PM modi ने श्रीमद्भागवत गीता की पाण्डुलिपि के 11 खंड जारी किए, 21 विद्वानों ने की है व्याख्या

Published : Mar 09, 2021, 05:43 PM ISTUpdated : Mar 09, 2021, 05:46 PM IST
PM modi ने श्रीमद्भागवत गीता की पाण्डुलिपि के 11 खंड जारी किए, 21 विद्वानों ने की है व्याख्या

सार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को शाम 5 बजे श्रीमद्भागवत की पाण्डुलिपि के 11 खंडों का लोकार्पण किया। इसकी व्याख्या 21 विद्धानों ने की है। यह कार्यक्रम पीएम आवास पर हुआ। इस मौके पर जम्मू कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद रहे। 

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को शाम 5 बजे श्रीमद्भागवत की पाण्डुलिपि के 11 खंडों का लोकार्पण किया। इसकी व्याख्या 21 विद्धानों ने की है। यह कार्यक्रम पीएम आवास पर हुआ। इस मौके पर जम्मू कश्मीर के राज्यपाल मनोज सिन्हा भी मौजूद रहे। 

इन पांडुलिपियों में 21 विद्वानों ने भगवद् गीता के श्लोकों की व्याख्या की है। सामान्य तौर पर श्रीमद्भागवत के साथ पाठ को एकल व्याख्या के साथ प्रस्तुत किया जाता है। पहली बार विद्वानों द्वारा बनाई गई व्याख्या को प्रमुख टिप्पणियों को श्रीमद्भगवद्गीता की व्यापक और तुलनात्मक प्रशंसा प्राप्त करने के लिए एक साथ लाया जा रहा है।

हर व्यक्ति को अपने विचार रखने के लिए प्रेरित करती है गीता- पीएम
इस दौरान पीएम मोदी ने कहा, एक किसी एक ग्रंथ के हर श्लोक पर ये अलग-अलग व्याख्याएं, इतने मनीषियों की अभिव्यक्ति, ये गीता की उस गहराई का प्रतीक है, जिस पर हजारों विद्वानों ने अपना पूरा जीवन दिया है। ये भारत की उस वैचारिक स्वतंत्रता का भी प्रतीक है, जो हर व्यक्ति को अपने विचार रखने के लिए प्रेरित करती है।

उन्होंने कहा, आज हम श्रीमद्भागवतगीता की 20 व्याख्याओं को एक साथ लाने वाले 11 संस्करणों का लोकार्पण कर रहे हैं। मैं इस पुनीत कार्य के लिए प्रयास करने वाले सभी विद्वानों, इससे जुड़े हर व्यक्ति और उनके हर प्रयास को आदरपूर्वक नमन करता हूं।

विवेकानंद के लिए गीता आत्मविश्वास का स्रोत रही
पीएम ने कहा, भारत को एकता के सूत्र में बांधने वाले आदि शंकराचार्य ने गीता को आध्यात्मिक चेतना के रूप में देखा। गीता को रामानुजाचार्य जैसे संतों ने आध्यात्मिक ज्ञान की अभिव्यक्ति के रूप में सामने रखा। स्वामी विवेकानंद के लिए गीता अटूट कर्मनिष्ठा और अदम्य आत्मविश्वास का स्रोत रही है। गीता नेताजी सुभाषचंद्र बोस की राष्ट्रभक्ति और पराक्रम की प्रेरणा रही है। ये गीता ही है जिसकी व्याख्या बाल गंगाधर तिलक ने की और आज़ादी की लड़ाई को नई ताकत दी।

उन्होंने कहा, हम सभी को गीता के इस पक्ष को देश के सामने रखने का प्रयास करना चाहिए। कैसे गीता ने हमारी आजादी की लड़ाई की लड़ाई को ऊर्जा दी। कैसे गीता ने देश को एकता के आध्यात्मिक सूत्र में बांधकर रखा। इन सभी पर हम शोध करें, लिखें और अपनी युवा पीढ़ी को इससे परिचित कराएं।

PREV

Recommended Stories

'ये अयोध्या नहीं जो बाबरी को कोई हाथ लगा दे', हुमायूं कबीर ने फिर उगला जहर
हिजाब विवाद: Giriraj Singh और Mehbooba Mufti में सियासी जंग!