सुरक्षा पर चिंतन: मोदी बोले-देश के विरोध में जो ताकते खड़ी हैं, उनके खिलाफ कठोर बर्ताव हमारी जिम्मेदारी

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज (28 अक्टूबर) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यों के गृह मंत्रियों के चिंतन शिविर को संबोधित करेंगे। यह चिंतन शिविर 27 और 28 अक्टूबर, 2022 को हरियाणा के सूरजकुंड में आयोजित किया जा रहा है।

Amitabh Budholiya | Published : Oct 28, 2022 3:49 AM IST / Updated: Oct 28 2022, 12:38 PM IST

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज (28 अक्टूबर) वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राज्यों के गृह मंत्रियों के चिंतन शिविर को संबोधित किया। यह चिंतन शिविर 27 और 28 अक्टूबर, 2022 को हरियाणा के सूरजकुंड में आयोजित किया जा रहा है। इस चिंतन शिविर में विभिन्न राज्यों के गृह सचिव एवं पुलिस महानिदेशक (DGP) और केन्द्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) व केन्द्रीय पुलिस संगठनों (CPO) के महानिदेशक भी शामिल हुए। मोदी ने कहा कि जनता के मन में विश्वास के लिए सुरक्षा जरूरी है।

वन नेशन-वन यूनिफार्म
प्रधानमंत्री ने पुलिस के लिए एक राष्ट्र, एक वर्दी(One Nation, One Uniform) का विचार पेश करते हुए कहा कि यह सिर्फ एक सुझाव है और वह इसे राज्यों पर थोपने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। ऐसा 5, 50 या 100 वर्षों में हो सकता है। बस इस पर विचार करें। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें लगता है कि देश भर में पुलिस की पहचान एक जैसी हो सकती है। उन्होंने राज्य सरकारों से पुराने कानूनों की समीक्षा करने और उन्हें वर्तमान संदर्भ में अपडेट करने का भी आग्रह किया। मोदी ने कहा कि पुलिस के बारे में अच्छी धारणा बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है और यहां गलतियां दूर की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि आम आदमी की दक्षता, बेहतर परिणाम और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस और खुफिया एजेंसियों को एक दूसरे का सहयोग करना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि बेहतर परिणाम प्राप्त करने के लिए पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों द्वारा मानव खुफिया जानकारी तैयार करने की पुरानी प्रणाली को मजबूत किया जाना चाहिए। 

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आजकल देश में उत्सव का माहौल है
मोदी ने कहा-आज कल देश में उत्सव का माहौल है। ओणम, दशहरा, दुर्गापूजा और दीपावली सहित अनेक उत्सव शांति और सौहार्द के साथ देशवासियों ने मनाएं हैं। अभी छठ पूजा सहित कई अन्य त्योहार भी हैं। विभिन्न चुनौतियों के बीच इन त्योहारों में देश की एकता का सशक्त होना, आपकी तैयारियों का भी प्रतिबिंब है। आजादी का अमृतकाल हमारे सामने हैं। आने वाले 25 वर्ष देश में एक अमृत पीढ़ी के निर्माण के हैं। ये अमृत पीढ़ी 'पंच प्राणों' के संकल्पों को धारण करके निर्मित होगी।संविधान में भले कानून और व्यवस्था राज्यों का दायित्व है,  लेकिन ये देश की एकता-अखंडता के साथ भी उतने ही जुड़े हुए हैं,  हर एक राज्य एक दूसरे से सीखें, एक दूसरे से प्रेरणा लें। 

1- विकसित भारत का निर्माण
2- गुलामी की हर सोच से मुक्ति
3- विरासत पर गर्व
4- एकता और एकजुटता 
5- नागरिक कर्तव्य

इन पंच प्राणों का महत्व आप सभी भली भांति जानते हैं, समझते हैं। ये एक विराट संकल्प है, जिसको सिर्फ और सिर्फ सबके प्रयास से ही सिद्ध किया जा सकता है।

