उपसभापति हरिवंश (Harivansh) की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी।
नई दिल्ली। संसद (Parliament) से निलंबित 12 राज्यसभा सांसदों (MP) का निलंबन वापस हो सकता है। बताया जा रहा है कि निलंबित सांसद (Rajya Sabha) अगर माफी मांग लेते हैं तो राज्यसभा सभापति सांसदों को माफी दे सकते हैं। उधर, निलंबन से गुस्साएं सांसदों ने मंगलवार को राज्यसभा सभापति एम. वेंकैया नायडू (M. Venkaiah Naidu) से मुलाकात करने का फैसला लिया है। माना जा रहा है कि राज्यसभा के निलंबित सांसद सभापति से मिलने के दौरान माफी भी मांग सकते हैं।
संसद सत्र के पहले ही दिन 12 सांसदों के निलंबन का आदेश
दरअसल, सोमवार को संसद का शीतकालीन सत्र (Parliament Winter Session) शुरू हुआ है। पहले दिन सदन में केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने का विधेयक पेश किया और पास कराया। इसी बीच बीते मानसून सत्र में हंगामा करने वाले राज्यसभा के 12 सांसदों का इस सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। राज्यसभा के 254वें सत्र (मानसून सत्र 2021) के दौरान अमर्यादित आचरण करने वाले कांग्रेस (Congress) और तृणमूल कांग्रेस (TMC) सहित अन्य विपक्षी दलों के 12 सदस्य, शीतकालीन सत्र की बची हुई अवधि में निलंबित रहेंगे। उपसभापति हरिवंश (Harivansh) की अनुमति से संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने इस सिलसिले में एक प्रस्ताव रखा, जिसे विपक्षी दलों के हंगामे के बीच सदन ने मंजूरी दे दी।
इन सदस्यों को किया निलंबित
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के इलामारम करीम, कांग्रेस की फूलों देवी नेताम, छाया वर्मा, रिपुन बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन, अखिलेश प्रताप सिंह, तृणमूल कांग्रेस की डोला सेन और शांता छेत्री, शिव सेना की प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के विनय विस्वम को निलंबित किया गया है।
हंगामे की जांच के लिए बनी थी समिति
संसद के मानसून सत्र में राज्यसभा में हंगामे के दौरान धक्का-मुक्की करने और सदन की मर्यादा का कथित तौर पर उल्लंघन करने के आरोपों के बाद राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने इस मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की थी। समिति की सिफारिशों के आधार पर इन सांसदों के खिलाफ सोमवार को कार्रवाई की गई। संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार आरंभ हुआ। यह 23 दिसंबर तक प्रस्तावित है।
नायडू बोले- परेशान करने वाला आचरण था सांसदों का
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि मानसून सत्र के अंतिम चरण में कुछ सदस्यों का आचरण परेशान करने वाला था। इस संबंध में सदन के प्रमुख नेताओं और संबंधित लोगों की प्रतिक्रिया उनकी अपेक्षाओं के अनुरूप नहीं थी। उन्होंने राज्यसभा के सदस्यों से दोबारा ऐसा आचरण नहीं करने का अनुरोध किया और उम्मीद जताई कि यह सत्र उपयोगी साबित होगा। उन्होंने कहा कि देश आजादी का 75वां साल मना रहा है वहीं संविधान स्वीकार किए जाने के 72 साल पूरा हो रहे हैं। मुझे उच्च सदन में शालीनता और मर्यादा के साथ सामान्य तरीके से कामकाज की उम्मीद है। व्यवधान के बदले बातचीत और बहस का विकल्प चुना जाना चाहिए। नायडू ने संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन सोमवार को उच्च सदन में अपने संबोधन में यह टिप्प्णी की। नायडू ने कहा- सत्ता पक्ष पिछले सत्र के अंतिम दो दिनों के दौरान कुछ सदस्यों के आचरण की विस्तृत जांच चाहता था। मैंने विभिन्न दलों के नेताओं से संपर्क करने की कोशिश की है।
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