केंद्र-राज्य विज्ञान सम्मेलन में PM मोदी-'21वीं सदी के भारत में विज्ञान विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा'

केंद्र-राज्य विज्ञान सम्मेलन का मकसद टेक्नोलॉजी एंड इनोवेशन ईकोसिस्टम(STI) विजन 2047, भविष्य के विकास के रास्ते और राज्यों में एसटीआई के लिए विजन सहित विभिन्न मुद्दो पर फोकस करते हुए एक इनोवेटिव प्लान तैयार करना है।
 

Amitabh Budholiya | Published : Sep 10, 2022 3:15 AM IST / Updated: Sep 10 2022, 12:02 PM IST

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी(Prime Minister Narendra) ने शनिवार(10 सितंबर) को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए केंद्र-राज्य विज्ञान सम्मेलन( Centre- State Science Conclave ) का उद्घाटन किया। इस मौके पर मोदी ने खासतौर पर जिक्र किया कि 2014 के बाद, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में निवेश तेजी से बढ़ा। 2015 में भारत 81वें स्थान पर था। सरकार के प्रयासों से आज भारत ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में 46वें स्थान पर है।

बता दें कि यह कार्यक्रम देश में इनोवेशन और एंटरप्रेन्योरशिप की सुविधा के लिए प्रधानमंत्री के प्रयासों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है। इस दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन गुजरात के अहमदाबाद स्थित साइंस सिटी में हो रहा है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह के मुताबिक सम्मेलन का उद्देश्य केंद्र तथा राज्यों के बीच व्यापक समन्वय के साथ राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी एवं ईकोसिस्टम (STI) सिस्टम को मजबूत करना है। यह भी पढ़ें-क्या है इस सम्मेलन का मकसद

विज्ञान हमारे समाज और संस्कृति का हिस्सा
मोदी ने कहा-जब हम अपने वैज्ञानिकों की उपलब्धि का जश्न मनाते हैं, तो विज्ञान हमारे समाज और संस्कृति का हिस्सा बन जाता है। मैं सभी से हमारे वैज्ञानिकों की उपलब्धियों का जश्न मनाने का आग्रह करता हूं। हमारे उज्ज्वल दिमाग ने हमें हमेशा गौरवान्वित किया है और भारतीय वैज्ञानिक चमत्कार कर रहे हैं। उनके नवाचारों और सफलताओं का जश्न मनाना हमारे लोगों को प्रेरित करेगा। इसी प्रेरणा से आज का नया भारत, जय जवान, जय किसान, जय विज्ञान के साथ ही जय अनुसंधान का आह्वान करते हुए आगे बढ़ रहा है। Solution का, Evolution का और Innovation का आधार विज्ञान ही है। 21वीं सदी के नए भारत के विकास के लिए विज्ञान सभी क्षेत्रों और क्षेत्रों के विकास को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
हमें राज्यों में अटल टिंकरिंग लैब की स्थापना में तेजी लाने की जरूरत है। यह सुनिश्चित करने के लिए कि जमीनी स्तर पर लाभ पहुंचे। अनुसंधान एवं विकास संगठनों के भीतर सहयोग को बढ़ावा देने के लिए भी काम करने की आवश्यकता है।

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