Pegasus Spyware: पूर्व गृहमंत्री पी.चिदंबरम ने कहा-बापू के कथन को कुछ लोग भूल चुके हैं, डर रहे शासकों से

Pegasus Spyware Case में 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अहम आदेश जारी किया है। SC ने जांच के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में काम करेगी। 

नई दिल्ली। कांग्रेस (Congress) के वरिष्ठ नेता व पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम (P. Chidambaram) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) द्वारा कमेटी बनाने के दौरान कुछ लोगों के इनकार पर दु:ख जताया है। चिदंबरम ने ट्वीट किया, ‘मैं इस बात से व्यथित हूं कि कई लोगों से जब पेगासस जासूसी मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी समिति का हिस्सा बनने के लिए आग्रह किया गया तो उन्होंने विनम्रतापूर्वक इनकार कर दिया।’ पूर्व गृह मंत्री ने सवाल किया कि क्या कोई भी ईमानदार नागरिक राष्ट्रीय हित से जुड़े मामले में सेवा करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आग्रह को ठुकरा सकता है? उन्होंने कहा कि यह घटनाक्रम इस बात का द्योतक है कि यहां लोग महात्मा गांधी के इस कथन से कितने दूर जा चुके हैं कि भारतीय नागरिकों को अपने शासकों से डरना नहीं चाहिए।

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस जासूसी मामले (Pegasus Spyware)की सुनवाई के दौरान एक जांच कमेटी रिटायर्ड जस्टिस रविंद्रन की अगुवाई में बनाई है। इस कमेटी में कई विशेषज्ञों को शामिल किया गया है। कमेटी के सदस्यों को चुनने की प्रक्रिया के दौरान कई विशेषज्ञों ने इसका हिस्सा बनने से विनम्रतापूर्वक इनकार कर दिया था। माना जा रहा है कि सत्ता पक्ष के खिलाफ जांच के लिए कोई सामने आना नहीं चाहता। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी के सदस्यों का बुधवार को ऐलान कर दिया। 

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कोर्ट ने बुधवार को सरकार की मांग को खारिज कर कमेटी की गठित

Pegasus Spyware Case में 27 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने एक अहम आदेश जारी किया है। SC ने जांच के लिए एक एक्सपर्ट कमेटी का गठन किया है। यह कमेटी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस आरवी रवींद्रन की अध्यक्षता में काम करेगी। 8 हफ्ते बाद फिर इस मामले में सुनवाई की जाएगी। इस तीन सदस्यीय कमेटी में पूर्व IPS अफसर आलोक जोशी और इंटरनेशनल ऑर्गेनाइजेशन ऑफ स्टैंडर्डाइजेशन सब-कमेटी के चेयरमैन डॉ. संदीप ओबेरॉय भी शामिल किए गए हैं।

अदालत ने 3 टेक्निकल कमेटी भी गठित की हैं। इसमें साइबर सिक्योरिटी और डिजिटल फोरेंसिंक के प्रोफेसर डॉ. नवीन कुमार चौधरी, इंजीनियरिंग के प्रोफेसर डॉ. प्रभाकरन पी और कंप्यूटर साइंस एंड इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अश्विन अनिल गुमस्ते को शामिल किया गया है

निष्पक्ष जांच के लिए कई पेटीशन थे दायर

इस मामले की निष्पक्ष जांच को लेकर सीनियर जर्नलिस्ट एन राम (Senior Journalist N.Ram), सांसद जॉन ब्रिटास (John Britas)और यशवंत सिन्हा (Yashwant Sinha) सहित 15 लोगों ने याचिकाएं (petitions) दाखिल कर रखी हैं।

केंद्र सरकार चाहती थी सरकारी कमेटी

केंद्र सरकार ने इस मामले में निष्पक्ष टेक्निकल एक्सपर्ट कमेटी बनाने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन याचिकाकर्ताओं ने इसका विरोध किया था। सुप्रीम कोर्ट ने भी उसे खारिज कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही संकेत दिए थे कि वो अपनी तरफ से कमेटी का गठन कर सकता है। 23 सितंबर को चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा था कि वे एक कमेटी का गठन करना चाहते हैं, लेकिन कुछ विशेषज्ञों ने निजी कारणों से कमेटी में शामिल होने से मना कर दिया था। इसके चलते आदेश जारी होने में देरी हो रही है।

यह है पेगासस जासूसी केस

19 जुलाई 2021 को, एक भारतीय समाचार पोर्टल सहित 17 अंतर्राष्ट्रीय मीडिया संगठनों के एक ग्रुप ने पेगासस प्रोजेक्ट नाम के दुनिया भर के फोन नंबरों की लीक हुई सूची के बारे में एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। लीक की गई सूची में ये नंबर कथित तौर पर इजरायल के एनएसओ ग्रुप द्वारा बेचे गए पेगासस स्पाइवेयर द्वारा हैक किए गए थे। हैक किए जाने वाले फोन की 'टारगेट लिस्ट' हैं। लक्ष्य सूची में 136 प्रमुख राजनेताओं, न्यायाधीशों, पत्रकारों, व्यापारियों, अधिकार कार्यकर्ताओं आदि की संख्या शामिल है।

एनएसओ ग्रुप, जो ‘पेगासस स्पाइवेयर‘ का मालिक है, पर व्हाट्सएप और फेसबुक द्वारा 2019 में यूएस कैलिफोर्निया कोर्ट के समक्ष दूरस्थ निगरानी करने के लिए अपने प्लेटफॉर्म का शोषण करने के लिए मुकदमा दायर किया गया था। एनएसओ ने बताया था कि उसके उत्पाद केवल सरकारों और राज्य एजेंसियों को बेचे गए थे। 

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