
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 दिसंबर को दो दिन की ऐतिहासिक यात्रा पर जॉर्डन पहुंचने वाले हैं। यह यात्रा कई मायनों में खास है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस सहस्राब्दी में किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली पूर्ण द्विपक्षीय जॉर्डन यात्रा होगी। यह दौरा ऐसे समय पर हो रहा है जब भारत और जॉर्डन अपने राजनयिक संबंधों के 75 साल पूरे होने का जश्न मना रहे हैं। जॉर्डन के किंग अब्दुल्ला द्वितीय के विशेष निमंत्रण पर हो रही यह यात्रा केवल औपचारिक नहीं, बल्कि बदलते मध्य-पूर्वी समीकरणों के बीच भारत की बढ़ती भूमिका का भी संकेत मानी जा रही है। भारत के जॉर्डन में राजदूत मनीष चौहान ने भी इसे भारत-जॉर्डन संबंधों के लिए “बहुत महत्वपूर्ण समय” बताया है।
किंग अब्दुल्ला II के निमंत्रण पर पीएम मोदी की यह पहली पूर्ण द्विपक्षीय यात्रा है। इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी 2018 में जॉर्डन केवल ट्रांजिट विज़िट पर आए थे। लेकिन इस बार बातचीत का एजेंडा बड़ा और व्यापक है। राजनयिकों के अनुसार, यह दौरा न केवल पुराने रिश्तों की समीक्षा का मौका है, बल्कि भारत-जॉर्डन संबंधों को एक नए स्तर पर ले जाने की कोशिश भी है।
प्रधानमंत्री मोदी का जॉर्डन शेड्यूल बेहद व्यस्त रहने वाला है। इन दो दिनों में पीएम मोदी की किंग अब्दुल्ला II से उच्च-स्तरीय बैठक होगी। भारत-जॉर्डन द्विपक्षीय संबंधों की पूरी समीक्षा की जाएगी। क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर विचार-विमर्श होगा। भारत-जॉर्डन व्यापार कार्यक्रम को संबोधित करने की संभावना है। जॉर्डन में बसे भारतीय समुदाय से मुलाकात भी होगी। राजदूत मनीष चौहान के मुताबिक, बातचीत राजनीति, अर्थव्यवस्था और संस्कृति-तीनों स्तरों पर होगी।
भारत और जॉर्डन के बीच रिश्ते केवल कूटनीतिक नहीं, बल्कि आर्थिक रूप से भी मजबूत हैं। विदेश मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार भारत जॉर्डन का तीसरा सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। दोनों देशों के बीच व्यापार लगभग 2.8 बिलियन डॉलर का है। जॉर्डन के क्वालिफाइड इंडस्ट्रियल ज़ोन में लगभग 15 भारतीय कंपनियां, करीब 500 मिलियन डॉलर का निवेश की हैं। इसके अलावा, रॉयल जॉर्डनियन एयरलाइंस ने अम्मान और मुंबई के बीच सीधी उड़ानें शुरू कर दी हैं और जल्द ही दिल्ली तक विस्तार की योजना है।
यह यात्रा ऐसे समय हो रही है जब मिडिल ईस्ट में राजनीतिक और रणनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। ऐसे में भारत का जॉर्डन जैसे स्थिर और भरोसेमंद देश से मजबूत संबंध बनाना, क्षेत्रीय संतुलन और रणनीतिक सहयोग के लिहाज से अहम माना जा रहा है।
कुल मिलाकर, पीएम मोदी की जॉर्डन यात्रा सिर्फ एक विदेश दौरा नहीं, बल्कि भारत की दीर्घकालिक विदेश नीति का अहम संकेत मानी जा रही है।