Russia की परमाणु हमले की धमकी से डरी दुनिया, PM Modi ने परमाणु संयंत्रों की सुरक्षा पर जेलेंस्की से की बात

पीएमओ ने बताया कि पीएम मोदी ने शत्रुता को जल्दी समाप्त करने की अपील की है। साथ ही बातचीत और कूटनीति के मार्ग को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए दोनों से इस दिशा में आगे बढ़ने की अपील की है। प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच एक बार फिर दोहराया है कि संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता है।

PM Modi talk to Ukraine President Zelensky: पीएम मोदी ने मंगलवार को यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की से फोन पर यूक्रेन-रूस युद्ध के दौरान उत्पन्न खतरों पर बातचीत की है। पीएम मोदी ने रूसी सेना से जूझ रहे यूक्रेन में परमाणु प्रतिष्ठानों व संयंत्रों की सुरक्षा को लेकर चिंता जाहिर की है। पीएम मोदी ने जेलेंस्की से यह भी पेशकश की कि भारत युद्ध को स्थगित करने के लिए रूस-यूक्रेन के बीच किसी तरह के शांति समझौतों की पहल में अपना योगदान देने को तैयार है। दरअसल, भारत के प्रधानमंत्री ने दो सप्ताह पहले रूसी प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन की आंशिक लामबंदी के ऐलान के बाद वार्ता की है। पीएम मोदी ने कहा कि यूक्रेन में परमाणु सुविधाओं को खतरा सार्वजनिक स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए दूरगामी और विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं।

भारत शांति वार्ता के लिए दोनों देशों के पहल में योगदान देने को तैयार

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पीएमओ ने बताया कि पीएम मोदी ने शत्रुता को जल्दी समाप्त करने की अपील की है। साथ ही बातचीत और कूटनीति के मार्ग को आगे बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते हुए दोनों से इस दिशा में आगे बढ़ने की अपील की है। प्रधानमंत्री ने दोनों देशों के बीच एक बार फिर दोहराया है कि संघर्ष का कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता है। पीएमओ ने बताया कि पीएम मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति से भी शांति प्रयास के लिए अपना योगदान देने को तैयार रहने और हर संभव शामिल रहने का आश्वासन दिया है। 

दुनिया में युद्ध की कोई जगह नहीं...

पीएम मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से कहा कि दुनिया युद्ध नहीं चाहती। युद्ध किसी भी देश के लिए सही नहीं है। दोनों नेताओं ने यूक्रेन-रूस के बीच चल रहे टकराव के बारे में चर्चा की, साथ ही शांति प्रयासों के लिए पहल किए जाने के लिए कोई हल निकालने पर जोर दिया। पीएम ने अपील की कि युद्ध रोकने के लिए स्थायी शांति खातिर दोनों देशों को राजनयिक स्तर पर वार्ता करनी चाहिए। बातचीत से ही किसी भी विवाद को सुलझाया जा सकता है। टकराव का कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र चार्टर, इंटरनेशनल लॉ के साथ साथ यह युद्ध कई देशों की संप्रभुता के लिए खतरा बन सकता है। शांति स्थापना के लिए सबको आगे आने की जरूरत है। परमाणु प्रतिष्ठानों की सुरक्षा अति महत्वपूर्ण है, इन प्रतिष्ठानों के खतरे के दूरगामी परिणाम हो सकते हैं।

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