजूद स्थायी मैतई लोगों के मन में असुरक्षा की भावना आ गई। 2022 से बॉर्डर बनाना स्टार्ट कर दिया और 2023 जनवरी महीने से हमने जितने शरणार्थी आए थे, उनको परचिय पत्र, आई इंप्रेशन कराना स्टार्ट कर दिया। ़

1968 के बीच समझौता है कि 40 किमी के अंदर आने वाले को पासपोर्ट नहीं चाहिए। अप्रैल में अफवाह फैली की जंगल गांव घोषित कर दिया गया। आग में तेल डालने का काम हाईकोर्ट के एक जज ने किया। अचानक 29 अप्रैल से पहले मैतई जाति को ट्रायबल घोषित कर दिया। कोई कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। इसके बाद 03 मई को क्लैश हो गया। 29 मई को जजमेंट आया था। इसके बाद जुलूस निकाला गया और 3 मई को हिंसा हो गई।

यह भी पढ़ें

Manipur Violence पर अमित शाह ने सदन और पूरे देश को दिया हर सवाल का जवाब- 12 प्वाइंट

 

Share this article
click me!

Latest Videos

Devendra Fadnavis के लिए आया नया सिरदर्द! अब यहां भिड़ गए Eknath Shinde और Ajit Pawar
कड़ाके की ठंड के बीच शिमला में बर्फबारी, झूमने को मजबूर हो गए सैलानी #Shorts
समंदर किनारे खड़ी थी एक्ट्रेस सोनाक्षी सिन्हा, पति जहीर का कारनामा हो गया वायरल #Shorts
पहले गई सीरिया की सत्ता, अब पत्नी छोड़ रही Bashar Al Assad का साथ, जानें क्यों है नाराज । Syria News
LIVE 🔴: बाबा साहेब का अपमान नहीं होगा सहन , गृहमंत्री अमित शाह के खिलाफ बर्खास्तगी की उठी मांग'