भारत चीन सीमा विवाद के बीच पीएम मोदी की हाई लेवल मीटिंग, अजीत डोभाल सहित चीफ ऑफ डिफेंस हुए शामिल

पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के साथ चीन के साथ जारी तनाव के बीच मंगलवार शाम प्रधानमंत्री कार्यालय में एक उच्च-स्तरीय बैठक हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के अलावा, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीन सेवा प्रमुख मौजूद थे। 

Asianet News Hindi | Published : May 26, 2020 2:39 PM IST / Updated: May 26 2020, 08:12 PM IST

नई दिल्ली. पूर्वी लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (एलएसी) के साथ चीन के साथ जारी तनाव के बीच मंगलवार शाम प्रधानमंत्री कार्यालय में एक उच्च-स्तरीय बैठक हुई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के अलावा, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और तीन सेवा प्रमुख मौजूद थे। मीटिंग में दो अहम फैसले लिए गए। पहला, इस क्षेत्र में सड़क निर्माण जारी रहेगा। दूसरा, भारतीय सैनिकों की तैनाती उतनी ही रहेगी जितनी चीन की है।

- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पूर्वी लद्दाख में जमीनी स्थिति की समीक्षा करने के लिए सीडीएस जनरल रावत और तीन सेवा प्रमुखों से मुलाकात की। घंटेभर चली बैठक में रक्षा मंत्री को सीमा पर तनावपूर्ण स्थिति के बारे में बताया गया।  

भारत नहीं रोकेगा निर्माण कार्य

सरकार के सूत्रों के मुताबिक पूर्वी लद्दाख में चीन द्वारा लगातार माहौल खराब करने की कोशिश के बावजूद भारत लगभग 3,500 किलोमीटर लंबी चीन-भारत सीमा के साथ रणनीतिक क्षेत्रों में बुनियादी ढांचा विकास परियोजनाओं को नहीं रोकेगा। 

क्या है भारत-चीन विवाद

चीन ने लद्दाख के गलवान नदी क्षेत्र पर अपना कब्जा बनाए रखा है। यह क्षेत्र 1962 के युद्ध का भी प्रमुख कारण था। जमीनी स्तर की कई दौर की वार्ता विफल हो चुकी है। सेना को स्टैंडिंग ऑर्डर्स का पालन करने को कहा गया है। इसका मतलब है कि सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC)से घुसपैठियों को खदेड़ने के लिए बल का इस्तेमाल नहीं कर सकती है। बता दें कि भारत चीन के साथ 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करता है। ये सीमा जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुज़रती है। ये तीन सेक्टरों में बंटी हुई है। पश्चिमी सेक्टर यानी जम्मू-कश्मीर, मिडिल सेक्टर यानी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड और पूर्वी सेक्टर यानी सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश।

बुधवार को समीक्षा करेंगे शीर्ष कमांडर

भारतीय सेना के शीर्ष सैन्य कमांडर बुधवार से शुरू हो रहे तीन दिवसीय सम्मलेन के दौरान पूर्वी लद्दाख के कुछ इलाकों में भारत और चीनी सैनिकों के बीच तनाव की समीक्षा करेंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक,  कमांडर जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर भी चर्चा करेंगे। इसके साथ ही राष्ट्रीय सुरक्षा को प्रभावित करने वाले मुद्दों पर भी इस दौरान चर्चा की जाएगी।

इस महीने तीन बार हुई है झड़प

- भारतीय सैनिकों और चीन के बीच इस महीने तीन बार झड़प हो चुकी है। पहली बार पूर्वी लद्दाख की पेंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर 5 मई को झड़प हुई। तब भारत-चीन के करीब 200 सैनिक आमने-सामने हो गए। पूरी रात टकराव की स्थिति बनी रही। सुबह होते ही सैनिकों में झड़प हुई। हालांकि बाद में अफसरों ने मामला शांत करवाया। 
- दूसरी झड़प 9 मई को उत्तरी सिक्किम में 16 हजार फीट की ऊंचाई पर नाकू ला सेक्टर में हुई। यहां भारत-चीन के 150 सैनिक आमने-सामने हो गए थे। सैनिकों ने एक-दूसरे पर मुक्कों से अटैक किया। 
- तीसरी झड़प भी 9 मई को ही हुई। सैनिकों के बीच झड़प होने पर चीन ने लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर अपने हेलिकॉप्टर भेजे थे। चीन के हेलिकॉप्टर सीमा तो पार नहीं कर पाए, लेकिन जवाब में भारत ने एयरबेस से अपने सुखोई 30 फाइटर प्लेन से खदेड़ दिया। 

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