
नई दिल्ली। आज के दौर में मोबाइल फोन पर आने वाला एक मैसेज, एक ऐप या एक आकर्षक जॉब ऑफर आपकी पूरी जमा-पूंजी साफ कर सकता है। कुछ ऐसा ही देशभर में हजारों लोगों के साथ हुआ, लेकिन अब CBI साइबर फ्रॉड जांच ने इस खतरनाक नेटवर्क का पर्दाफाश कर दिया है। CBI ने 4 विदेशी नागरिकों और 111 शेल कंपनियों से जुड़े करीब ₹1,000 करोड़ के अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड का खुलासा किया है, जिसने डिजिटल दुनिया की सच्चाई उजागर कर दी है।
CBI की जांच में सामने आया है कि यह पूरा नेटवर्क फर्जी लोन ऐप, झूठी निवेश योजनाओं, पार्ट-टाइम जॉब ऑफर और धोखेबाज़ ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म के ज़रिए लोगों को जाल में फंसाता था। लोगों को आसान लोन, जल्दी मुनाफा और घर बैठे कमाई का सपना दिखाया जाता था, लेकिन हकीकत में उनके बैंक खाते खाली कर दिए जाते थे।
शुरुआत में देश के अलग-अलग हिस्सों से आई शिकायतें अलग-अलग लग रही थीं। लेकिन जब फंड ट्रेल, मोबाइल ऐप्स, पेमेंट गेटवे और डिजिटल फुटप्रिंट का विश्लेषण किया गया, तो पता चला कि सब एक ही अंतरराष्ट्रीय साइबर फ्रॉड नेटवर्क से जुड़े हैं। यहीं से CBI को एक बड़े संगठित अपराध का शक हुआ।
जांच में सामने आया कि इस फ्रॉड की रीढ़ थीं 111 शेल कंपनियां। इन कंपनियों को फर्जी डायरेक्टर, जाली दस्तावेज, नकली पते और झूठे बिज़नेस उद्देश्य दिखाकर खड़ा किया गया। इन्हीं के नाम पर बैंक खाते और पेमेंट गेटवे खोले गए, ताकि असली अपराधियों की पहचान छिपी रहे।
CBI के लिए सबसे चौंकाने वाला खुलासा यह रहा कि सैकड़ों बैंक खातों के जरिए ₹1,000 करोड़ से ज्यादा का ट्रांजैक्शन किया गया। इनमें से एक ही बैंक खाते में कम समय में ₹152 करोड़ रुपये ट्रांसफर किए गए, जिससे यह साफ हो गया कि यह मामूली ठगी नहीं, बल्कि पूरी तरह प्लान किया गया साइबर अपराध था।
फोरेंसिक जांच में पता चला कि इस पूरे नेटवर्क का ऑपरेशनल कंट्रोल विदेश से हो रहा था। दो भारतीय आरोपियों की UPI ID अगस्त 2025 तक विदेशी लोकेशन से एक्टिव पाई गई। CBI ने जिन विदेशी हैंडलर्स की पहचान की है, उनमें ज़ू यी, हुआन लियू, वेइजियान लियू और गुआनहुआ वांग शामिल हैं, जो कथित तौर पर 2020 से भारत में शेल कंपनियाँ बनवा रहे थे।
CBI की यह कार्रवाई ऑपरेशन चक्र-V के तहत की गई है, जिसका मकसद अंतरराष्ट्रीय साइबर आर्थिक अपराधों पर लगाम लगाना है। अब तक 17 लोगों के खिलाफ चार्जशीट, 27 जगहों पर छापे और भारी मात्रा में डिजिटल सबूत जब्त किए जा चुके हैं। यह एक चेतावनी है कि ऑनलाइन लोन, निवेश और जॉब ऑफर पर आंख बंद कर भरोसा करना कितना खतरनाक हो सकता है। CBI की यह कार्रवाई न सिर्फ ₹1,000 करोड़ के साइबर फ्रॉड का खुलासा है, बल्कि डिजिटल दुनिया में छिपे खतरों की सच्ची तस्वीर भी है।