5 साल में लोगों ने लौटा दिए गोद लिए गए 1100 से ज्यादा बच्चे, सामने आ रही ये वजह

आंकड़ों के अनुसार गोद लिए गए बच्चों के पिछले पांच साल में वापस आने की संख्या के मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे रहा। वहां 273 बच्चे वापस बाल देखभाल संस्थाओं में पहुंचाए गए। इसके बाल मध्य प्रदेश (92), ओडिशा (88) और कर्नाटक (60) का नंबर आता है।

Asianet News Hindi | Published : Jan 5, 2020 7:57 AM IST

नई दिल्ली: बाल दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (कारा) ने बताया कि देशभर में 1100 से अधिक गोद लिए गए बच्चे पिछले पांच साल में बाल देखभाल संस्थाओं में वापस आए हैं। कारा के एक अधिकारी ने बताया कि अधिकतर बच्चे, खासकर आठ साल से अधिक आयु के बच्चे गोद लेने वाले अभिभावकों के घर के माहौल के अनुसार ढल नहीं पाने के कारण लौट आए।

‘पीटीआई भाषा’ को आरटीआई के जरिए मिली सूचना के अनुसार 2014-15 में सर्वाधिक बच्चे वापस आए। आरटीआई के आंकड़ों के अनुसार 2014-15 में गोद लिए गए कुल 4,362 बच्चों में से 387 बच्चों और 2015-16 में गोद लिए गए कुल 3,677 में से 236 बच्चों को उन्हें गोद लेने वाले अभिभावकों ने वापस पहुंचा दिया।

आंकड़ों के अनुसार वापिस किए गए बच्चे-

आंकड़ों के अनुसार 2016-17 में कुल 3,788 में से 195 बच्चों, 2017-18 में कुल 3927 में से 153 बच्चों और 2018-19 में कुल 4027 में से 133 बच्चों को वापस बाल देखभाल संस्थाओं में पहुंचाया गया। कारा के अधिकारी ने कहा, ‘‘बाल देखभाल संस्थाओं में बच्चों का अलग तरीके से पालन पोषण किया जाता है। उन्हें परिवारों के साथ रहने और उनके अनुकूल ढलने के लिए तैयार किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि इन मामलों में देखा गया है कि बच्चों को बाल देखभाल संस्थाओं में संरक्षकों से इतना लगाव हो जाता है कि उनके लिए उन्हें छोड़कर किसी परिवार के साथ रहना बहुत मुश्किल हो जाता है।

गोद लेने वाले माता-पिता की काउंसलिंग की जानी चाहिए-

अधिकारी ने कहा कि इसके लिए बच्चों को गोद लेने वाले माता-पिता की भी काउंसलिंग की जानी चाहिए और उन्हें भी इसके लिए तैयार किया जाना चाहिए। आंकड़ों के अनुसार गोद लिए गए बच्चों के पिछले पांच साल में वापस आने की संख्या के मामले में महाराष्ट्र सबसे आगे रहा। वहां 273 बच्चे वापस बाल देखभाल संस्थाओं में पहुंचाए गए। इसके बाल मध्य प्रदेश (92), ओडिशा (88) और कर्नाटक (60) का नंबर आता है।

(यह खबर समाचार एजेंसी भाषा की है, एशियानेट हिंदी टीम ने सिर्फ हेडलाइन में बदलाव किया है।)

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