Mediation Bill 2023 लोकसभा में पास, कोर्ट्स में कितने मामले पेंडिंग-कैसे फायदेमंद होगा यह बिल

Published : Aug 08, 2023, 07:28 AM ISTUpdated : Aug 08, 2023, 07:29 AM IST
arjun ram meghval

सार

मणिपुर हिंसा को लेकर लोकसभा में चल रहे भारी हंगामे के बीच मेडिएशन बिल 2023 (Mediation Bill 2023) लोकसभा में पास कर दिया गया है। यह बिल कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है।

Mediation Bill 2023. विपक्ष के भारी हंगामे के बीच लोकसभा में मेडिएशन बिल 2023 (Mediation Bill 2023) पास कर दिया गया है। इससे पहले 1 अगस्त को यह बिल राज्यसभा में पास किया गया था। इस बिल के ड्राफ्ट पर बहस के दौरान केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि भारत जैसे प्राचीन देश के लिए यह कोई नया कांसेप्ट नहीं है। मेडिएशन की कई बातें हमारे यहां पहले से ही मौजूद हैं, जिनका कई प्राचीन ग्रंथों में किया जा चुका है।

गरीबों की समस्या दूर करेगा Mediation Bill 2023

केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि मेडिएशन बिल 2023 गरीबों की समस्याओं को दूर करने के उद्देश्य से लाया गया है। कानून मंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में पहले से ही 70,000 केस पेंडिंग हैं, जबकि विभिन्न हाईकोर्ट में भी 60 लाख से ज्यादा मामले अभी पेंडिंग हैं। इतना ही नहीं जिला और सब ऑर्डिनेट कोर्ट की बात करें तो देश में करीब 4 करोड़ मामले पेंडिंग हैं। मंत्री ने कहा कि सरकार का यही उद्देश्य है कि पेंडिंग मामलों का भार किसी तरह से कम किया जा सके। इस बिल के जरिए मेडिएशन सेंटर के माध्यम से लोगों को कानूनी सहायता दी जाएगी और यह कास्ट इफेक्टिव भी होगा।

Mediation Bill 2023 कैसे फायदेमंद होगा

यह बिल इंस्टीट्यूशल मेडिएशन को बढ़ावा देगा जिससे विवादों को हल किया जा सके। कॉमर्शियल विवाद हों या अन्य किसी तरह की समस्य मेडिएशनल बिल सेटलमेंट के जरिए विवादों को जल्दी हल करने पर फोकस करेगा। यह मेडिएटर्स को रजिस्ट्रेशन की सुविधा देगा। इससे सामुदायिक मेडिएटर्स को बढ़ावा मिलेगा जो कम खर्च में ही लोगों को लीगल असिस्टेंट कराएंगे। यह बिल मुख्य रुप से कोर्ट के बाहर ही विवादों को सुलझाने में मददगार साबित होगा।

क्या होता है कि Mediation Bill

सामान्य शब्दों में कहा जाए तो मध्यस्थता बिल का उद्देश्य यह है कि कोई भी विवाद कोर्ट या फिर ट्रिब्यूनल में जाने से पहले मध्यस्थता के जरिए सिविल और कमर्शियल विवादों को निपटाने का प्रयास करे। इससे कोर्ट पर मामलों का भारत कम होगा और लोगों को त्वरित न्याय भी मिल सकेगा।

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