मुझे तिहाड़ में जल्लाद की नौकरी चाहिए... शिमला के एक शख्स ने राष्ट्रपति को लिखा पत्र

हैदराबाद में डॉक्टर से गैंगरेप फिर जलाकर हत्या कर देने के आरोप में चार आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं। जगह जगह प्रदर्शन कर उनके लिए फांसी की सजा देने की मांग रही है। इस बीच खबर आई कि तिहाड़ जेल में फांसी देने के लिए एक भी जल्लाद नहीं है।  

Asianet News Hindi | Published : Dec 4, 2019 8:38 AM IST / Updated: Feb 02 2022, 10:33 AM IST

नई दिल्ली. हैदराबाद में डॉक्टर से गैंगरेप फिर जलाकर हत्या कर देने के आरोप में चार आरोपी पुलिस की गिरफ्त में हैं। जगह जगह प्रदर्शन कर उनके लिए फांसी की सजा देने की मांग रही है। इस बीच खबर आई कि तिहाड़ जेल में फांसी देने के लिए एक भी जल्लाद नहीं है। ऐसे में शिमला के सामाजिक कार्यकर्ता और सब्जी व्रिकेता रवि कुमार का एक पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने कहा कि वह जल्लाद बनने के लिए तैयार हैं।

"मुझे तिहाड़ जेल में जल्लाद के लिए नियुक्त करें"
रवि कुमार नाम से वायरल पत्र राष्ट्रपति के नाम से लिखा गया है। इसमें लिखा है कि मुझे पता चला कि तिहाड़ जेल में जल्लाद नहीं हैं। महोदय मेरी आपसे प्रार्थना है कि मुझे तिहाड़ जेल में स्थाई जल्लाद की नियुक्ती दी जाए। ताकि निर्भया के आरोपियों को फांसी दी जा सके।

फांसी चढ़ाने के लिए कोई जल्लाद नहीं

निर्भया गैंगरेप के दरिंदों के पास बचने के लिए अब कानूनी उपाय बहुत कम रह गए हैं और उनकी फांसी की डेट कभी भी करीब आ सकती है। हालांकि, तिहाड़ प्रशासन को इस वक्त दूसरी चिंता है। जेल प्रशासन के पास निर्भया के दोषियों को फांसी पर चढ़ाने के लिए कोई जल्लाद मौजूद नहीं है। सूत्रों का कहना है कि 1 महीने में फांसी की तारीख आ सकती है, इसलिए जेल प्रशासन इसके इंतजाम को लेकर चिंतित हैं।

तिहाड़ प्रशासन कॉन्ट्रैक्ट पर जल्लाद नियुक्त कर सकता है

सूत्रों की माने तो मौजूदा हालात के मद्देनजर तिहाड़ की ओर से किसी जल्लाद को नियुक्त नहीं किया जाएगा। सूत्रों के अनुसार फांसी के लिए कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर ही तिहाड़ प्रशासन किसी की नियुक्ति करेगा। एक वरिष्ठ जेल अधिकारी ने कहा, 'हमारे समाज में फांसी की सजा अक्सर नहीं दी जाती है। यह रेयरेस्ट ऑफ द रेयर अपराधों के लिए ही मुकर्रर सजा है। ऐसी परिस्थिति में एक फुल टाइम जल्लाद की नियुक्ति नहीं की जा सकती है। इस नौकरी के लिए अब कोई शख्स जल्दी तैयार भी नहीं होता।'

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