देश की बेहतरी के लिए काम करें
मोदी ने कहा-देश की बेहतरी के लिए काम करें, ये संविधान की भी भावना है और देशवासियों के प्रति हमारा दायित्व है।जब देश का सामर्थ्य बढ़ेगा तो देश के हर नागरिक, हर परिवार का सामर्थ्य बढ़ेगा। यही तो सुशासन है, जिसका लाभ देश के हर राज्य को समाज की आखिरी पंक्ति में खड़े व्यक्ति तक पहुंचाना है। इसमें आप सभी की बहुत बड़ी भूमिका है।कई बार केंद्रीय एजेंसियों को कई राज्यों में एक साथ जांच करनी पड़ती है, दूसरे देशों में भी जाना पड़ता है, इसलिए हर राज्य का दायित्व है कि चाहे राज्य की एजेंसी हो, चाहे केंद्र की एजेंसी हो, सभी एजेंसियों को एक-दूसरे को पूरा सहयोग देना चाहिए। साइबर क्राइम हो या फिर ड्रोन टेक्नोलॉजी का हथियारों और ड्रग्स तस्करी में उपयोग, इनके लिए हमें नई टेक्नोलॉजी पर काम करते रहना होगा। स्मार्ट टेक्नोलॉजी से कानून-व्यवस्था को स्मार्ट बना पाना संभव होगा।

भारत सरकार के स्तर पर कानून व्यवस्था में सुधार
मोदी ने कहा-बीते वर्षों में भारत सरकार के स्तर पर कानून व्यवस्था से जुड़े सुधार हुए हैं, जिसने पूरे देश में शांति का वातावरण बनाने का काम किया है। बीते वर्षों में भारत सरकार के स्तर पर कानून व्यवस्था से जुड़े सुधार हुए हैं, जिसने पूरे देश में शांति का वातावरण बनाने का काम किया है। कानून व्यवस्था को बनाए रखना, एक 24*7 वाला काम है। लेकिन किसी भी काम में ये भी आवश्यक है कि हम निरंतर प्रक्रियाओं में सुधार करते चलें, उन्हें आधुनिक बनाते चलें। आज वैश्विक स्तर पर भारत जितनी तेजी से आगे बढ़ रहा है, उतनी ही तेजी से भारत की चुनौतियां भी बढ़ने वाली है, विश्व की बहुत सारी ताकतें होंगी, जो नहीं चाहेगी कि उनके देश के संदर्भ में भारत सामर्थ्यवान बने। देश के विरोध में जो ताकते खड़ी हो रही हैं, जिस प्रकार हर चीज का उपयोग किया जा रहा है, सामान्य नागरिक की सुरक्षा के लिए, ऐसी किसी भी नाकारात्मक शक्तियों के खिलाफ कठोर से कठोर बर्ताव ही हमारी जिम्मेदारी है।

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यह है शिविर का मकसद
गृह मंत्रियों का यह चिंतन शिविर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर प्रधानमंत्री के भाषण में घोषित पंच प्रण के अनुरूप आंतरिक सुरक्षा से संबंधित मामलों पर नीति निर्माण को राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य देने के मकसद का एक प्रयास है। सहकारी संघवाद(cooperative federalism) की भावना के अनुरूप यह शिविर,  केन्द्र और राज्य स्तर पर विभिन्न हितधारकों के बीच योजना एवं समन्वय के मामले में अधिक तालमेल सुनिश्चित करेगा। इस शिविर में पुलिस बलों के आधुनिकीकरण, साइबर अपराध प्रबंधन, आपराधिक न्याय प्रणाली में आईटी के बढ़ते उपयोग, भूमि सीमा प्रबंधन, तटीय सुरक्षा, महिला सुरक्षा, मादक पदार्थों की तस्करी जैसे मुद्दों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। 

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